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कुलगाम में आतंकियों का शिकार बने सतीश का अंतिम संस्कार

एक दिन बाद भी सिंह के घर से लोगों के रोने एवं सिसकने की आवाज सुनी जा सकती है, क्योंकि उनके परिवार के सदस्य एवं पड़ोसी अबतक उनकी मौत पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं. आज सतीश कुमार सिंह का पार्थिव शरीर घर पहुंचा. पार्थिव शरीर को जब उसके पैतृक क्षेत्र लाया गया तो मातम का माहौल था. गांववालों ने चिता के लिए लकड़ियां इकट्ठा कीं और अंतिम संस्कार संपन्न कराया.

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Published : Apr 14, 2022, 10:32 PM IST

Updated : Apr 14, 2022, 11:05 PM IST

कुलगाम
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कुलगाम : कई दशकों के आतंकवाद के बाद भी कश्मीर घाटी में ठहरे रहे राजपूत समुदाय के लोगों के मन में अब कुलगाम जिले के काकरण में एक आतंकवादी द्वारा एक राजपूत की हत्या के बाद भय एवं अनिश्चितता समा गयी है और वे सुरक्षित स्थान पर जाने पर विचार कर रहे हैं. बुधवार शाम को सतीश कुमार सिंह (50) की उनके घर पर गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों पर हाल में चुनिंदा ढंग से कई हमले हुए हैं.

एक दिन बाद भी सिंह के घर से लोगों के रोने एवं सिसकने की आवाज सुनी जा सकती है, क्योंकि उनके परिवार के सदस्य एवं पड़ोसी अबतक उनकी मौत पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं. आज सतीश कुमार सिंह का पार्थिव शरीर घर पहुंचा. पार्थिव शरीर को जब उसके पैतृक क्षेत्र लाया गया तो मातम का माहौल था. स्थानीय मुसलमानों ने उनके अंतिम संस्कार में भाग लिया और इस घटना की कड़ी निन्दा की. गांववालों ने चिता के लिए लकड़ियां इकट्ठा कीं और अंतिम संस्कार संपन्न कराया. उनमें से कई लोग राजपूत परिवारों के साथ अपने दोस्ताना संबंधों की चर्चा कर रहे थे.

सतीश का अंतिम संस्कार संपन्न

वहीं, पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, मुहम्मद यूसुफ तारिगामी, नजीर अहमद लावे और अन्य राजनीतिक नेताओं ने घटना की कड़ी निंदा की है. उन्होंने इसे अमानवीय कदम बताया है. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी ऐसी घटना को निन्दनीय बताया है. सतीश सिंह की हत्या के बाद उनके पड़ोसी मुसलमान स्तब्ध हैं. हमला करने के लिए अकेले आतंकवादी ने इफ्तार का वक्त चुना जब मुस्लिम पड़ोसी पवित्र रमजान महीने में अपना रोजा खोलने के लिए मस्जिदों में नमाज में व्यस्त थे. पड़ोसी अब्दुल रहमान ने कहा, 'हमने अबतक कुछ खाया नहीं है. पूरा गांव शोकाकुल है. सिंह बहुत ही नेक इंसान थे.'

सतीश कुमार सिंह के भाई बिटू सिंह ने कहा कि वह प्राइवेट लोड कैरियर ड्राइवर के रूप में काम कर रहे थे. उन्होंने कभी किसी का कोई नुकसान नहीं किया. सतीश कुमार सिंह के परिवार में वृद्धा मां, पत्नी, तीन बेटियां हैं. कुछ पड़ोसी परिवार के सदस्यों को ढांढस बंधाते नजर आए. उन्होंने कहा कि वे तीन पीढ़ियों से इस गांव में रह रहे हैं और तब भी यहीं रूके रहे जब 1990 के दशक के प्रांरभ में आतंकवाद ने सिर उठाया एवं कश्मीरी पंडित सामूहिक रूप से घाटी से चले गये. उन्होंने कहा, 'हमें अतीत में कभी डर महसूस नहीं हुआ. हम गांव में आठ राजपूत परिवार हैं और पुलिस गार्ड स्थानीय मंदिर पर तैनात किया गया है.'

उन्होंने कहा कि लेकिन अब समुदाय घाटी से जाने पर विचार कर रहा है. उन्होंने उस पोस्टर का हवाला दिया जिसमें हिंदुओं को कश्मीर से चले जाने को कहा गया है. कुलगाम से कई बार विधानसभा चुनाव जीत चुके माकपा नेता एम वाई तारिगामी ने सिंह की हत्या की निंदा की. उत्तरी कश्मीर में बारामूला जिले के वीरान गांव में धमकी भरा पत्र बुधवार को आया. लश्कर-ए-इस्लामी नामक अब तक अज्ञात संगठन ने गांव के बाशिंदों को धमकी दी है. इस गांव में कश्मीरी पंडितों का एक समूह रहता है.

पढ़ें : कुलगाम में सतीश की हत्या से क्षेत्रवासी दुखी, आतंकियों ने मारी थी गोली

पुलिस ने कहा कि यह मामला हमारे पास आया है. उसका संज्ञान लिया गया है और जांच शुरू की गयी है. हम पत्र की विश्वसनीयता एवं प्रमाणिकता का परीक्षण कर रहे हैं. पुलिस ने कहा कि यह धमकी व्यावहारिक नहीं जान पड़ती है, क्योंकि यह आतंकवादी संगठन अस्तित्व में नहीं जान पड़ता है, यह पत्र भी बिना दस्तखत वाला है एवं डाक के जरिए भेजा गया है. पहले ही उठाये गये सुरक्षा एवं एहतियात कदम ठोस हैं. लेकिन एहतियातन फिर से मूल्यांकन किया जा रहा है.

कुलगाम : कई दशकों के आतंकवाद के बाद भी कश्मीर घाटी में ठहरे रहे राजपूत समुदाय के लोगों के मन में अब कुलगाम जिले के काकरण में एक आतंकवादी द्वारा एक राजपूत की हत्या के बाद भय एवं अनिश्चितता समा गयी है और वे सुरक्षित स्थान पर जाने पर विचार कर रहे हैं. बुधवार शाम को सतीश कुमार सिंह (50) की उनके घर पर गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों पर हाल में चुनिंदा ढंग से कई हमले हुए हैं.

एक दिन बाद भी सिंह के घर से लोगों के रोने एवं सिसकने की आवाज सुनी जा सकती है, क्योंकि उनके परिवार के सदस्य एवं पड़ोसी अबतक उनकी मौत पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं. आज सतीश कुमार सिंह का पार्थिव शरीर घर पहुंचा. पार्थिव शरीर को जब उसके पैतृक क्षेत्र लाया गया तो मातम का माहौल था. स्थानीय मुसलमानों ने उनके अंतिम संस्कार में भाग लिया और इस घटना की कड़ी निन्दा की. गांववालों ने चिता के लिए लकड़ियां इकट्ठा कीं और अंतिम संस्कार संपन्न कराया. उनमें से कई लोग राजपूत परिवारों के साथ अपने दोस्ताना संबंधों की चर्चा कर रहे थे.

सतीश का अंतिम संस्कार संपन्न

वहीं, पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, मुहम्मद यूसुफ तारिगामी, नजीर अहमद लावे और अन्य राजनीतिक नेताओं ने घटना की कड़ी निंदा की है. उन्होंने इसे अमानवीय कदम बताया है. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी ऐसी घटना को निन्दनीय बताया है. सतीश सिंह की हत्या के बाद उनके पड़ोसी मुसलमान स्तब्ध हैं. हमला करने के लिए अकेले आतंकवादी ने इफ्तार का वक्त चुना जब मुस्लिम पड़ोसी पवित्र रमजान महीने में अपना रोजा खोलने के लिए मस्जिदों में नमाज में व्यस्त थे. पड़ोसी अब्दुल रहमान ने कहा, 'हमने अबतक कुछ खाया नहीं है. पूरा गांव शोकाकुल है. सिंह बहुत ही नेक इंसान थे.'

सतीश कुमार सिंह के भाई बिटू सिंह ने कहा कि वह प्राइवेट लोड कैरियर ड्राइवर के रूप में काम कर रहे थे. उन्होंने कभी किसी का कोई नुकसान नहीं किया. सतीश कुमार सिंह के परिवार में वृद्धा मां, पत्नी, तीन बेटियां हैं. कुछ पड़ोसी परिवार के सदस्यों को ढांढस बंधाते नजर आए. उन्होंने कहा कि वे तीन पीढ़ियों से इस गांव में रह रहे हैं और तब भी यहीं रूके रहे जब 1990 के दशक के प्रांरभ में आतंकवाद ने सिर उठाया एवं कश्मीरी पंडित सामूहिक रूप से घाटी से चले गये. उन्होंने कहा, 'हमें अतीत में कभी डर महसूस नहीं हुआ. हम गांव में आठ राजपूत परिवार हैं और पुलिस गार्ड स्थानीय मंदिर पर तैनात किया गया है.'

उन्होंने कहा कि लेकिन अब समुदाय घाटी से जाने पर विचार कर रहा है. उन्होंने उस पोस्टर का हवाला दिया जिसमें हिंदुओं को कश्मीर से चले जाने को कहा गया है. कुलगाम से कई बार विधानसभा चुनाव जीत चुके माकपा नेता एम वाई तारिगामी ने सिंह की हत्या की निंदा की. उत्तरी कश्मीर में बारामूला जिले के वीरान गांव में धमकी भरा पत्र बुधवार को आया. लश्कर-ए-इस्लामी नामक अब तक अज्ञात संगठन ने गांव के बाशिंदों को धमकी दी है. इस गांव में कश्मीरी पंडितों का एक समूह रहता है.

पढ़ें : कुलगाम में सतीश की हत्या से क्षेत्रवासी दुखी, आतंकियों ने मारी थी गोली

पुलिस ने कहा कि यह मामला हमारे पास आया है. उसका संज्ञान लिया गया है और जांच शुरू की गयी है. हम पत्र की विश्वसनीयता एवं प्रमाणिकता का परीक्षण कर रहे हैं. पुलिस ने कहा कि यह धमकी व्यावहारिक नहीं जान पड़ती है, क्योंकि यह आतंकवादी संगठन अस्तित्व में नहीं जान पड़ता है, यह पत्र भी बिना दस्तखत वाला है एवं डाक के जरिए भेजा गया है. पहले ही उठाये गये सुरक्षा एवं एहतियात कदम ठोस हैं. लेकिन एहतियातन फिर से मूल्यांकन किया जा रहा है.

Last Updated : Apr 14, 2022, 11:05 PM IST
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