श्रीनगर : जम्मू कश्मीर में इस महीने भारत निवार्चन आयोग की प्रस्तावित यात्रा (Likely ECI visit to Jammu kashmir) से राजनीतिक दलों की यह उम्मीद बढ़ गई है कि केंद्र शासित प्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव हो सकते हैं.
जम्मू कश्मीर में पिछला विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था. इसके पांच साल बाद पांच अगस्त 2019 को तत्कालीन प्रदेश का विशेष दर्जा वापस लेते हुए सरकार ने इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख - में विभाजित कर दिया था.
इसके बाद केंद्र ने जम्मू कश्मीर के लिए एक परिसीमन आयोग का गठन किया, जिसने पिछले साल अक्टूबर में अपनी रिपोर्ट सौंपी. हाल ही में, मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने कहा था कि आयोग इस बात से अवगत है कि केंद्र शासित प्रदेश में एक 'निर्वात' पैदा हो गया है, जिसे भरे जाने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि मौसम एवं सुरक्षा चिंताओं समेत विभिन्न कारकों को ध्यान में रखते हुए केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव कराए जाएंगे. आयोग ने अभी जम्मू कश्मीर दौरे की घोषणा नहीं की है लेकिन स्थानीय मीडिया में आई खबरों में कहा गया है कि यह (दौरा) इस महीने हो सकता है.
भाजपा नेता दरख्शां अंद्राबी ने कहा कि निर्वाचन आयोग जब भी केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव कराने का फैसला लेता है, उनकी पार्टी और कार्यकर्ता इसमें (चुनाव में) भागीदारी के लिए तैयार हैं.
अंद्राबी ने कहा, 'हम लोकतंत्र में विश्वास करते हैं और लोकतंत्र का मतलब चुनाव है. हमारी पार्टी और हमारे कार्यकर्ता किसी भी समय चुनाव के लिए तैयार हैं.' उन्होंने कहा कि चुनाव कराने के लिए स्थिति अच्छी है, लेकिन अंतिम फैसला आयोग करेगा.
अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने कहा कि निर्वाचन आयोग का प्रदेश का प्रस्तावित दौरा स्वागतयोग्य कदम है और प्रदेश में अब चुनाव कराने का वक्त आ गया है.
नेशनल कांफ्रेंस के प्रवक्ता इमरान नबी डार ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल के निर्वाचन आयोग से मुलाकात के बाद से उनकी पार्टी के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है. डार ने कहा, 'हमारा तर्क और हमारे बिंदु समान हैं कि विधानसभा चुनाव कराने के बारे में संबंधित एजेंसियों द्वारा कोई स्पष्ट प्रयास नहीं किया जा रहा है.'
उन्होंने जोर देकर कहा, 'जम्मू कश्मीर अब एक चुनी हुई सरकार चाहता है, और इसमें और देरी करने का कोई कारण नहीं है.'
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(पीटीआई-भाषा)