ETV Bharat / bharat

आज है साल की अंतिम सफला एकादशी, सर्वास सिद्धि योग से पूरी होगी मनोकामना - सफला एकादशी

30 दिसंबर को साल 2021 की अंतिम सुफला एकादशी है. इस बार सफला एकादशी के दिन नक्षत्रों के मिलने से अद्भुत संयोग बन रहा है. पंडित जितेन्द्र जी महाराज के अनुसार, इस व्रत को करने से मोक्ष तो मिलता ही है, मनुष्य पॉजिटिव सोच के साथ जीवन में तरक्की करता है. जानिए व्रत कथा और पूजा का विधान.

saphala-ekadashi
saphala-ekadashi
author img

By

Published : Dec 30, 2021, 6:51 AM IST

Updated : Dec 30, 2021, 7:43 AM IST

रांची : पंचांग के अनुसार 30 दिसंबर 2021 को सफला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है. शास्त्रों का मानना है कि सफला एकादशी व्रत करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है. पंडित जितेंद्र जी महाराज के अनुसार साल 2021 की अंतिम सफला एकादशी में अद्भुत संयोग बन रहा है. गुरुवार का दिन होने से और रात्रि में अनुराधा नक्षत्र मिलने से सर्वास सिद्धि योग बन रहा है. यह सिद्धि योग सफला एकादशी को विशेष बना रहा है. इस दिन व्रत रखने से बैंकुठ की प्राप्ति होती है. इस व्रत का पारण द्वादशी की तिथि में शुक्रवार को किया जाएगा.

व्रत में साफ-सफाई और दान से मिलता है मान-सम्मान

पंडित जितेन्द्र जी महाराज के अनुसार, जो भी भक्त सफला एकादशी व्रत करना चाहते हैं वह सुबह से ही फहलार पर रहें. पूजा ध्यान के बाद ईश्वर से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे. सफला एकादशी व्रत करने से अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है और मनुष्य जीवन में प्रगति करता है.

पंडित जितेन्द्र जी महाराज

सफला एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करें. पूरे घर की और खासतौर पर पूजा घर की सफाई अवश्य करें. स्नान ध्यान के बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें. उसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को केले के पत्ते पर पंचामृत, फूल और फल के साथ जल अर्पित करें.इस दिन दान का विशेष महत्व होता है. जो भक्त सफला एकादशी का व्रत करते हैं, वह केसर, केला, हल्दी, गर्म कपड़े कंबल के साथ दीप दान अवश्य करें. शास्त्रों का मानना है कि एकादशी के उपवास के साथ दान करने से धन मान-सम्मान और संतान सुख की प्राप्ति होती है.

जानिए पौष महीने की सफला एकादशी की कथा

पंडित जितेन्द्र जी महाराज बताते हैं कि इस एकादशी पर एक महत्वपूर्ण पौराणिक कथा भी है. चंपावती नगरी के राजा महिषमान हुआ करते थे. उनके 5 पुत्र थे, जिसमें उनका बड़ा पुत्र लुंपक अधर्मी एवं चरित्रहीन था. वह हमेशा ही देवी देवताओं का अपमान और निंदा करता था. मदिरापान, वेश्यागमन जैसे गंदी आदत उस में भरी थी. उसकी आदतों से दुखी होकर राजा महिषमान ने उसे अपने राज्य से बाहर कर दिया. लुंपक अपने पिता से नाराज होकर जंगल में जाकर रहने लगा. जंगल में कुछ दिन बिताने के बाद पौष माह की ठंड आई और फिर कृष्ण पक्ष की दशमी की रात कपकपाती ठंड में लुंभक सो नहीं पाया.

सर्दी के मारे उसकी हालत खराब होने लगी. अगली सुबह एकादशी का दिन था और लुंपक कंपकपाती ठंड और भूख से बेहाल होकर मूर्छित हो गया था. एकादशी के दिन सूर्य की किरणें जब उस पर पड़ी तो उसके शरीर में थोड़ी गर्मी आई तो उसे होश आया. लुंपक अपनी भूख मिटाने के लिए जंगल से कुछ फल लेकर आया और पीपल के पेड़ के पास बैठ गया.

तब तक सूर्यास्त हो चुकी थी. वह फल खाने ही वाला था तभी आकाशवाणी हुई. लुंपक को बताया गया कि उसने अनजाने में सफला एकादशी कर ली. सफला एकादशी पूर्ण होते ही उसके हाव-भाव में परिवर्तन हो गया और वह धर्म के मार्ग पर चलने लगा. उसमें सकारात्मक सोच आ गई. जिसके बाद राजा महिषमान अपने पुत्र से खुश हुए और लुंपक को राज्य का राजा बना दिया.


माना जाता है कि कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत हजारों वर्ष तक तपस्या करने से मिलने वाले पुण्य के बराबर होता है.

सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को याद कर इस मंत्र का अवश्य मंत्रोच्चारण करें.
ओम नमो भगवते वासुदेवाय
ओम ह्रीं श्री लक्ष्मीवासुदेवाय नम:
ओम नमो नारायण

रांची : पंचांग के अनुसार 30 दिसंबर 2021 को सफला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है. शास्त्रों का मानना है कि सफला एकादशी व्रत करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है. पंडित जितेंद्र जी महाराज के अनुसार साल 2021 की अंतिम सफला एकादशी में अद्भुत संयोग बन रहा है. गुरुवार का दिन होने से और रात्रि में अनुराधा नक्षत्र मिलने से सर्वास सिद्धि योग बन रहा है. यह सिद्धि योग सफला एकादशी को विशेष बना रहा है. इस दिन व्रत रखने से बैंकुठ की प्राप्ति होती है. इस व्रत का पारण द्वादशी की तिथि में शुक्रवार को किया जाएगा.

व्रत में साफ-सफाई और दान से मिलता है मान-सम्मान

पंडित जितेन्द्र जी महाराज के अनुसार, जो भी भक्त सफला एकादशी व्रत करना चाहते हैं वह सुबह से ही फहलार पर रहें. पूजा ध्यान के बाद ईश्वर से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे. सफला एकादशी व्रत करने से अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है और मनुष्य जीवन में प्रगति करता है.

पंडित जितेन्द्र जी महाराज

सफला एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करें. पूरे घर की और खासतौर पर पूजा घर की सफाई अवश्य करें. स्नान ध्यान के बाद पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें. उसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को केले के पत्ते पर पंचामृत, फूल और फल के साथ जल अर्पित करें.इस दिन दान का विशेष महत्व होता है. जो भक्त सफला एकादशी का व्रत करते हैं, वह केसर, केला, हल्दी, गर्म कपड़े कंबल के साथ दीप दान अवश्य करें. शास्त्रों का मानना है कि एकादशी के उपवास के साथ दान करने से धन मान-सम्मान और संतान सुख की प्राप्ति होती है.

जानिए पौष महीने की सफला एकादशी की कथा

पंडित जितेन्द्र जी महाराज बताते हैं कि इस एकादशी पर एक महत्वपूर्ण पौराणिक कथा भी है. चंपावती नगरी के राजा महिषमान हुआ करते थे. उनके 5 पुत्र थे, जिसमें उनका बड़ा पुत्र लुंपक अधर्मी एवं चरित्रहीन था. वह हमेशा ही देवी देवताओं का अपमान और निंदा करता था. मदिरापान, वेश्यागमन जैसे गंदी आदत उस में भरी थी. उसकी आदतों से दुखी होकर राजा महिषमान ने उसे अपने राज्य से बाहर कर दिया. लुंपक अपने पिता से नाराज होकर जंगल में जाकर रहने लगा. जंगल में कुछ दिन बिताने के बाद पौष माह की ठंड आई और फिर कृष्ण पक्ष की दशमी की रात कपकपाती ठंड में लुंभक सो नहीं पाया.

सर्दी के मारे उसकी हालत खराब होने लगी. अगली सुबह एकादशी का दिन था और लुंपक कंपकपाती ठंड और भूख से बेहाल होकर मूर्छित हो गया था. एकादशी के दिन सूर्य की किरणें जब उस पर पड़ी तो उसके शरीर में थोड़ी गर्मी आई तो उसे होश आया. लुंपक अपनी भूख मिटाने के लिए जंगल से कुछ फल लेकर आया और पीपल के पेड़ के पास बैठ गया.

तब तक सूर्यास्त हो चुकी थी. वह फल खाने ही वाला था तभी आकाशवाणी हुई. लुंपक को बताया गया कि उसने अनजाने में सफला एकादशी कर ली. सफला एकादशी पूर्ण होते ही उसके हाव-भाव में परिवर्तन हो गया और वह धर्म के मार्ग पर चलने लगा. उसमें सकारात्मक सोच आ गई. जिसके बाद राजा महिषमान अपने पुत्र से खुश हुए और लुंपक को राज्य का राजा बना दिया.


माना जाता है कि कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत हजारों वर्ष तक तपस्या करने से मिलने वाले पुण्य के बराबर होता है.

सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को याद कर इस मंत्र का अवश्य मंत्रोच्चारण करें.
ओम नमो भगवते वासुदेवाय
ओम ह्रीं श्री लक्ष्मीवासुदेवाय नम:
ओम नमो नारायण

Last Updated : Dec 30, 2021, 7:43 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.