देहरादून : उत्तराखंड के जोशीमठ के रैणी गांव में आई आपदा के बाद से ही लगातार राहत बचाव कार्य जारी हैं. वहीं आपदा आने की असल वजह के पीछे के कारणों को भी वैज्ञानिक ढूंढने में लगे हैं. हाल ही में वैज्ञानिकों को रैणी गांव के पास एक झील दिखाई दी है. जिसके बाद से अब वैज्ञानिक इस झील की जानकारी हासिल करने में जुट गए हैं. यह झील कितनी बड़ी है या कितनी खतरनाक हो सकती है अभी तक इसकी स्थिति स्पष्ट नहीं है.
हालांकि वैज्ञानिकों के अनुसार इस झील को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. लिहाजा इससे जुड़ी हर एक जानकारी लगातार जुटाई जा रही है. ईटीवी भारत से बातचीत में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ कालाचंद साईं ने बताया कि वाडिया की 5 सदस्यों की टीम इस समय रैणी गांव में मौजूद है, जो एरियल सर्वे कर रहे हैं. एरियल सर्वे के दौरान इस बात की जानकारी मिली कि ऋषि गंगा में एक झील बनी हुई है.
अभी फिलहाल यह अनुमान जताया जा रहा है कि ये झील हाल में ही तैयार हुई है. यही नहीं, रैणी गांव के समीप बनी इस झील के बारे में हर छोटी-बड़ी जानकारी जुटाई जा रही है. तथ्यों के सामने आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी कि यह झील खतरनाक है या नहीं?
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डायरेक्टर कालाचंद साईं ने बताया कि अभी यह स्थिति भी स्पष्ट नहीं हो पाई है कि यह झील कैसे बनी. साथ ही कालाचंद साईं ने बताया कि अगर यह झील पुरानी हुई तो इतनी आसानी से यह टूटने वाली नहीं है. मगर अगर यह झील हाल ही में बनी है तो इसके टूटने के आसार हैं. उन्होंने कहा इसकी वास्तविक स्थिति स्टडी के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी. उन्होंने बताया कि यह झील ऋषि गंगा वैली में ही है.