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'आशीर्वाद' से क्या मिलेगा चिराग को आशीर्वाद, इस झटके के बाद अब क्या होगी प्लानिंग

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Published : Jul 10, 2021, 6:50 PM IST

लोजपा (LJP) में टूट के बाद चिराग पासवान (Chirag Paswan) की मुश्किलें बढ़ गई हैं. चिराग पासवान की अर्जी हाई कोर्ट में खारिज हो गई है. जानकारों के मुताबिक अब चिराग पासवान के पास एक ही तरीका बचा है, वे सुप्रीम कोर्ट की शरण में जा सकते हैं.

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पटना : लोजपा (LJP) में टूट के बाद चिराग पासवान (Chirag Paswan) की मुश्किलें कम होने की बजाय लगातार बढ़ती ही जा रही हैं. चिराग पासवान ने दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां से भी उन्हें निराशा हाथ लगी. हालांकि लोजपा (LJP) के दोनों गुट बंगले पर अपने अधिकार को लेकर चुनाव आयोग की शरण में पहुंचे हैं. अब तक यह निर्णय नहीं हुआ है कि बंगले का असली अधिकारी कौन होगा?

बता दें कि चिराग पासवान को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) को लोजपा संसदीय दल का नेता बनाए जाने के खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को निराधार बताते हुए खारिज कर दी. अदालत ने कहा था कि ऐसा लगता है कि याचिका अपनी राजनीतिक लड़ाई को साधने के लिए है.

राजनीतिक विश्लेषक की राय.

चुनाव आयोग का फैसला अंतिम

वहीं राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय की मानें तो अब चिराग पासवान के पास एक ही तरीका बचा है कि वह सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाएं. उन्होंने बताया कि अब चुनाव आयोग का ही फैसला अंतिम होगा कि लोजपा के बंगले का असली हकदार कौन है? उन्होंने बताया कि संसद एक नियमावली से चलता है, जब भी कोई पार्टी दो गुटों में बट जाती है तो दो तिहाई बहुमत से ही यह तय होता है कि पार्टी का असली हकदार कौन होगा? हालांकि पशुपति पारस के गुट में 5 सांसद हैं. उम्मीद है कि चुनाव आयोग भी उनके ही फेवर में अपना फैसला देगा. चिराग पासवान को सुप्रीम कोर्ट जाने का अधिकार है.

राजनीतिक विश्लेषक की मानें तो चिराग पासवान को जनता के बीच जाकर विश्वास हासिल करना चाहिए. रामविलास पासवान ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में चिराग पासवान को जो जिम्मेदारी सौंपी है. वह कैसे निभा पाते हैं, यह चिराग पासवान पर निर्भर करता है. उन्होंने बताया कि पार्टियां बनी रहती हैं. सांसद और विधायक भी चुने जाते हैं. यह जनता का निर्णय होता है कि वह अपना नेता किसे मानती है. उनके अनुसार इसमें कोई दो राय नहीं है कि पासवान वोट को एकजुट करने में चिराग पासवान कोई कसर नहीं छोड़ेंगे और उन्हें पासवान वोट भी प्राप्त होगा.

सिंपैथी वोट लेने में कामयाब हो सकते हैं चिराग

डॉ. संजय ने बताया कि कई ऐसे नेता रहे हैं जो किसी भी संसद या विधानसभा का सदस्य नहीं रहते हुए भी जनता की उम्मीदों पर खरे उतर कर अच्छा परिणाम लाए हैं. हालांकि चिराग पासवान के पास अभी संघर्ष करने का समय है और जिस तरह से उन्होंने आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत की है और बिहार की जनता जिस तरह से उनकी सभा में भीड़ के साथ-साथ उनका वेलकम कर रही है. इससे उम्मीद है कि कहीं ना कहीं सिंपैथी वोट लेने में चिराग पासवान कामयाब हो सकते हैं.

स्वर्गीय राम विलास पासवान के देहांत के बाद जब उनके पार्थिक शरीर को पटना एयरपोर्ट लाया गया था. तब उनकी बड़ी बहन और उनकी बड़ी मां को दर्शन तक नहीं करवाया गया था. अब वही चिराग पासवान को मुसीबत के समय परिवार के सदस्यों का प्यार प्राप्त हो रहा है और बड़ी मां और बहनों से मिलने के बाद फूट-फूटकर रोते भी नजर आ रहे हैं.

पढ़ेंः चिराग ने हाजीपुर से शुरू की 'आशीर्वाद यात्रा', समर्थकों का उमड़ा जनसैलाब

पटना : लोजपा (LJP) में टूट के बाद चिराग पासवान (Chirag Paswan) की मुश्किलें कम होने की बजाय लगातार बढ़ती ही जा रही हैं. चिराग पासवान ने दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां से भी उन्हें निराशा हाथ लगी. हालांकि लोजपा (LJP) के दोनों गुट बंगले पर अपने अधिकार को लेकर चुनाव आयोग की शरण में पहुंचे हैं. अब तक यह निर्णय नहीं हुआ है कि बंगले का असली अधिकारी कौन होगा?

बता दें कि चिराग पासवान को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) को लोजपा संसदीय दल का नेता बनाए जाने के खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को निराधार बताते हुए खारिज कर दी. अदालत ने कहा था कि ऐसा लगता है कि याचिका अपनी राजनीतिक लड़ाई को साधने के लिए है.

राजनीतिक विश्लेषक की राय.

चुनाव आयोग का फैसला अंतिम

वहीं राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय की मानें तो अब चिराग पासवान के पास एक ही तरीका बचा है कि वह सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाएं. उन्होंने बताया कि अब चुनाव आयोग का ही फैसला अंतिम होगा कि लोजपा के बंगले का असली हकदार कौन है? उन्होंने बताया कि संसद एक नियमावली से चलता है, जब भी कोई पार्टी दो गुटों में बट जाती है तो दो तिहाई बहुमत से ही यह तय होता है कि पार्टी का असली हकदार कौन होगा? हालांकि पशुपति पारस के गुट में 5 सांसद हैं. उम्मीद है कि चुनाव आयोग भी उनके ही फेवर में अपना फैसला देगा. चिराग पासवान को सुप्रीम कोर्ट जाने का अधिकार है.

राजनीतिक विश्लेषक की मानें तो चिराग पासवान को जनता के बीच जाकर विश्वास हासिल करना चाहिए. रामविलास पासवान ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में चिराग पासवान को जो जिम्मेदारी सौंपी है. वह कैसे निभा पाते हैं, यह चिराग पासवान पर निर्भर करता है. उन्होंने बताया कि पार्टियां बनी रहती हैं. सांसद और विधायक भी चुने जाते हैं. यह जनता का निर्णय होता है कि वह अपना नेता किसे मानती है. उनके अनुसार इसमें कोई दो राय नहीं है कि पासवान वोट को एकजुट करने में चिराग पासवान कोई कसर नहीं छोड़ेंगे और उन्हें पासवान वोट भी प्राप्त होगा.

सिंपैथी वोट लेने में कामयाब हो सकते हैं चिराग

डॉ. संजय ने बताया कि कई ऐसे नेता रहे हैं जो किसी भी संसद या विधानसभा का सदस्य नहीं रहते हुए भी जनता की उम्मीदों पर खरे उतर कर अच्छा परिणाम लाए हैं. हालांकि चिराग पासवान के पास अभी संघर्ष करने का समय है और जिस तरह से उन्होंने आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत की है और बिहार की जनता जिस तरह से उनकी सभा में भीड़ के साथ-साथ उनका वेलकम कर रही है. इससे उम्मीद है कि कहीं ना कहीं सिंपैथी वोट लेने में चिराग पासवान कामयाब हो सकते हैं.

स्वर्गीय राम विलास पासवान के देहांत के बाद जब उनके पार्थिक शरीर को पटना एयरपोर्ट लाया गया था. तब उनकी बड़ी बहन और उनकी बड़ी मां को दर्शन तक नहीं करवाया गया था. अब वही चिराग पासवान को मुसीबत के समय परिवार के सदस्यों का प्यार प्राप्त हो रहा है और बड़ी मां और बहनों से मिलने के बाद फूट-फूटकर रोते भी नजर आ रहे हैं.

पढ़ेंः चिराग ने हाजीपुर से शुरू की 'आशीर्वाद यात्रा', समर्थकों का उमड़ा जनसैलाब

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