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एक लेक्चरर ने बनवाई अपनी मां की फाइबर की मूर्ति - कर्नाटक लेक्चरर ने बनवाई मां की मूर्ति

एक बेटे ने अपने घर में अपनी मां की याद में उनकी फाइबर की मूर्ति स्थापित की. अब वह रोज उसकी पूजा भी करता है. गडग जिले के गगेंद्रगड़ा तालुक के लक्कलकट्टी गांव के देवन्ना बेनकावरी की मां शिवगंगम्मा (90) का पिछले साल उम्र संबंधी बीमारी के कारण निधन हो गया था.

एक लेक्चरर ने बनवाई अपनी मां की फायवर की मूर्ति
एक लेक्चरर ने बनवाई अपनी मां की फायवर की मूर्ति
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Published : Jun 14, 2022, 1:15 PM IST

Updated : Jun 14, 2022, 5:36 PM IST

गडग (कर्नाटक) : एक बेटे ने अपने घर में अपनी मां की याद में उनकी फाइबर की मूर्ति स्थापित की. अब वह रोज उसकी पूजा भी करता है. गडग जिले के गगेंद्रगड़ा तालुक के लक्कलकट्टी गांव के देवन्ना बेनकावरी की मां शिवगंगम्मा (90) का पिछले साल उम्र संबंधी बीमारी के कारण निधन हो गया था. देवन्ना पेशे से लेक्चरर हैं. उनकी मां के अलावा उनका कोई और रिश्तेदार नहीं है. मां की मौत के बाद से वह कई दिनों तक डिप्रेशन में रहे. घर में मां न होने का दर्द वह बर्दाश्त भी नहीं कर पा रहा था. उस समय उनके मन में मां की मूर्ति की स्थापना का विचार आया. 31 मई को, अपनी मां के पहले स्मरणोत्सव के हिस्से के रूप में प्रतिमा स्थापित की.

पढ़ें : कर्नाटक में खुला गधों का फार्म, मिला लाखों का ऑर्डर

उन्होंने बैंगलोर से मुरलीधर आचार्य द्वारा बनाई गई फाइबर प्रतिमा पर लगभग 3 लाख खर्च किए इसके साथ ही पंचलोहा की मूर्ति के लिए 95 हजार खर्च किए, जो होनप्पा आचार्य द्वारा बनाई गई है. इस तरह से देवन्ना ने मां ने शारीरिक रूप से मां के साथ ना रहने की कमी को दूर किया. देवन्ना अपनी मां के दसवें बेटे हैं, जो बागलकोट जिले के बीलागी के सरकारी कॉलेज में लेक्चरर के रूप में कार्यरत हैं. उनके पिता की मृत्यु को कई साल बीत चुके हैं. उनकी मां ही उनके लिए मार्गदर्शक थीं.

गडग (कर्नाटक) : एक बेटे ने अपने घर में अपनी मां की याद में उनकी फाइबर की मूर्ति स्थापित की. अब वह रोज उसकी पूजा भी करता है. गडग जिले के गगेंद्रगड़ा तालुक के लक्कलकट्टी गांव के देवन्ना बेनकावरी की मां शिवगंगम्मा (90) का पिछले साल उम्र संबंधी बीमारी के कारण निधन हो गया था. देवन्ना पेशे से लेक्चरर हैं. उनकी मां के अलावा उनका कोई और रिश्तेदार नहीं है. मां की मौत के बाद से वह कई दिनों तक डिप्रेशन में रहे. घर में मां न होने का दर्द वह बर्दाश्त भी नहीं कर पा रहा था. उस समय उनके मन में मां की मूर्ति की स्थापना का विचार आया. 31 मई को, अपनी मां के पहले स्मरणोत्सव के हिस्से के रूप में प्रतिमा स्थापित की.

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उन्होंने बैंगलोर से मुरलीधर आचार्य द्वारा बनाई गई फाइबर प्रतिमा पर लगभग 3 लाख खर्च किए इसके साथ ही पंचलोहा की मूर्ति के लिए 95 हजार खर्च किए, जो होनप्पा आचार्य द्वारा बनाई गई है. इस तरह से देवन्ना ने मां ने शारीरिक रूप से मां के साथ ना रहने की कमी को दूर किया. देवन्ना अपनी मां के दसवें बेटे हैं, जो बागलकोट जिले के बीलागी के सरकारी कॉलेज में लेक्चरर के रूप में कार्यरत हैं. उनके पिता की मृत्यु को कई साल बीत चुके हैं. उनकी मां ही उनके लिए मार्गदर्शक थीं.

Last Updated : Jun 14, 2022, 5:36 PM IST
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