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सिद्धू ने अमरिंदर सिंह के लिखा पत्र, किसानों पर दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग रखी

नवजोत सिंह सिद्धू ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मांग की है कि पंजाब भर में आंदोलन के दौरान हिंसा के मामलों में किसान यूनियन के विरुद्ध दर्ज किए गए नाजायज और अपराधिक एफआईआर को रद्द किया जाए.

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Published : Sep 12, 2021, 10:12 PM IST

सिद्धू
सिद्धू

चंडीगढ़ : पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू अक्सर विवादों में रहते हैं. हालांकि साल 2022 के चुनावों के चलते किसान संगठनों के साथ वह किसी तरह का विवाद नहीं चाहते, क्योंकि अध्यक्ष पद ग्रहण समारोह को दौरान दिए अपने एक बयान से वह विवादों में आ गए थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि प्यासा कुएं के पास आता है ना कि कुआं प्यासे के पास जाता है.

यह कहकर उन्होंने किसान संगठनों को उनके पास आकर बातचीत करने के लिए कहा था, लेकिन हुआ उसके उल्टा ही किसान संगठनों ने सभी राजनीतिक दलों की एक बैठक 10 सितंबर को बुलाई. जिसमें पंजाब की 32 किसान जत्थे बंधिया शामिल हुई. इस दौरान नवजोत सिंह सिद्धू से किसानों पर दर्ज मामलों को रद्द करने की मांग की थी जिसको लेकर नवजोत सिंह सिद्धू ने एक पत्र पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को लिखा है.

अपनी चिट्ठी में नवजोत सिंह सिद्धू ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मांग की है कि पंजाब भर में आंदोलन के दौरान हिंसा के मामलों में किसान यूनियन के विरुद्ध दर्ज किए गए नाजायज और अपराधिक एफआईआर को रद्द किया जाए. अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि कांग्रेस पार्टी ने आंदोलन की शुरुआत से ही किसानों की मांगों का समर्थन किया है और तीन खेती कानूनों को रद्द करने का अपना स्टैंड क्लियर रखा है.

वही एमएसपी के कानूनी करण के लिए चल रहे आंदोलन को हर तरह की संभव मदद देने का भी प्रयास किया है. ऐसे में किसानों पर दर्ज नाजायज एफआईआर को रद्द किया जाना चाहिए.

इसके अलावा उन्होंने लिखा है कि भारत सरकार द्वारा फसलों के अदायगी की जमाबंदी की मांग किसानों के साथ भी नाइंसाफी है, क्योंकि जुबानी तौर पर कहना ,मुस्ताक खाता और ठेके पर खेती करने वाले किसानों के लिए नुकसानदायक है.

उन्होंने कहा कि निजी तौर पर उनका मानना है कि इस तरह केंद्र सरकार असल में एपीएमसी और प्राइवेट मंडियां को अलग-अलग नियमों के तहत रख रही है ।जबकि एक राष्ट्र दो मंडिया बनती हुई दिखाई दे रही है जो कि भी इंसाफी है और इसके विरुद्ध हमें लड़ना चाहिए.

उन्होंने लिखा कि कृषि के लिए किए गए कांग्रेस पार्टी के कार्य और किसानों के लिए और अधिक करने की हमारी मंशा को देखते हुए यह मैं लिख रहा हूं कि पंजाब में साल 2021 2022 में कृषि के लिए अपने बजट का 10.9 फीसद आवंटित किया जो सालाना 30% की वृद्धि है, जो अन्य राज्यों द्वारा 6.3% की औसत वितरण से काफी अधिक है.

कृषि के लिए 7181 करोड़ की बिजली सब्सिडी दी गई है. उन्होंने बताया कि साल 2017 से अब तक किसानों का 5810 करोड रुपए का कर्ज माफ किया जा चुका है और हाल ही में खेत मजदूरों और भूमिहीन किसानों के 520 करोड रुपए के कर्ज माफ किए गए हैं.

कांग्रेस सरकार बल्लू फसल की खरीद में दिखाई गई कुशलता से पार्टी का हर एक वर्कर और नेता आंदोलन के हर कदम पर किसानों के साथ खड़ा है, लेकिन फिर भी हमें अक्टूबर 2020 में विधानसभा में पास किए गए अपने प्रस्ताव पर दृढ़ता से आगे बढ़ना चाहिए. हमें किसी भी कीमत पर अपने राज में तीन काले कानूनों को लागू नहीं होना देना चाहिए.

उन्होंने लिखा कि तीन काले कानूनों के खिलाफ जीत हमें जून 2020 की यथास्थिति में वापस ले जाएगी, लेकिन पंजाब की कृषि का गहराया आर्थिक संकट वैसे ही रहेगा. हमें काले कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन से भी आगे बढ़कर एक कदम उठाना चाहिए और किसानों की आमदनी बढ़ाने और पंजाब की कृषि के लिए एक रचनात्मक दृष्टिकोण पेश करने के लिए किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना चाहिए.

हमें राज्य निगमों के माध्यम से दलहन और तिलहन की खरीद शुरू करनी चाहिए क्योंकि उन्हें कृषि लागत और मूल्य आयोग सीएसीपी द्वारा एमएसपी घोषित किया गया है. कृषि विविधीकरण में और अधिक फसलों पर अवश्य बढ़ाने किसानों के हाथ में भंडारण, क्षमता सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों की विधि क्षमता को मजबूत करने और कॉर्पोरेट पर निर्भरता के बिना कृषि को व्यापार से जोड़ने के लिए निवेश किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी लिखा कि यह विजन वह सितंबर 2020 से निरंतर दे रहे हैं.

पढ़ें - पूर्वी असम में जल्द बनेगा 'नींबू वाला गांव'

यह पत्र सिद्धू के लिए बेहद अहम है, क्योंकि किसान जत्थे बंदियों के साथ हुई बैठक में सिद्धू आश्वासित करके आए थे कि वह किसानों पर दर्ज एफआईआर को रद्द करेंगे और सरकार हर एक प्रयास करेगी कि किसानों को किसी भी तरह की समस्या ना हो और किसान आंदोलन में पूर्ण तरीके से हर संभव प्रयास करेगी कि उनका आंदोलन सफल हो.

एक तरफ किसानों के साथ संपर्क साधना भी जरूरी है क्योंकि चुनावों के आधार पर देखा जाए तो 117 विधानसभा सीटों में 89 ऐसी है जहां किसान अहम भूमिका अदा करते हैं. ऐसी कोई भी राजनीतिक दल किसानों को नाराज नहीं करना चाहेगा. मुख्यमंत्री की तरफ से सिद्धू के तेवर बदले हैं और अब बयानबाजी ना कर उन्हें पत्र लिख रहे हैं देखना यह होगा कि क्या इस पत्र पर कैप्टन अमरिंदर सिंह कोई फैसला लेते हैं या फिर नहीं.

चंडीगढ़ : पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू अक्सर विवादों में रहते हैं. हालांकि साल 2022 के चुनावों के चलते किसान संगठनों के साथ वह किसी तरह का विवाद नहीं चाहते, क्योंकि अध्यक्ष पद ग्रहण समारोह को दौरान दिए अपने एक बयान से वह विवादों में आ गए थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि प्यासा कुएं के पास आता है ना कि कुआं प्यासे के पास जाता है.

यह कहकर उन्होंने किसान संगठनों को उनके पास आकर बातचीत करने के लिए कहा था, लेकिन हुआ उसके उल्टा ही किसान संगठनों ने सभी राजनीतिक दलों की एक बैठक 10 सितंबर को बुलाई. जिसमें पंजाब की 32 किसान जत्थे बंधिया शामिल हुई. इस दौरान नवजोत सिंह सिद्धू से किसानों पर दर्ज मामलों को रद्द करने की मांग की थी जिसको लेकर नवजोत सिंह सिद्धू ने एक पत्र पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को लिखा है.

अपनी चिट्ठी में नवजोत सिंह सिद्धू ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मांग की है कि पंजाब भर में आंदोलन के दौरान हिंसा के मामलों में किसान यूनियन के विरुद्ध दर्ज किए गए नाजायज और अपराधिक एफआईआर को रद्द किया जाए. अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि कांग्रेस पार्टी ने आंदोलन की शुरुआत से ही किसानों की मांगों का समर्थन किया है और तीन खेती कानूनों को रद्द करने का अपना स्टैंड क्लियर रखा है.

वही एमएसपी के कानूनी करण के लिए चल रहे आंदोलन को हर तरह की संभव मदद देने का भी प्रयास किया है. ऐसे में किसानों पर दर्ज नाजायज एफआईआर को रद्द किया जाना चाहिए.

इसके अलावा उन्होंने लिखा है कि भारत सरकार द्वारा फसलों के अदायगी की जमाबंदी की मांग किसानों के साथ भी नाइंसाफी है, क्योंकि जुबानी तौर पर कहना ,मुस्ताक खाता और ठेके पर खेती करने वाले किसानों के लिए नुकसानदायक है.

उन्होंने कहा कि निजी तौर पर उनका मानना है कि इस तरह केंद्र सरकार असल में एपीएमसी और प्राइवेट मंडियां को अलग-अलग नियमों के तहत रख रही है ।जबकि एक राष्ट्र दो मंडिया बनती हुई दिखाई दे रही है जो कि भी इंसाफी है और इसके विरुद्ध हमें लड़ना चाहिए.

उन्होंने लिखा कि कृषि के लिए किए गए कांग्रेस पार्टी के कार्य और किसानों के लिए और अधिक करने की हमारी मंशा को देखते हुए यह मैं लिख रहा हूं कि पंजाब में साल 2021 2022 में कृषि के लिए अपने बजट का 10.9 फीसद आवंटित किया जो सालाना 30% की वृद्धि है, जो अन्य राज्यों द्वारा 6.3% की औसत वितरण से काफी अधिक है.

कृषि के लिए 7181 करोड़ की बिजली सब्सिडी दी गई है. उन्होंने बताया कि साल 2017 से अब तक किसानों का 5810 करोड रुपए का कर्ज माफ किया जा चुका है और हाल ही में खेत मजदूरों और भूमिहीन किसानों के 520 करोड रुपए के कर्ज माफ किए गए हैं.

कांग्रेस सरकार बल्लू फसल की खरीद में दिखाई गई कुशलता से पार्टी का हर एक वर्कर और नेता आंदोलन के हर कदम पर किसानों के साथ खड़ा है, लेकिन फिर भी हमें अक्टूबर 2020 में विधानसभा में पास किए गए अपने प्रस्ताव पर दृढ़ता से आगे बढ़ना चाहिए. हमें किसी भी कीमत पर अपने राज में तीन काले कानूनों को लागू नहीं होना देना चाहिए.

उन्होंने लिखा कि तीन काले कानूनों के खिलाफ जीत हमें जून 2020 की यथास्थिति में वापस ले जाएगी, लेकिन पंजाब की कृषि का गहराया आर्थिक संकट वैसे ही रहेगा. हमें काले कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन से भी आगे बढ़कर एक कदम उठाना चाहिए और किसानों की आमदनी बढ़ाने और पंजाब की कृषि के लिए एक रचनात्मक दृष्टिकोण पेश करने के लिए किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना चाहिए.

हमें राज्य निगमों के माध्यम से दलहन और तिलहन की खरीद शुरू करनी चाहिए क्योंकि उन्हें कृषि लागत और मूल्य आयोग सीएसीपी द्वारा एमएसपी घोषित किया गया है. कृषि विविधीकरण में और अधिक फसलों पर अवश्य बढ़ाने किसानों के हाथ में भंडारण, क्षमता सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों की विधि क्षमता को मजबूत करने और कॉर्पोरेट पर निर्भरता के बिना कृषि को व्यापार से जोड़ने के लिए निवेश किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी लिखा कि यह विजन वह सितंबर 2020 से निरंतर दे रहे हैं.

पढ़ें - पूर्वी असम में जल्द बनेगा 'नींबू वाला गांव'

यह पत्र सिद्धू के लिए बेहद अहम है, क्योंकि किसान जत्थे बंदियों के साथ हुई बैठक में सिद्धू आश्वासित करके आए थे कि वह किसानों पर दर्ज एफआईआर को रद्द करेंगे और सरकार हर एक प्रयास करेगी कि किसानों को किसी भी तरह की समस्या ना हो और किसान आंदोलन में पूर्ण तरीके से हर संभव प्रयास करेगी कि उनका आंदोलन सफल हो.

एक तरफ किसानों के साथ संपर्क साधना भी जरूरी है क्योंकि चुनावों के आधार पर देखा जाए तो 117 विधानसभा सीटों में 89 ऐसी है जहां किसान अहम भूमिका अदा करते हैं. ऐसी कोई भी राजनीतिक दल किसानों को नाराज नहीं करना चाहेगा. मुख्यमंत्री की तरफ से सिद्धू के तेवर बदले हैं और अब बयानबाजी ना कर उन्हें पत्र लिख रहे हैं देखना यह होगा कि क्या इस पत्र पर कैप्टन अमरिंदर सिंह कोई फैसला लेते हैं या फिर नहीं.

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