ETV Bharat / bharat

Watch : लद्दाख के सीबकथोर्न फल को मिला GI टैग, अब मिलेगी अलग पहचान

लद्दाख में पाए जाने वाले सीबकथोर्न फल (Seabuckthorn fruit) को जीआई टैग प्रदान किया गया है. इससे अब इस फल देश के अलावा विदेशों में एक विशिष्ट पहचान मिल सकेगी. पढ़िए पूरी खबर... ladakh seabuckthorn fruit gets gi tag, Seabuckthorn Get GI Tag, Ldakh fruits, ladakh Famous Fruit

ladakh seabuckthorn fruit gets gi tag
लद्दाख के सीबकथोर्न फल को मिला GI टैग
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 18, 2023, 4:57 PM IST

Updated : Nov 18, 2023, 5:18 PM IST

देखें वीडियो

श्रीनगर: लद्दाख में पाए जाने वाले सीबकथोर्न फल (Seabuckthorn fruit) को अब देश के अलावा विदेशों में एक विशिष्ट पहचान मिल सकेगी. क्योंकि सीबकथार्न फल को जीआई टैग (भौगोलिक संकेतक) मिल गया है. बता दें कि उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय ने श्रेणी 31 के अंतर्गत लद्दाख उद्योग एवं वाणिज्य विभाग को लद्दाख सीबकथोर्न फल के लिए पंजीकृत मालिक के रूप में अधिकृत किया गया है.

लद्दाख के लिए यह चौथा जीआई टैग होगा. इससे पहले लद्दाख की पश्मीना, खुबानी (रक्तसे कारपो प्रजाति) और लद्दाखी लकड़ी की नक्काशी को भी जीआई टैग प्रदान किया जा चुका है. जीआई टैग के रूप में विशेष विशिष्टता प्राप्त करने वाला लद्दाख का दूसरा फल सीबकथोर्न है. इस फल को खाने से व्यक्ति को डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल आदि बीमारियों से राहत मिलती है. इतना ही नहीं सीबकथोर्न फल में पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और फास्फोरस पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें विटामिन-बी1, बी2, बी6, सी और विटामिन ई पाया जाता है.

वहीं समुद्री हिरन कांटा उत्पादों के कई पोषण संबंधी और चिकित्सीय लाभ हैं. लद्दाख क्षेत्र में यह प्राकृतिक रूप से 11,500 हेक्टेयर में फैला हुआ है. सूखा-प्रतिरोधी होने के अलावा पौधा शून्य से 43 से 40 डिग्री सेल्सियस तक के अत्यधिक ठंडे तापमान को सहन कर सकता है. इन दो गुणों के कारण झाड़ीदार प्रजाति ठंडे रेगिस्तानों के लिए बिल्कुल उपयुक्त है. चूंकि समुद्री हिरन कांटा पारंपरिक रूप से ईंधन, औषधीय, पोषण संबंधी पूरक के रूप में उपयोग किया जाता रहा है. इसे अन्य नामों जैसे वंडर प्लांट, लद्दाख गोल्ड, गोल्डन बुश या ठंडे रेगिस्तान की सोने की खान आदि नाम से भी जाना जाता है.

ये भी पढ़ें - GI Tag : इस राज्य के 6 उत्पादों को मिला जीआई टैग, 2022-23 में रहा टॉप पर

देखें वीडियो

श्रीनगर: लद्दाख में पाए जाने वाले सीबकथोर्न फल (Seabuckthorn fruit) को अब देश के अलावा विदेशों में एक विशिष्ट पहचान मिल सकेगी. क्योंकि सीबकथार्न फल को जीआई टैग (भौगोलिक संकेतक) मिल गया है. बता दें कि उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय ने श्रेणी 31 के अंतर्गत लद्दाख उद्योग एवं वाणिज्य विभाग को लद्दाख सीबकथोर्न फल के लिए पंजीकृत मालिक के रूप में अधिकृत किया गया है.

लद्दाख के लिए यह चौथा जीआई टैग होगा. इससे पहले लद्दाख की पश्मीना, खुबानी (रक्तसे कारपो प्रजाति) और लद्दाखी लकड़ी की नक्काशी को भी जीआई टैग प्रदान किया जा चुका है. जीआई टैग के रूप में विशेष विशिष्टता प्राप्त करने वाला लद्दाख का दूसरा फल सीबकथोर्न है. इस फल को खाने से व्यक्ति को डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल आदि बीमारियों से राहत मिलती है. इतना ही नहीं सीबकथोर्न फल में पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और फास्फोरस पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें विटामिन-बी1, बी2, बी6, सी और विटामिन ई पाया जाता है.

वहीं समुद्री हिरन कांटा उत्पादों के कई पोषण संबंधी और चिकित्सीय लाभ हैं. लद्दाख क्षेत्र में यह प्राकृतिक रूप से 11,500 हेक्टेयर में फैला हुआ है. सूखा-प्रतिरोधी होने के अलावा पौधा शून्य से 43 से 40 डिग्री सेल्सियस तक के अत्यधिक ठंडे तापमान को सहन कर सकता है. इन दो गुणों के कारण झाड़ीदार प्रजाति ठंडे रेगिस्तानों के लिए बिल्कुल उपयुक्त है. चूंकि समुद्री हिरन कांटा पारंपरिक रूप से ईंधन, औषधीय, पोषण संबंधी पूरक के रूप में उपयोग किया जाता रहा है. इसे अन्य नामों जैसे वंडर प्लांट, लद्दाख गोल्ड, गोल्डन बुश या ठंडे रेगिस्तान की सोने की खान आदि नाम से भी जाना जाता है.

ये भी पढ़ें - GI Tag : इस राज्य के 6 उत्पादों को मिला जीआई टैग, 2022-23 में रहा टॉप पर

Last Updated : Nov 18, 2023, 5:18 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.