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हाईकोर्ट प्राथमिकता के आधार पर स्थापित करे फास्ट ट्रैक कोर्ट: किरेन रिजिजू

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से प्राथमिकता के आधार पर शेष फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने के लिए कहा है.

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Published : Sep 16, 2022, 8:27 AM IST

Updated : Sep 16, 2022, 8:40 AM IST

Etv BharaLAW MINISTER KIREN RIJJU WRITES TO CHIEF JUSTICES OF THE HIGH COURTS TO SET UP FTCst
रिजिजू ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने के लिए कहा

नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों ने कहा है कि वे अपने राज्य सरकार के परामर्श से फास्ट ट्रैक कोर्ट (FTCs) स्थापित करें ताकि बड़े पैमाने पर लंबित मामलों से निपटा जा सके. कानून मंत्री रिजिजू ने राज्य के हाईकोर्ट को प्राथमिकता के आधार पर शेष फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने के लिए कहा है.

रिजिजू की ओर से लिखे पत्र में कहा गया है, 'मामलों का त्वरित निपटान सुनिश्चित करने और बैकलॉग को रोकने के लिए, संबंधित अदालतों को आवश्यक निर्देश और समर्थन दिया जा सकता है और फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा मामलों के समयबद्ध निपटान के लिए एक सख्त निगरानी तंत्र स्थापित किया जा सकता है.'

एफटीसी फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट हैं. पत्र में कहा गया है कि 14 वें वित्तीय आयोग ने राज्य सरकारों द्वारा 1800 एफटीसी स्थापित करने की सिफारिश की थी और 31 जुलाई, 2022 तक, देश में 896 एफटीसी चालू हैं और इनके समक्ष 13,18,427 मामले लंबित हैं. पत्र के अनुसार, हर महीने 88,000 नए मामले दर्ज किए जाते हैं और हर महीने 35,000 मामलों का निपटारा किया जाता है.

पत्र में कहा गया है कि 2019 में केंद्र प्रायोजित योजना के तहत 389 विशेष पोक्सो अदालतों सहित 1023 एफटीसी स्थापित किए गए थे. 31 मार्च, 2018 तक लंबित मामलों की संख्या 1.67 लाख थी. पत्र के अनुसार 31 जुलाई, 2022 तक 412 पोक्सो अदालतों सहित 731 अदालतें चालू हैं और 1,08,702 मामलों का निपटारा किया गया है.

ये भी पढ़ें- मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित के 14 दिनों के कार्यकाल में 5200 मामले निपटे

पत्र में कहा गया, 'जुलाई, 2022 तक, बलात्कार और पोक्सो अधिनियम के मामलों की कुल पेंडेंसी 3,28,000 से अधिक है जो एक खतरनाक स्थिति है. कानून मंत्री ने अदालतों के मुख्य न्यायाधीशों को आश्वासन दिया कि न्याय विभाग न्याय के त्वरित वितरण के लिए पूरा समर्थन देगा.

नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों ने कहा है कि वे अपने राज्य सरकार के परामर्श से फास्ट ट्रैक कोर्ट (FTCs) स्थापित करें ताकि बड़े पैमाने पर लंबित मामलों से निपटा जा सके. कानून मंत्री रिजिजू ने राज्य के हाईकोर्ट को प्राथमिकता के आधार पर शेष फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने के लिए कहा है.

रिजिजू की ओर से लिखे पत्र में कहा गया है, 'मामलों का त्वरित निपटान सुनिश्चित करने और बैकलॉग को रोकने के लिए, संबंधित अदालतों को आवश्यक निर्देश और समर्थन दिया जा सकता है और फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा मामलों के समयबद्ध निपटान के लिए एक सख्त निगरानी तंत्र स्थापित किया जा सकता है.'

एफटीसी फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट हैं. पत्र में कहा गया है कि 14 वें वित्तीय आयोग ने राज्य सरकारों द्वारा 1800 एफटीसी स्थापित करने की सिफारिश की थी और 31 जुलाई, 2022 तक, देश में 896 एफटीसी चालू हैं और इनके समक्ष 13,18,427 मामले लंबित हैं. पत्र के अनुसार, हर महीने 88,000 नए मामले दर्ज किए जाते हैं और हर महीने 35,000 मामलों का निपटारा किया जाता है.

पत्र में कहा गया है कि 2019 में केंद्र प्रायोजित योजना के तहत 389 विशेष पोक्सो अदालतों सहित 1023 एफटीसी स्थापित किए गए थे. 31 मार्च, 2018 तक लंबित मामलों की संख्या 1.67 लाख थी. पत्र के अनुसार 31 जुलाई, 2022 तक 412 पोक्सो अदालतों सहित 731 अदालतें चालू हैं और 1,08,702 मामलों का निपटारा किया गया है.

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पत्र में कहा गया, 'जुलाई, 2022 तक, बलात्कार और पोक्सो अधिनियम के मामलों की कुल पेंडेंसी 3,28,000 से अधिक है जो एक खतरनाक स्थिति है. कानून मंत्री ने अदालतों के मुख्य न्यायाधीशों को आश्वासन दिया कि न्याय विभाग न्याय के त्वरित वितरण के लिए पूरा समर्थन देगा.

Last Updated : Sep 16, 2022, 8:40 AM IST
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