नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को उम्मीद है कि संसद का शीतकालीन सत्र नए संसद भवन में होगा. नए संसद भवन का निर्माण कार्य निर्धारित समय से प्रगति पर है. वर्तमान प्रगति की गति के अनुसार इस वर्ष अक्टूबर तक निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा. आवश्यक परीक्षण करने के बाद इस साल संसद का शीतकालीन सत्र नए भवन में आयोजित किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि अत्याधुनिक संसद भवन बनाने का प्रयास किया जा रहा है, जो बहुत ही कम समय में एक नए और आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक होगा. नया भवन पर्यावरण और ऊर्जा संरक्षण के लिए आवश्यक सुविधाओं से लैस होगा. बिरला ने कहा कि नए भवन के लोकसभा कक्ष में 888 सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी और दोनों सदनों के संयुक्त सत्र के दौरान, 1272 सदस्यों को बैठाया जा सकता है. राज्य सभा कक्ष में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी.
उन्होंने कहा कि नए भवन को सांसदों के लिए टेक्नो फ्रेंडली बनाया जा रहा है. बिड़ला ने कहा, 'सदस्य डेस्क मल्टीमीडिया स्क्रीन से लैस होंगे, जिसके माध्यम से वे सदन में मतदान कर सकेंगे, उपस्थिति दर्ज कर सकेंगे और सदन में बोलने के अवसर के लिए अनुरोध कर सकेंगे.' लोकसभा अध्यक्ष ने हाल ही अपने कार्यकाल के तीन साल पूरे किए हैं. उन्होंने कहा कि संसद पुस्तकालय की पहुंच व्यापक बनाने के लिए कई और महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं.
इसे ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से सभी को संसद पुस्तकालय की पहुंच प्रदान करने का निर्णय लिया गया. ऑनलाइन पोर्टल भारत की आजादी के 76 साल के अवसर पर लॉन्च किया जाएगा. संसद पुस्तकालय में भौतिक रूप से आने के लिए पोर्टल पर स्लॉट बुक किए जाएंगे. बिरला ने कहा, 'हमने नीति आयोग के समन्वय से संसद पुस्तकालय को देश के सभी प्रमुख पुस्तकालयों के साथ एकीकृत करने की भी पहल की है.'
बिरला ने कहा कि भारत के एक विधायी पुस्तकालय के निर्माण के विजन को साकार करने के लिए 12 विधानसभाओं के संसदीय पुस्तकालयों को एकीकृत करने की प्रक्रिया जारी है. उन्होंने कहा कि इस साल जुलाई के अंत तक सभी सभा बहसों का अंग्रेजी संस्करण डिजीटल रूप में तैयार किया जाएगा. मार्च 2023 तक दिन की कार्यवाही (तारांकित और अतारांकित) के पहले भाग को डिजिटाइज़ करने का प्रयास किया जा रहा है. पुस्तकालय दस्तावेजों के लगभग दो करोड़ पेज के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया जुलाई 2022 में शुरू होने की उम्मीद है.'
उन्होंने कहा कि कीवर्ड सर्च मेटा डेटा पद्धति के माध्यम से लोकसभा से संबंधित सूचनाओं की आसानी से उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है. बिरला ने कहा कि सदस्यों के क्षमता निर्माण के लिए संसदीय अनुसंधान एवं सूचना सहायता (प्रिसम) की स्थापना की गई है. बिरला ने कहा, 'हमने सदन में विधेयकों को पेश करने से पहले विषय विशेषज्ञों द्वारा ब्रीफिंग सत्र भी शुरू किया है.'
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वित्तीय बचत के मुद्दे पर आगे विस्तार से बताते हुए बिरला ने कहा कि 17 वीं लोकसभा में नवाचारों और डिजिटल प्रौद्योगिकी के अधिकतम उपयोग के कारण वित्तीय संसाधनों में 668.86 करोड़ रुपये की अभूतपूर्व बचत हुई. वर्ष 2019-20 के लिए कुल आवंटित 809.13 करोड़ रुपये के बजट में से 159.08 करोड़ रुपये की बचत हुई, जबकि 2020-21 में 811.10 करोड़ रुपये के आवंटित बजट से 251.31 करोड़ रुपये की बचत हुई.
वर्ष 2021-22 में 855.01 करोड़ रुपये की स्वीकृत निधि से 258.47 करोड़ रुपये की बचत की गई. 17वीं लोकसभा के पहले 8 सत्रों की उत्पादकता का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि यह 14वीं से 16वीं लोकसभा के पहले आठ सत्रों की तुलना में अधिक रही है. बिड़ला ने कहा, '14वीं, 15वीं और 16वीं लोकसभा के पहले 8 सत्रों में उत्पादकता क्रमश: 86 फीसदी, 71 फीसदी और 95 फीसदी रही. जबकि 17वीं लोकसभा के पहले 8 सत्रों में उत्पादकता 106 फीसदी रही.'