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विधि आयोग को वैधानिक या संवैधानिक निकाय बनाया जाए : अदालत - मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ

मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने कहा कि सरकार आयोग को शोध करने तथा तीन महीने के अंदर अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति के लिए अधिक धन आवंटित करेगी एवं बुनियादी सुविधाएं प्रदान करेगी.

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Published : Sep 6, 2021, 10:10 PM IST

मदुरै : मद्रास उच्च न्यायालय ने केंद्र को सुझाव दिया है कि भारत के विधि आयोग को छह महीने के अंदर वैधानिक या संवैधानिक निकाय बनाया जाए. मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने कहा कि सरकार आयोग को शोध करने तथा तीन महीने के अंदर अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति के लिए अधिक धन आवंटित करेगी एवं बुनियादी सुविधाएं प्रदान करेगी.

पीठ ने कहा कि ऐसा नहीं होने पर केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय से संबद्ध कानूनी मामलों के विभाग के क्रियान्वयन प्रकोष्ठ के प्रधान सचिव और सचिव उसके समक्ष प्रस्तुत होंगे.

पीठ ने कहा कि छह महीने के अंदर प्रत्येक विभाग में विधि के क्षेत्र में योग्य अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो समय-समय पर रिपोर्टों के माध्यम से अदालतों की सिफारिशों को प्रत्येक विभाग के नीति निर्माताओं के संज्ञान में लाएंगे.

पढ़ें- पहलू खां मॉब लिंचिंग मामला : राजस्थान हाईकोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ जारी किया वारंट

न्यायाधीशों ने कहा कि क्रांतिकारी सिफारिशें करते हुए विधि आयोग द्वारा किये गये उत्कृष्ट कार्यों के मद्देनजर सरकार के लिए उचित होगा कि इसे राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और पिछड़ा वर्ग आयोग की तरह वैधानिक या संवैधानिक निकाय बनाया जाए ताकि इसकी सिफारिशें सरकार के लिए बाध्यकारी हों.

(पीटीआई-भाषा)

मदुरै : मद्रास उच्च न्यायालय ने केंद्र को सुझाव दिया है कि भारत के विधि आयोग को छह महीने के अंदर वैधानिक या संवैधानिक निकाय बनाया जाए. मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने कहा कि सरकार आयोग को शोध करने तथा तीन महीने के अंदर अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति के लिए अधिक धन आवंटित करेगी एवं बुनियादी सुविधाएं प्रदान करेगी.

पीठ ने कहा कि ऐसा नहीं होने पर केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय से संबद्ध कानूनी मामलों के विभाग के क्रियान्वयन प्रकोष्ठ के प्रधान सचिव और सचिव उसके समक्ष प्रस्तुत होंगे.

पीठ ने कहा कि छह महीने के अंदर प्रत्येक विभाग में विधि के क्षेत्र में योग्य अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो समय-समय पर रिपोर्टों के माध्यम से अदालतों की सिफारिशों को प्रत्येक विभाग के नीति निर्माताओं के संज्ञान में लाएंगे.

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न्यायाधीशों ने कहा कि क्रांतिकारी सिफारिशें करते हुए विधि आयोग द्वारा किये गये उत्कृष्ट कार्यों के मद्देनजर सरकार के लिए उचित होगा कि इसे राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और पिछड़ा वर्ग आयोग की तरह वैधानिक या संवैधानिक निकाय बनाया जाए ताकि इसकी सिफारिशें सरकार के लिए बाध्यकारी हों.

(पीटीआई-भाषा)

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