पटना: डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी (Illegal withdrawal from Doranda Treasury) के मामले में भी आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव (RJD President Lalu Yadav) को सीबीआई की विशेष अदालत ने पहले ही दोषी करार दिया था. जिस पर फैसला देते हुए आज कोर्ट ने 5 साल की जेल और 60 लाख जुर्माने की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अब लालू के राजनीतिक भविष्य पर भी ग्रहण लग गया है. कानून के जानकारों का कहना है कि अब लालू को कम से कम छह महीने के लिए सलाखों के पीछे रहना होगा.
हाईकोर्ट से मिलेगी बेल: लालू प्रसाद यादव को 5 साल की सजा मिलने के बाद अब उन्हें हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव 73 साल के हैं और कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. लालू डेढ़ दर्जन से ज्यादा गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं. उन्हें कितना खाना है और कितना पानी पीना है, यह निर्णय भी हर रोज चिकित्सक को ही लेना होता है. लालू को किडनी, हाई बीपी और शुगर समेत कई गंभीर बीमारियां हैं. वह स्वस्थ रहें, इसके लिए जरूरी है कि उन्हें मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में रखा जाए. जेल या फिर सामान्य अस्पताल में इतनी व्यवस्था नहीं है कि लालू यादव की इलाज ठीक तरीके से हो सके.
पहला केस- चाईबासा कोषागार, 37.7 करोड़ का घोटाला: चारा घोटाले से जुड़े चाईबासा ट्रेजरी मामले में साल 2013 में लालू प्रसाद यादव को कोर्ट ने सजा सुनाई थी. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 30 सितंबर 2013 को सभी 45 आरोपियों को दोषी ठहराया था. लालू समेत इन आरोपियों पर चाईबासा ट्रेजरी से 37.70 करोड़ रुपये अवैध तरीके से निकालने का दोषी पाया गया था. इस मामले में 3 अक्टूबर 2013 को कोर्ट ने सजा सुनाई थी. लालू प्रसाद को 5 साल की सजा हुई थी.
दूसरा केस- देवघर कोषागार, 84.5 लाख का घोटाला: देवघर ट्रेजरी से फर्जी तरीके से 84.5 लाख रुपये अवैध निकासी मामले में लालू प्रसाद को 23 दिसंबर 2017 को दोषी ठहराया गया था और 6 जनवरी को साढ़े तीन साल कैद की सजा सुनाई गई थी. साथ ही उनपर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.
तीसरा केस- चाईबासा कोषागार, 33.67 करोड़ का घोटाला: चाईबासा ट्रेजरी से 1992-93 में 67 फर्जी आवंटन पत्र के आधार पर 33.67 करोड़ रुपए की अवैध निकासी की गई थी. इस मामले में 1996 में केस दर्ज हुआ था. जिसमें कुल 76 आरोपी थे. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 24 जनवरी 2018 को लालू को दोषी करार देते हुए 5 साल की सजा सुनाई. सजा के साथ-साथ 10 लाख का जुर्माना भी लगा.
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चौथा केस- दुमका कोषागार, 3.13 करोड़ का घोटाला: ये मामला दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 के बीच दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपये फर्जी तरीके से निकालने का है. सीबीआई कोर्ट ने 24 मार्च 2018 को लालू प्रसाद यादव को इस मामले में अलग अलग धाराओं में 7-7 साल की सजा सुनाई थी.
डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी: डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के इस मामले में पशुओं को फर्जी रूप से स्कूटर पर ढोने की कहानी है. यह उस वक्त का देश का पहला मामला माना गया, जब बाइक और स्कूटर पर पशुओं को ढोया गया हो. यह पूरा मामला 1990-92 के बीच का है. इस मामले में अब लालू को 5 साल की सजा सुनाई गई है. साथ ही 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.