हैदराबाद : केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कुलाधिपति का पद छोड़ने की घोषणा की है. उन्होंने अपने फैसले के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पिछले दिनों कुछ ऐसा हुआ, जिससे मुझे यह निर्णय लेना पड़ा. मैं विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में काम नहीं कर सकता. मैं उसके कारण पर चर्चा नहीं करूंगा क्योंकि इसमें राष्ट्रीय संस्थान शामिल हैं.
बता दें कि सरकार और राज्यपाल में विवाद तब शुरू हुआ जब कन्नूर विश्वविद्यालय के रिटायर्ड कुलपति गोपीनाथ रवींद्रन को नवंबर महीने में चार साल का विस्तार दिया गया. यह विवाद तब और बढ़ गया जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को मानद डी लिट देने की राज्यपाल की सिफारिश को केरल यूनिवर्सिटी ने खारिज कर दिया. तब यह चर्चा हुई कि प्रदेश सरकार के इशारे पर केरल यूनिवर्सिटी ने राज्यपाल की सिफारिश को रद्द कर दिया था.
इसके बाद आरिफ मोहम्मद खान ने सार्वजनिक तौर से कुलाधिपति की जिम्मेदारी छोड़ने की चेतावनी दी. उन्होंने बतौर चांसलर आने वाली सभी फाइलों को सीएम के ऑफिस में भेजने का आदेश दे दिया. राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि सीएम विजयन अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर कानून बदल दें और चांसलर का पद ले लें, उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.
राज्यपाल ने सुझाव दिया कि सरकार उन्हें विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के पद से हटाने के लिए विधानसभा का एक विशेष सत्र बुला सकती है या ऑर्डिनेंस ला सकती है. अगर सरकार ऐसा करती है तो वह उस पर तुरंत हस्ताक्षर कर देंगे.
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने LDF की गठबंधन सरकार पर राज्य में कुलपतियों की नियुक्ति में हस्तक्षेप का आरोप लगा चुके हैं. उन्होंने पहले भी बयान जारी कर कहा था कि वह ऐसे माहौल में काम करने में सक्षम नहीं हैं, जहां विश्वविद्यालय के कामकाज में बहुत अधिक राजनीतिक हस्तक्षेप मिलता है. उन्होंने कहा था कि LDF के राज में विश्वविद्यालय (University) की स्वायत्तता पूरी तरह से खत्म हो रही है.
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