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कुंभ मेले में कोरोना टेस्ट के 'झोल' का LIC एजेंट ने किया खुलासा - Uttarakhand is under suspicion after the fake Kumbh Corona test surfaced

हरिद्वार कुंभ में हुए कोरोना टेस्ट के झोल का खुलासा पंजाब के रहने वाले एक एलआईसी एजेंट (LIC Agent) के जरिए हुआ. पंजाब के फरीदकोट के रहने वाले एक शख्स विपिन मित्तल ने हरिद्वार कुंभ में कोविड जांच घोटाले की पोल खोली.

कोरोना टेस्ट का झोल
कोरोना टेस्ट का झोल
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Published : Jun 16, 2021, 10:35 PM IST

देहरादून : धर्मनगरी हरिद्वार (Haridwar) में आयोजित महाकुंभ मेला 2021 (Maha Kumbh Mela 2021) के दौरान अप्रैल महीने में की गई कोरोना जांच (Corona Test) में सामने आए बड़े फर्जीवाड़े को लेकर विपक्षी दल सरकार पर सवाल खड़े कर ही रहे हैं.

ये भी पढ़ें : गुजरात : विधायक ने खोला राज, 'भाजपा दफ्तर से बांटे गए थे रेमडेसिविर दवा'

वहीं, अब इस पूरे प्रकरण पर प्रदेश के कई जाने-माने समाजसेवी भी शासन प्रशासन की कार्यशैली और लापरवाह रवैये पर सवाल उठा रहे हैं.

ऐसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा

हरिद्वार कुंभ में हुए टेस्ट के घपले का खुलासा पंजाब के रहने वाले एक एलआईसी एजेंट (LIC Agent) के माध्यम से हुआ है. पंजाब के फरीदकोट के रहने वाले एक शख्स विपिन मित्तल ने हरिद्वार कुंभ में कोविड जांच घोटाले की पोल खोली.

विपिन मित्तल के मुताबिक उन्हें उत्तराखंड की एक लैब से फोन आया था, जिसमें उन्हें बताया गया कि 'आप की रिपोर्ट निगेटिव आई है'. जिसे सुनते ही वे भौचक्के रह गए.

कोरोना टेस्ट का झोल
कोरोना टेस्ट का झोल

विपिन ने कोई कोरोना जांच नहीं कराई थी. ऐसे में विपिन ने फौरन स्थानीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी. स्थानीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैए को देखते हुए पीड़ित शख्स ने तुरंत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से शिकायत की.

आईसीएमआर ने दिखाई सतर्कता

आईसीएमआर (ICMR) ने घटना को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा. वहीं यह पूरा मामला यहीं नहीं थमा. इसके बाद उत्तराखंड सरकार से होते हुए ये शिकायत स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के पास पहुंची.

कोरोना टेस्ट का झोल
कोरोना टेस्ट का झोल

जब उन्होंने पूरे मामले की जांच कराई, तो बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए. स्वास्थ्य विभाग ने पंजाब फोन करने वाले शख्स से जुड़ी लैब की जांच की तो परत-दर-परत पोल खुलती गई. अब तक की जांच में एक लाख कोरोना रिपोर्ट फर्जी पाई गई हैं.

एसडीसी के संस्थापक ने उठाए सवाल

हरिद्वार महाकुंभ मेले में कोरोना जांच के नाम पर हुए इस बड़े फर्जीवाड़े को लेकर सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन (SDC) के संस्थापक और समाजसेवी अनूप नौटियाल ने भी शासन-प्रशासन के लापरवाह रवैये पर कई सवाल खड़े किए हैं.

उनके मुताबिक इस पूरे फर्जीवाड़े को रोका जा सकता था यदि शासन प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी अप्रैल महीने में हरिद्वार समेत प्रदेश के अन्य जनपदों की कोविड जांच के आंकड़ों पर गौर कर लेते.

कोरोना टेस्ट का झोल

डाटा में सामने आया बड़ा झोल

अनूप नौटियाल ने हरिद्वार समेत प्रदेश के अन्य 12 जनपदों में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच हुए कोविड जांच का एक डाटा साझा किया गया है. नौटियाल के मुताबिक इस पूरे डाटा पर अगर ध्यान दें, तो यह साफ पता चलता है कि 1 से 30 अप्रैल, 2021 के बीच उत्तराखंड में हुए कुल कोविड-19 टेस्ट के 58 प्रतिशत टेस्ट हरिद्वार जिले में ही हुए हैं.

इसके अलावा इस समय जब हरिद्वार में महाकुंभ मेला चल रहा था, तब भी इस तिथि में हरिद्वार जिले में पाॅजिटिविटी रेट उत्तराखंड से 80 प्रतिशत कम था. यह कैसे संभव हो सकता है, यह एक बड़ा सोचने का विषय है.

दोषियों के खिलाफ हो कार्रवाई

वहीं, लंबे इंतजार के बाद आखिरकार अब जब इस बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हो चुका है तो ऐसे में इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. अनूप नौटियाल कहते हैं कि यह जांच सिर्फ प्राइवेट लेबों पर केन्द्रित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसमें सभी सरकारी लैब और सभी एजेंसियों को कवर करना चाहिए, जो उस दौरान काम कर रहे थे.

ये भी पढ़ें : हरिद्वार कुंभ में जिस लैब ने किए लाखों टेस्ट, उसका पता निकला फर्जी

वहीं, इस मामले में यदि कोई लैब अथवा अधिकारी दोषी पाये जाते हैं तो उनके खिलाफ कानून के अनुसार दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए.

देहरादून : धर्मनगरी हरिद्वार (Haridwar) में आयोजित महाकुंभ मेला 2021 (Maha Kumbh Mela 2021) के दौरान अप्रैल महीने में की गई कोरोना जांच (Corona Test) में सामने आए बड़े फर्जीवाड़े को लेकर विपक्षी दल सरकार पर सवाल खड़े कर ही रहे हैं.

ये भी पढ़ें : गुजरात : विधायक ने खोला राज, 'भाजपा दफ्तर से बांटे गए थे रेमडेसिविर दवा'

वहीं, अब इस पूरे प्रकरण पर प्रदेश के कई जाने-माने समाजसेवी भी शासन प्रशासन की कार्यशैली और लापरवाह रवैये पर सवाल उठा रहे हैं.

ऐसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा

हरिद्वार कुंभ में हुए टेस्ट के घपले का खुलासा पंजाब के रहने वाले एक एलआईसी एजेंट (LIC Agent) के माध्यम से हुआ है. पंजाब के फरीदकोट के रहने वाले एक शख्स विपिन मित्तल ने हरिद्वार कुंभ में कोविड जांच घोटाले की पोल खोली.

विपिन मित्तल के मुताबिक उन्हें उत्तराखंड की एक लैब से फोन आया था, जिसमें उन्हें बताया गया कि 'आप की रिपोर्ट निगेटिव आई है'. जिसे सुनते ही वे भौचक्के रह गए.

कोरोना टेस्ट का झोल
कोरोना टेस्ट का झोल

विपिन ने कोई कोरोना जांच नहीं कराई थी. ऐसे में विपिन ने फौरन स्थानीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी. स्थानीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैए को देखते हुए पीड़ित शख्स ने तुरंत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से शिकायत की.

आईसीएमआर ने दिखाई सतर्कता

आईसीएमआर (ICMR) ने घटना को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा. वहीं यह पूरा मामला यहीं नहीं थमा. इसके बाद उत्तराखंड सरकार से होते हुए ये शिकायत स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के पास पहुंची.

कोरोना टेस्ट का झोल
कोरोना टेस्ट का झोल

जब उन्होंने पूरे मामले की जांच कराई, तो बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए. स्वास्थ्य विभाग ने पंजाब फोन करने वाले शख्स से जुड़ी लैब की जांच की तो परत-दर-परत पोल खुलती गई. अब तक की जांच में एक लाख कोरोना रिपोर्ट फर्जी पाई गई हैं.

एसडीसी के संस्थापक ने उठाए सवाल

हरिद्वार महाकुंभ मेले में कोरोना जांच के नाम पर हुए इस बड़े फर्जीवाड़े को लेकर सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन (SDC) के संस्थापक और समाजसेवी अनूप नौटियाल ने भी शासन-प्रशासन के लापरवाह रवैये पर कई सवाल खड़े किए हैं.

उनके मुताबिक इस पूरे फर्जीवाड़े को रोका जा सकता था यदि शासन प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी अप्रैल महीने में हरिद्वार समेत प्रदेश के अन्य जनपदों की कोविड जांच के आंकड़ों पर गौर कर लेते.

कोरोना टेस्ट का झोल

डाटा में सामने आया बड़ा झोल

अनूप नौटियाल ने हरिद्वार समेत प्रदेश के अन्य 12 जनपदों में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच हुए कोविड जांच का एक डाटा साझा किया गया है. नौटियाल के मुताबिक इस पूरे डाटा पर अगर ध्यान दें, तो यह साफ पता चलता है कि 1 से 30 अप्रैल, 2021 के बीच उत्तराखंड में हुए कुल कोविड-19 टेस्ट के 58 प्रतिशत टेस्ट हरिद्वार जिले में ही हुए हैं.

इसके अलावा इस समय जब हरिद्वार में महाकुंभ मेला चल रहा था, तब भी इस तिथि में हरिद्वार जिले में पाॅजिटिविटी रेट उत्तराखंड से 80 प्रतिशत कम था. यह कैसे संभव हो सकता है, यह एक बड़ा सोचने का विषय है.

दोषियों के खिलाफ हो कार्रवाई

वहीं, लंबे इंतजार के बाद आखिरकार अब जब इस बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हो चुका है तो ऐसे में इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. अनूप नौटियाल कहते हैं कि यह जांच सिर्फ प्राइवेट लेबों पर केन्द्रित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसमें सभी सरकारी लैब और सभी एजेंसियों को कवर करना चाहिए, जो उस दौरान काम कर रहे थे.

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वहीं, इस मामले में यदि कोई लैब अथवा अधिकारी दोषी पाये जाते हैं तो उनके खिलाफ कानून के अनुसार दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए.

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