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साहित्यकारों को बिना भय के लिखना चाहिए: जावेद अख्तर - साहित्यकारों को बिना भय के लिखना जावेद

गीतकार जावेद अख्तर (renowned film scriptwriter and lyricist Javed Akhtar ) ने कहा कि साहित्यकारों को आगे आने, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने और बिना किसी डर के अपनी राय व्यक्त करने की जरूरत है.

javed akhtar file photo
जावेद अख्तर (फाइल फोटो)
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Published : Dec 4, 2021, 2:43 AM IST

नासिक : जानेमाने फिल्म पटकथा लेखक एवं गीतकार जावेद अख्तर (renowned film scriptwriter and lyricist Javed Akhtar ) ने कहा कि साहित्यकारों को आगे आने, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने और बिना किसी डर के अपनी राय व्यक्त करने की जरूरत है.

वह यहां 94वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन (94th Akhil Bharatiya Marathi Sahitya Sammelan) के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. 94वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन शुक्रवार को नासिक में प्रसिद्ध साहित्यकार विश्वास पाटिल ने किया. यहां भुजबल नॉलेज सिटी के कुसुमराज नगरी में हो रहे कार्यक्रम का आयोजन लोकहितवाड़ी मंडल की ओर से किया गया है.

अख्तर ने कहा कि भाषा हमारे देश में एक बाधा बन जाती है. हम धीरे-धीरे संकीर्ण होते जा रहे हैं. भाषा एक वाहन है जो संस्कृति को चलाती है. राजा और राजनेता कला को तब तक प्यार करते हैं जब तक कि वह सुंदरता को चित्रित करे लेकिन जब वह दर्द, लोगों के आंसू के बारे में वास्तविकता को चित्रित करती है, तो वे आहत हो जाते हैं.

यह भी पढ़ें- आरएसएस पर टिप्पणी को लेकर विवाद, जावेद अख्तर के आवास पर बढ़ाई गई सुरक्षा

उन्होंने कहा कि जैसे संसद में सत्ताधारी और विपक्षी दल आवश्यक हैं, यह आवश्यक है कि ऐसे नागरिक हों जो निडर होकर बोल और लिख सकें. उन्होंने कहा कि किसी साहित्यकार को किसी राजनीति दल से संबंधित नहीं होना चाहिए नहीं तो यह उसे एक विशिष्ट रुख लेने को मजबूर करेगा.

(पीटीआई भाषा)

नासिक : जानेमाने फिल्म पटकथा लेखक एवं गीतकार जावेद अख्तर (renowned film scriptwriter and lyricist Javed Akhtar ) ने कहा कि साहित्यकारों को आगे आने, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने और बिना किसी डर के अपनी राय व्यक्त करने की जरूरत है.

वह यहां 94वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन (94th Akhil Bharatiya Marathi Sahitya Sammelan) के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. 94वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन शुक्रवार को नासिक में प्रसिद्ध साहित्यकार विश्वास पाटिल ने किया. यहां भुजबल नॉलेज सिटी के कुसुमराज नगरी में हो रहे कार्यक्रम का आयोजन लोकहितवाड़ी मंडल की ओर से किया गया है.

अख्तर ने कहा कि भाषा हमारे देश में एक बाधा बन जाती है. हम धीरे-धीरे संकीर्ण होते जा रहे हैं. भाषा एक वाहन है जो संस्कृति को चलाती है. राजा और राजनेता कला को तब तक प्यार करते हैं जब तक कि वह सुंदरता को चित्रित करे लेकिन जब वह दर्द, लोगों के आंसू के बारे में वास्तविकता को चित्रित करती है, तो वे आहत हो जाते हैं.

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उन्होंने कहा कि जैसे संसद में सत्ताधारी और विपक्षी दल आवश्यक हैं, यह आवश्यक है कि ऐसे नागरिक हों जो निडर होकर बोल और लिख सकें. उन्होंने कहा कि किसी साहित्यकार को किसी राजनीति दल से संबंधित नहीं होना चाहिए नहीं तो यह उसे एक विशिष्ट रुख लेने को मजबूर करेगा.

(पीटीआई भाषा)

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