नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र का आज 15वां दिन है. सरकार संसद में हंगामे के बीच ही एक और अहम विधेयक पारित कराने की तैयारी कर रही है. वित्त मंत्रालय ने लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (संशोधन) विधेयक, 2021 (Limited Liability Partnership (Amendment) Bill, 2021) पेश किया है. पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने हंगामे के बीच ही विधेयक को पारित करने के संबंध में सांसदों के मत पूछे (ध्वनिमत), और कुछ ही मिनटों में बिल पारित हो गया. बता दें कि यह विधेयक राज्य सभा से पहले ही पारित हो चुका है.
सरकार का कहना है कि 'सीमित दायित्व भागीदारी (संशोधन) विधेयक, 2021' का मकसद कारोबार सुगमता को और बढ़ाना है. इसके अलावा इस बिल का उद्देश्य 'स्टार्टअप' परिवेश को प्रोत्साहित करना भी है. इसके तहत मूल अधिनियम में बताए गए 12 कृत्यों को आपराधिक श्रेणी से हटाया गया है. इसके अलावा, संशोधित कानून के तहत छोटे सीमित दायित्व भागीदारी (एलएलपी) को परिभाषित किया गया है.
वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने विधेयक को सदन में चर्चा एवं पारित होने के लिये रखते हुए कहा कि सीमित दायित्व भागीदारी संशोधन विधेयक एक महत्वपूर्ण विधान है जिसके माध्यम से बड़ी कंपनियों के साथ साझेदारी में समानता लाने का प्रयास किया गया है. उन्होंने कहा कि इसमें आपराधिक कृत्यों की संख्या को कम करने और कारोबार सुगमता सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है.
बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 28 जुलाई को एलएलपी कानून में संशोधन को मंजूरी दी थी. यह पहली बार है जब 2009 में कानून के अमल में आने के बाद बदलाव किये गये हैं. इस विधेयक के तहत अब मूल अधिनियम में दंडात्मक प्रावधानों की कुल संख्या घटकर 22 रह जाएगी जबकि सुलह के जरिये मामलों को निपटाने वाले अपराधों (कम्पाउंडेबल ऑफेन्स) की संख्या सात रह जाएगी.
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साथ ही गंभीर अपराधों की संख्या तीन होगी और 'इन-हाउस एडजुडिकेशन' व्यवस्था (आईएम) यानी केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी के आदेश के तहत निपटाए जाने वाले चूक (डिफॉल्ट) के मामलों की संख्या केवल 12 रह जाएगी.
इसमें एलएलपी के लिये 12 अपराधों को आपराधिक श्रेणी से अलग किया गया है. तीन धाराओं को पूरी तरह से छोड़ दिया गया है. सरकार का मानना है कि ये परिवर्तन एलएलपी को कंपनी अधिनियम के तहत आने वाली कंपनियों के साथ समान अवसर उपलब्ध कराने में मदद करेंगे.
इसके बाद वित्त मंत्री सीतारमण ने डीआईसीजीसी बिल यानी- डिपॉजिट इंस्योरेंस क्रेडिट गारंटी कोऑपरेशन (संशोधन) बिल, 2021 पेश किया. हंगामे के बीच ही यह विधेयक भी पारित हो गया. यह विधेयक भी राज्य सभा से पहले ही पारित हो चुका है. इस विधेयक को भी हंगामे के बीच ही पारित घोषित कर दिया.
'निक्षेप बीमा एवं प्रत्यय गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक, 2021' (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation Bill-2021) के तहत संकटग्रस्त बैंक पर लेन-देन की पाबंदी लगने की स्थिति में जमाकर्ता अपनी पांच लाख रुपए तक की राशि निकाल सकेंगे.
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विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 2019 में कई सहकारी बैंक दिक्कत में आ गईं थीं और जमाकर्ताओं को भी समस्याओं का सामना करना पड़ा था. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में इस सरकार ने जमाकर्ताओं के लिए बीमा को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया था और अब इसे पांच लाख रुपये किया गया है. इसके साथ ही जमाकर्ताओं को समय पर पैसा मिलेगा.
सीतारमण ने यह भी कहा कि यह विधेयक अभी से प्रभावी होगा. पीएमसी बैंक और श्री गुरु राघवेंद्र बैंक जैसे बैंकों को पहले दिक्कतों का सामना करना पड़ा, उनके जमाकर्ताओं को भी इससे फायदा मिलेगा.
क्या है डीआईसीजीसी
बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत 28 जुलाई को निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक 2021 (डीआईसीजीसी) अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. डीआईसीजीसी, भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी है, जो बैंक जमा पर बीमा कवर देती है.
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इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) ने अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) की अनुसूचित जनजातियों (ST) की सूची को रूपांतरित करने के लिए संशोधन विधेयक पेश किया. यह विधेयक राज्य सभा से पहले ही पारित हो चुका है. विधेयक को लोक सभा से पारित घोषित कर दिया गया. इसके बाद हंगामे के कारण लोक सभा की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई.
(एजेंसी इनपुट)