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कच्छ इलाके में भारी पड़ती है धर्म व जाति की राजनीति, बड़े चेहरे तय करते हैं चुनावी जीत - बड़े चेहरे तय करते हैं चुनावी जीत

सभी राजनीतिक दलों के लिए कच्छ गुजरात का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बना हुआ था. वैसे तो यहां के लोगों को परिवर्तन का प्रतीक कहा जाता है. 2001 के भूकंप के बाद कच्छ ने विकास की लंबी यात्रा तय की है. इसने दुनिया के सामने गुजरात की छवि को ऊंचा किया है.

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कच्छ की राजनीति
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Published : Dec 8, 2022, 8:07 AM IST

Updated : Dec 8, 2022, 3:56 PM IST

कच्छ : विधानसभा चुनाव के परिणाम आने लगे हैं. बस कुछ ही देर में सारी तस्वीर साफ हो जाएगी. एकबार फिर से सभी राजनीतिक दलों की नजर कच्छ इलाके पर थी. सभी राजनीतिक दलों के लिए कच्छ गुजरात का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बना हुआ था. वैसे तो यहां के लोगों को परिवर्तन का प्रतीक कहा जाता है. 2001 के भूकंप के बाद कच्छ ने विकास की लंबी यात्रा तय की है. इसने दुनिया के सामने गुजरात की छवि को ऊंचा किया है.

दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ कच्छ के लोग किस पार्टी की राजनीति को स्वीकार करते हैं, यह देखने वाली बात होगी. कच्छ काफी विकसित हुआ है और अभी भी अपार संभावनाएं हैं. मरुस्थलीय क्षेत्र अपनी असाधारण पर्यटन क्षमता को लेकर सरकार की छवि सुधारने का काम भी कच्छ करता रहा है. विकास के मामले को लेकर कच्छ में हार-जीत का फैसला वोटर बड़ी बारीकी से करते हैं. यहां के मतदाता बड़े चेहरे वाले और जाति और धर्म से जुड़े व्यक्ति को भी जीत दिलाया करते हैं.

चुनाव में 3 असरदार फैक्टर
इस इलाके में कहा जाता है कि धर्म, जाति और चेहरा कच्छ का चुनाव हो या गुजरात का चुनाव, सिर्फ 3 फैक्टर ही असरदार रहते हैं. धर्म, जाति और चेहरा को प्रभावी फैक्टर कहा जा रहा हैं. यहां कई विकास कार्य काफी समय से लंबित है. अबकी बार यह मुद्दा भी प्रभावी हो सकता है. पहले चुनावी जंग सिर्फ कांग्रेस और बीजेपी के बीच थी, लेकिन अब आम आदमी पार्टी भी मैदान में उतर गई है. कहा जा रहा है कि भले ही आप को कच्छ इलाके में एक भी सीट न मिले, लेकिन वह बाकी दलों पर असर जरूर दिखाएगी. सत्ता विरोधी वोटों में सेंध लगाकर आप कांग्रेस को हरा भी सकती है. चुनाव में नर्मदा का पानी, सड़क, सीवरेज आदि का असर देखा जाएगा. केवल जाति, धर्म और चेहरे पर अबकी बार कितना वोट पड़ा है, यह हार-जीत के फैसले के बाद ही तय होगा.

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुनावी रैली

ऐसे हैं यहां के आंकड़े
कच्छ के सीमावर्ती जिले की बात करें तो जिले में विधानसभा की 6 सीटें हैं. कच्छ इलाके में भुज, पश्चिम कच्छ में मांडवी-मुंद्रा, अब्दासा और पूर्वी कच्छ में गांधीधाम, अंजार और रापर में विधानसभा सीटें हैं. फिलहाल देखा जाय तो कच्छ वर्षों से भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रहा है. गुजरात विधानसभा की 6 सीटों में से वर्तमान में भी 5 सीटों पर काबिज विधायक भारतीय जनता पार्टी के ही हैं, जबकि एक मात्र सीट पर कांग्रेस का विधायक है. निवर्तमान विधायकों में भुज निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा विधायक डॉ. निमाबेन आचार्य, अबदासा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के विधायक प्रद्युम्नसिंह जडेजा, मांडवी-मुंद्रा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक वीरेंद्रसिंह जडेजा, अंजार निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा विधायक वासन अहीर, गांधीधाम निर्वाचन क्षेत्र से विधायक मालतीबेन माहेश्वरी, कांग्रेस विधायक संतोकबेन अरेठिया रापर निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए थे.

मतदाताओं की संख्या
कच्छ जिले की छह सीटों पर 16 लाख 19 हजार 338 मतदाता हैं. जिनमें 8 लाख 38 हजार 504 पुरुष मतदाता हैं, जबकि महिलाओं की संख्या 7 लाख 80 हजार 884 है. यहां पुरुष मतदाताओं की संख्या महिलाओं की संख्या से अधिक है. यहां राजनीतिक दलों की जीत या हार तय करने के लिए महिला मतदाता पर्याप्त संख्या में हैं.

कच्छ का जातिगत समीकरण
कच्छ के जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां अहीर, अनुसूचित जाति और मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं की संख्या अधिक है. उसके बाद रबारी, ब्राह्मण, लेउवा पटेल, कदवा पटेल और क्षत्रिय समुदाय के वोटरों की संख्या है. कच्छ के शहरी क्षेत्र जैसे भुज, गांधीधाम, जहां टेलीविजन के प्रभाव से प्रचार किया जाता है और जहां शिक्षित लोगों के भाजपा में जाने की संभावना अधिक होती है. गांधीधाम की सीट एक आरक्षित सीट है, वहां एक सीट बीजेपी को मिला करती है. यहां के मुस्लिम वोटर भी बीजेपी से ताल्लुक रखते हैं. भुज सीट भी बीजेपी के खाते में जाने की संभावना बतायी जाती रही है. मांडवी सीट भी बीजेपी के खाते में जा सकती है. लेकिन इस बार बीजेपी को 3 और कांग्रेस को 3 सीटें मिलने की संभावना जतायी जा रही है.

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केजरीवाल की चुनावी रैली

भुज में सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता
भुज में सबसे ज्यादा मतदाता मुस्लिम समुदाय से आते हैं, लेकिन वहां कई सालों से भाजपा ही जीत रही है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में मुस्लिम मतदाता बंट जाते हैं. बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी होने के बावजूद ऐसा माना जाता है कि कुछ लोग भाजपा को भी वोट देते हैं.

भुज विधानसभा सीट
कच्छ इलाके की भुज विधानसभा सीट में पाटीदारों, दलितों और मुसलमानों की बड़ी आबादी है. इनके अलावा लोहाना, जैन और ब्राह्मण जातियों के लोग भी मिलते हैं. यहां 51 फीसदी पुरुष और 49 फीसदी महिलाएं हैं. यहां शिक्षा अनुपात 87 प्रतिशत है, जिसमें पुरुषों और महिलाओं का शिक्षा अनुपात क्रमशः 91 प्रतिशत और 82 प्रतिशत है.

अंजार विधानसभा सीट
कच्छ इलाके की अंजार विधानसभा सीट पर अहीरों, दलितों और मुसलमानों की बड़ी आबादी रहती है. रबारी के अलावा लेउवा पटेल, कदवा पटेल और क्षत्रिय जाति के लोग भी पाए जाते हैं. यहां 53 फीसदी पुरुष और 47 फीसदी महिलाएं हैं. यहां शिक्षा अनुपात 73 प्रतिशत है, जिसमें पुरुषों और महिलाओं का शिक्षा अनुपात क्रमशः 86 प्रतिशत और 73 प्रतिशत है.

मांडवी विधानसभा सीट
कच्छ इलाके की मांडवी विधानसभा सीट पर क्षत्रियों, दलितों और मुसलमानों की आबादी ज्यादा है. इनके अलावा कदवा पटेल, लेउवा पटेल, गढ़वी और ब्राह्मण जाति के लोग भी मिलते हैं. यहां 51 फीसदी पुरुष और 49 फीसदी महिलाएं हैं. यहां पढ़ाई की मात्रा 75 फीसदी है, जिसमें पुरुषों और महिलाओं का शिक्षा अनुपात क्रमशः 72 प्रतिशत और 58 प्रतिशत है. मांडवी विधानसभा सीट में कच्छ, मांडवी और मुंद्रा के दो तालुका आते हैं.

अब्दासा विधानसभा सीट
कच्छ इलाके की अब्दासा विधानसभा सीट पर मुसलमानों, कदवा पटेलों, दलितों और क्षत्रियों की बड़ी आबादी रहती है. इनके अलावा रबारी, कोली और भानुशाली जाति के लोग भी मिलते हैं. यहां का शिक्षा अनुपात 67.27 प्रतिशत है, जिसमें पुरुषों और महिलाओं का शिक्षा अनुपात क्रमश: 64.53 प्रतिशत और 47.97 प्रतिशत है.

गांधीधाम विधानसभा सीट
कच्छ इलाके की गांधीधाम विधानसभा सीट पर दलितों, अहीरों और मुसलमानों की बड़ी आबादी है. इनके अलावा सिंधी, लेउवा पटेल, रबारी और ब्राह्मण जाति के लोग भी मिलते हैं. यहां 54 फीसदी पुरुष और 46 फीसदी महिलाएं हैं. यहां शिक्षा अनुपात 78 प्रतिशत है, जिसमें पुरुषों और महिलाओं का शिक्षा अनुपात क्रमशः 90 प्रतिशत और 76 प्रतिशत है.

रापर विधानसभा सीट
कच्छ इलाके की रापर विधानसभा सीट में कोली, लेउवा पटेल, दलित और राजपूत की आबादी ज्यादा है. रबारी, क्षत्रिय और अहीर जाति के लोग भी देखे जाते हैं. यहां शिक्षा का अनुपात 54.76 प्रतिशत है, जिसमें पुरुषों और महिलाओं का अनुपात क्रमशः 54.42 प्रतिशत और 34.45 प्रतिशत है.

कच्छ : विधानसभा चुनाव के परिणाम आने लगे हैं. बस कुछ ही देर में सारी तस्वीर साफ हो जाएगी. एकबार फिर से सभी राजनीतिक दलों की नजर कच्छ इलाके पर थी. सभी राजनीतिक दलों के लिए कच्छ गुजरात का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बना हुआ था. वैसे तो यहां के लोगों को परिवर्तन का प्रतीक कहा जाता है. 2001 के भूकंप के बाद कच्छ ने विकास की लंबी यात्रा तय की है. इसने दुनिया के सामने गुजरात की छवि को ऊंचा किया है.

दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ कच्छ के लोग किस पार्टी की राजनीति को स्वीकार करते हैं, यह देखने वाली बात होगी. कच्छ काफी विकसित हुआ है और अभी भी अपार संभावनाएं हैं. मरुस्थलीय क्षेत्र अपनी असाधारण पर्यटन क्षमता को लेकर सरकार की छवि सुधारने का काम भी कच्छ करता रहा है. विकास के मामले को लेकर कच्छ में हार-जीत का फैसला वोटर बड़ी बारीकी से करते हैं. यहां के मतदाता बड़े चेहरे वाले और जाति और धर्म से जुड़े व्यक्ति को भी जीत दिलाया करते हैं.

चुनाव में 3 असरदार फैक्टर
इस इलाके में कहा जाता है कि धर्म, जाति और चेहरा कच्छ का चुनाव हो या गुजरात का चुनाव, सिर्फ 3 फैक्टर ही असरदार रहते हैं. धर्म, जाति और चेहरा को प्रभावी फैक्टर कहा जा रहा हैं. यहां कई विकास कार्य काफी समय से लंबित है. अबकी बार यह मुद्दा भी प्रभावी हो सकता है. पहले चुनावी जंग सिर्फ कांग्रेस और बीजेपी के बीच थी, लेकिन अब आम आदमी पार्टी भी मैदान में उतर गई है. कहा जा रहा है कि भले ही आप को कच्छ इलाके में एक भी सीट न मिले, लेकिन वह बाकी दलों पर असर जरूर दिखाएगी. सत्ता विरोधी वोटों में सेंध लगाकर आप कांग्रेस को हरा भी सकती है. चुनाव में नर्मदा का पानी, सड़क, सीवरेज आदि का असर देखा जाएगा. केवल जाति, धर्म और चेहरे पर अबकी बार कितना वोट पड़ा है, यह हार-जीत के फैसले के बाद ही तय होगा.

Kutch Region Politics Key Seats Gujarat Election Results 2022 Live Updates
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुनावी रैली

ऐसे हैं यहां के आंकड़े
कच्छ के सीमावर्ती जिले की बात करें तो जिले में विधानसभा की 6 सीटें हैं. कच्छ इलाके में भुज, पश्चिम कच्छ में मांडवी-मुंद्रा, अब्दासा और पूर्वी कच्छ में गांधीधाम, अंजार और रापर में विधानसभा सीटें हैं. फिलहाल देखा जाय तो कच्छ वर्षों से भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रहा है. गुजरात विधानसभा की 6 सीटों में से वर्तमान में भी 5 सीटों पर काबिज विधायक भारतीय जनता पार्टी के ही हैं, जबकि एक मात्र सीट पर कांग्रेस का विधायक है. निवर्तमान विधायकों में भुज निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा विधायक डॉ. निमाबेन आचार्य, अबदासा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के विधायक प्रद्युम्नसिंह जडेजा, मांडवी-मुंद्रा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक वीरेंद्रसिंह जडेजा, अंजार निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा विधायक वासन अहीर, गांधीधाम निर्वाचन क्षेत्र से विधायक मालतीबेन माहेश्वरी, कांग्रेस विधायक संतोकबेन अरेठिया रापर निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए थे.

मतदाताओं की संख्या
कच्छ जिले की छह सीटों पर 16 लाख 19 हजार 338 मतदाता हैं. जिनमें 8 लाख 38 हजार 504 पुरुष मतदाता हैं, जबकि महिलाओं की संख्या 7 लाख 80 हजार 884 है. यहां पुरुष मतदाताओं की संख्या महिलाओं की संख्या से अधिक है. यहां राजनीतिक दलों की जीत या हार तय करने के लिए महिला मतदाता पर्याप्त संख्या में हैं.

कच्छ का जातिगत समीकरण
कच्छ के जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां अहीर, अनुसूचित जाति और मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं की संख्या अधिक है. उसके बाद रबारी, ब्राह्मण, लेउवा पटेल, कदवा पटेल और क्षत्रिय समुदाय के वोटरों की संख्या है. कच्छ के शहरी क्षेत्र जैसे भुज, गांधीधाम, जहां टेलीविजन के प्रभाव से प्रचार किया जाता है और जहां शिक्षित लोगों के भाजपा में जाने की संभावना अधिक होती है. गांधीधाम की सीट एक आरक्षित सीट है, वहां एक सीट बीजेपी को मिला करती है. यहां के मुस्लिम वोटर भी बीजेपी से ताल्लुक रखते हैं. भुज सीट भी बीजेपी के खाते में जाने की संभावना बतायी जाती रही है. मांडवी सीट भी बीजेपी के खाते में जा सकती है. लेकिन इस बार बीजेपी को 3 और कांग्रेस को 3 सीटें मिलने की संभावना जतायी जा रही है.

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केजरीवाल की चुनावी रैली

भुज में सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता
भुज में सबसे ज्यादा मतदाता मुस्लिम समुदाय से आते हैं, लेकिन वहां कई सालों से भाजपा ही जीत रही है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में मुस्लिम मतदाता बंट जाते हैं. बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी होने के बावजूद ऐसा माना जाता है कि कुछ लोग भाजपा को भी वोट देते हैं.

भुज विधानसभा सीट
कच्छ इलाके की भुज विधानसभा सीट में पाटीदारों, दलितों और मुसलमानों की बड़ी आबादी है. इनके अलावा लोहाना, जैन और ब्राह्मण जातियों के लोग भी मिलते हैं. यहां 51 फीसदी पुरुष और 49 फीसदी महिलाएं हैं. यहां शिक्षा अनुपात 87 प्रतिशत है, जिसमें पुरुषों और महिलाओं का शिक्षा अनुपात क्रमशः 91 प्रतिशत और 82 प्रतिशत है.

अंजार विधानसभा सीट
कच्छ इलाके की अंजार विधानसभा सीट पर अहीरों, दलितों और मुसलमानों की बड़ी आबादी रहती है. रबारी के अलावा लेउवा पटेल, कदवा पटेल और क्षत्रिय जाति के लोग भी पाए जाते हैं. यहां 53 फीसदी पुरुष और 47 फीसदी महिलाएं हैं. यहां शिक्षा अनुपात 73 प्रतिशत है, जिसमें पुरुषों और महिलाओं का शिक्षा अनुपात क्रमशः 86 प्रतिशत और 73 प्रतिशत है.

मांडवी विधानसभा सीट
कच्छ इलाके की मांडवी विधानसभा सीट पर क्षत्रियों, दलितों और मुसलमानों की आबादी ज्यादा है. इनके अलावा कदवा पटेल, लेउवा पटेल, गढ़वी और ब्राह्मण जाति के लोग भी मिलते हैं. यहां 51 फीसदी पुरुष और 49 फीसदी महिलाएं हैं. यहां पढ़ाई की मात्रा 75 फीसदी है, जिसमें पुरुषों और महिलाओं का शिक्षा अनुपात क्रमशः 72 प्रतिशत और 58 प्रतिशत है. मांडवी विधानसभा सीट में कच्छ, मांडवी और मुंद्रा के दो तालुका आते हैं.

अब्दासा विधानसभा सीट
कच्छ इलाके की अब्दासा विधानसभा सीट पर मुसलमानों, कदवा पटेलों, दलितों और क्षत्रियों की बड़ी आबादी रहती है. इनके अलावा रबारी, कोली और भानुशाली जाति के लोग भी मिलते हैं. यहां का शिक्षा अनुपात 67.27 प्रतिशत है, जिसमें पुरुषों और महिलाओं का शिक्षा अनुपात क्रमश: 64.53 प्रतिशत और 47.97 प्रतिशत है.

गांधीधाम विधानसभा सीट
कच्छ इलाके की गांधीधाम विधानसभा सीट पर दलितों, अहीरों और मुसलमानों की बड़ी आबादी है. इनके अलावा सिंधी, लेउवा पटेल, रबारी और ब्राह्मण जाति के लोग भी मिलते हैं. यहां 54 फीसदी पुरुष और 46 फीसदी महिलाएं हैं. यहां शिक्षा अनुपात 78 प्रतिशत है, जिसमें पुरुषों और महिलाओं का शिक्षा अनुपात क्रमशः 90 प्रतिशत और 76 प्रतिशत है.

रापर विधानसभा सीट
कच्छ इलाके की रापर विधानसभा सीट में कोली, लेउवा पटेल, दलित और राजपूत की आबादी ज्यादा है. रबारी, क्षत्रिय और अहीर जाति के लोग भी देखे जाते हैं. यहां शिक्षा का अनुपात 54.76 प्रतिशत है, जिसमें पुरुषों और महिलाओं का अनुपात क्रमशः 54.42 प्रतिशत और 34.45 प्रतिशत है.

Last Updated : Dec 8, 2022, 3:56 PM IST
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