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उर्वरक सब्सिडी 2021-22 में 62 प्रतिशत बढ़कर 1.3 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचने का अनुमान : रिपोर्ट

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Published : Dec 6, 2021, 11:31 PM IST

एक रिपोर्ट के मुताबिक उर्वरक सब्सिडी 2021-22 में 62 प्रतिशत बढ़कर 1.3 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचने का अनुमान है. पढ़ें पूरी खबर...

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मुंबई : केंद्र सरकार (central government) की उर्वरक सब्सिडी ( fertiliser subsidies) चालू वित्त वर्ष में 1,30,000 करोड़ रुपये पर पहुंच सकती है, जो बजटीय प्रावधान से 62 प्रतिशत अधिक है. इसकी वजह कमजोर मांग के बावजूद कच्चे माल की कीमतों में भारी है. एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

प्राकृतिक गैस और अन्य कच्चे माल की कीमतों में भारी वृद्धि से उर्वरक सब्सिडी खर्च 62 प्रतिशत या 50,000 करोड़ रुपये बढ़कर 1,30,000 करोड़ रुपये तक जा सकता है. चालू वित्त वर्ष के लिए उर्वरक सब्सिडी को बजटीय प्रावधान 79,530 करोड़ रुपये है.

क्रिसिल ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि पिछले वित्त वर्ष में बिक्री के रिकॉर्ड स्तर की तुलना में 2021-22 में 10 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है. इसके बावजूद उर्वरक सब्सिडी में 62 प्रतिशत तक वृद्धि की संभावना है.

किसानों को उर्वरक इस्तेमाल को प्रोत्साहन के लिए सरकार उनका बिक्री मूल्य बाजार दर से काफी कम रखती है और सीधे निर्माताओं को इस अंतर की प्रतिपूर्ति करती है.

लेकिन लंबे समय से इस तरह की सब्सिडी के लिए बजट प्रावधान अपर्याप्त रहा है, जिससे नियमित रूप से बकाया राशि बढ़ती रहती है. हालांकि, पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने 62,638 करोड़ रुपये के अतिरिक्त वितरण के माध्यम से बकाया राशि का भुगतान किया.

हालांकि, इसके बाद लागत में भारी वृद्धि हुई. इसमें सबसे बड़ी वृद्धि प्राकृतिक गैस में हुई.

क्रिसिल का अनुमान है कि प्राकृतिक गैस की कीमत, जो कि यूरिया संयंत्रों के उत्पादन की कुल लागत का 75-80 प्रतिशत बैठती है, इस वित्त वर्ष में 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ जाएगी.

यह गैर-यूरिया उर्वरक कंपनियों के लिए फॉस्फोरिक एसिड और अमोनिया जैसे प्रमुख कच्चे माल की कीमतों के ऊपर है.

इन सबका बोझ अब सरकार को वहन करना होगा. रिपोर्ट में अनुमान व्यक्त किया गया है कि इस वित्त वर्ष के लिए तय सब्सिडी खर्च अब 50,000 करोड़ रुपये बढ़कर 1.3 लाख करोड़ रुपये हो जायेगा.

पढ़ें- रेल भवन में भाप इंजन की जगह नजर आएगी 'वंदे भारत एक्सप्रेस' की प्रतिकृति

सरकार पहले ही गैर-यूरिया उर्वरकों के लिए 21,328 करोड़ रुपये (मई 2021 में 14,775 करोड़ रुपये और अक्टूबर 2021 में 6,553 करोड़ रुपये) की अतिरिक्त सब्सिडी की घोषणा कर चुकी है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके बावजूद व्यापक तौर पर यूरिया के लिए 30,000 करोड़ रुपये की कमी होगी.

मुंबई : केंद्र सरकार (central government) की उर्वरक सब्सिडी ( fertiliser subsidies) चालू वित्त वर्ष में 1,30,000 करोड़ रुपये पर पहुंच सकती है, जो बजटीय प्रावधान से 62 प्रतिशत अधिक है. इसकी वजह कमजोर मांग के बावजूद कच्चे माल की कीमतों में भारी है. एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

प्राकृतिक गैस और अन्य कच्चे माल की कीमतों में भारी वृद्धि से उर्वरक सब्सिडी खर्च 62 प्रतिशत या 50,000 करोड़ रुपये बढ़कर 1,30,000 करोड़ रुपये तक जा सकता है. चालू वित्त वर्ष के लिए उर्वरक सब्सिडी को बजटीय प्रावधान 79,530 करोड़ रुपये है.

क्रिसिल ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि पिछले वित्त वर्ष में बिक्री के रिकॉर्ड स्तर की तुलना में 2021-22 में 10 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है. इसके बावजूद उर्वरक सब्सिडी में 62 प्रतिशत तक वृद्धि की संभावना है.

किसानों को उर्वरक इस्तेमाल को प्रोत्साहन के लिए सरकार उनका बिक्री मूल्य बाजार दर से काफी कम रखती है और सीधे निर्माताओं को इस अंतर की प्रतिपूर्ति करती है.

लेकिन लंबे समय से इस तरह की सब्सिडी के लिए बजट प्रावधान अपर्याप्त रहा है, जिससे नियमित रूप से बकाया राशि बढ़ती रहती है. हालांकि, पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने 62,638 करोड़ रुपये के अतिरिक्त वितरण के माध्यम से बकाया राशि का भुगतान किया.

हालांकि, इसके बाद लागत में भारी वृद्धि हुई. इसमें सबसे बड़ी वृद्धि प्राकृतिक गैस में हुई.

क्रिसिल का अनुमान है कि प्राकृतिक गैस की कीमत, जो कि यूरिया संयंत्रों के उत्पादन की कुल लागत का 75-80 प्रतिशत बैठती है, इस वित्त वर्ष में 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ जाएगी.

यह गैर-यूरिया उर्वरक कंपनियों के लिए फॉस्फोरिक एसिड और अमोनिया जैसे प्रमुख कच्चे माल की कीमतों के ऊपर है.

इन सबका बोझ अब सरकार को वहन करना होगा. रिपोर्ट में अनुमान व्यक्त किया गया है कि इस वित्त वर्ष के लिए तय सब्सिडी खर्च अब 50,000 करोड़ रुपये बढ़कर 1.3 लाख करोड़ रुपये हो जायेगा.

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सरकार पहले ही गैर-यूरिया उर्वरकों के लिए 21,328 करोड़ रुपये (मई 2021 में 14,775 करोड़ रुपये और अक्टूबर 2021 में 6,553 करोड़ रुपये) की अतिरिक्त सब्सिडी की घोषणा कर चुकी है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके बावजूद व्यापक तौर पर यूरिया के लिए 30,000 करोड़ रुपये की कमी होगी.

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