जोधपुर. माचिया जैविक उद्यान के बब्बर शेर रियाज़ के आंखों की जल्दी ही सर्जरी होगी. इसके लिए उसकी आंखों की जांच की गई. बीकानेर से आए विशेषज्ञ ने पाया कि रियाज की एक आंख में ग्लूकोमा है जबकि दूसरी आंख में मोतियाबिंद है. इसके चलते उसे अब पूरी तरह से दिखना बंद हो गया है. बब्बर शेर रियाज के मोतियाबिंद का ऑपरेशन होली के बाद होगा.
रियाज का जन्म 2017 में हुआ था. बताया जा रहा है की रियाज़ को जन्म से ही दाईं आंख में मोतियाबिंद और दूसरी आंख में ग्लूकोमा की समस्या है. इसके चलते उसका अतिरिक्त ध्यान रखा जा रहा है. डॉ ज्ञान प्रकाश के मुताबिक पिछले 15 दिन से उसे दिखाई देना बंद हो गया था. उसके लक्षणों से इसकी पहचान कर उसे पार्क के डिस्प्ले एरिया से हटाकर एक विशेष कक्ष में शिफ्ट किया गया है.
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आंखों की जांच की
आंखों की जांच के लिए पार्क के वन्यजीव चिकित्सक डॉ. ज्ञान प्रकाश ने रियाज को ट्रैंकुलाइज किया. रियाज़ की आंखों की जांच के लिए बीकानेर वेटेनरी कॉलेज से पशुओं के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सुरेश झीरवाल एवं चिकित्सक डॉ. श्रवण सिंह राठौड़ को बुलाया गया था. जांच में पाया गया कि रियाज़ की दाईं आंख में मोतियाबिंद है और बाईं आंख में ग्लूकोमा व अल्सरेटिव किराटाइटिस है. इसकी अगले माह होली के बाद वन्यजीव हॉस्पिटल में सर्जरी की जाएगी. इससे पहले पहले रियाज़ को डॉ. ज्ञानप्रकाश की ओर से विशेष रूप से ट्रेनिंग दी जाएगी जिससे सर्जरी के बाद उसकी सही देखभाल हो सके. रियाज की जांच के दौरान उप वन संरक्षक वन्यजीव संदीप छलानी, उप वन संरक्षक वन्यजीव करण सिंह राजपुरोहित सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे.
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यूं पड़ा था नाम रियाज
2017 में गिर से ही यहां लाए गए एशियाटिक शेर के जोड़े की मादा ‘आरटी’ ने 12 मई को 2017 को दो शावकों को जन्म दिया था. इनमे रियाज ही जिंदा रहा था. शेरनी ने उसे दूध नहीं पिलाया. रियाज बीमार हो गया. ऐसे में बब्बर शेर के विशेषज्ञ माने जाने वाले गुजरात के डॉ. रियाज कड़ीवार ने उसके लिए पहले तो गिर में शावकों दिए जाने वाला अमेरिकन मिल्क पाउडर दिया. इसके बाद वे एक दिन के लिए जोधपुर आए और बीमार शावक के साथ रहे. उसका उपचार शुरू किया जिसके बाद उसकी तबीयत ठीक हो गई. इसके बाद नामकरण के समय सभी ने कहा कि डॉ. रियाज नहीं होते तो यह नहीं बच पाता. इसके बाद शावक का नाम रियाज ही रख दिया गया.