नई दिल्लीः दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना ने 'द गुजरात प्रिवेंशन ऑफ एंटी-सोशल एक्टिविटीज एक्ट' (PASAA) 1985 को मंजूरी दे दी है. साथ ही इसका प्रस्ताव गृह मंत्रालय को भेज दिया है. संभावना है कि दिल्ली में भी इस कानून को जल्द लागू किया जा सकता है. इस संबंध में LG ने सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है.
इस कानून के तहत सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए खतरनाक अपराधियों, अवैध शराब बेचने वाले, नशे के अपराधियों, यातायात कानून को तोड़ने वाले और संपत्ति हड़पने वालों की ओर से की जाने वाली असामाजिक और खतरनाक गतिविधियों को रोकने के लिए उन्हें एहतियातन हिरासत में लेने का प्रावधान है. हालांकि, गुजरात के इस चर्चित एक्ट की समय-समय पर आलोचना होती रही है. राजनीतिक दलों का कहना रहा है कि इस कानून से सरकार आवाज दबाने का काम करती है.
दिल्ली सरकार ने भेजा था प्रस्तावः दिल्ली सरकार ने 27 जून को दिल्ली में गुजरात के इस कानून को लागू करने के लिए केंद्र शासित प्रदेश कानून अधिनियम की धारा 2 के तहत अधिसूचना जारी करने के लिए प्रस्ताव उपराज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा था. दिल्ली पुलिस ने मार्च में उपराज्यपाल के साथ हुई मीटिंग में कुछ इस तरह के कानून को दिल्ली में भी लागू करने की मांग की थी.
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पुलिस को हिरासत में लेने का अधिकारः आलोचकों का मानना रहा है कि इस एक्ट के तहत आने वाले अपराध पहले से ही किसी न किसी कानून में दर्ज हैं. ऐसे में नया कानून का क्या मतलब है. PASAA के व्यापक दायरे का मतलब है कि पुलिस को संदेह के आधार पर हिरासत में लेने का अधिकार है. इस एक्ट के तहत जिला मजिस्ट्रेट या पुलिस आयुक्त को कई अहम शक्तियां दी गई है. वह धारा 3 की उपधारा (2) के तहत कार्रवाई कर सकते हैं.
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