बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ट्विटर इंक द्वारा दायर उस याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया जिसमें कंपनी ने सामग्री हटाने और ब्लॉक करने संबंधी इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आदेश को चुनौती दी थी. इसके साथ ही अदालत ने कहा कि कंपनी की याचिका का कोई आधार नहीं है. न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित की एकल पीठ ने ट्विटर कंपनी पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया और इसे 45 दिनों के भीतर कर्नाटक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने का आदेश दिया.
अदालत ने फैसले के मुख्य हिस्से को पढ़ते हुए कहा, 'उपरोक्त परिस्थितियों में यह याचिका आधार रहित होने के कारण अनुकरणीय जुर्माने के साथ खारिज की जा सकती है और तदनुसार ऐसा किया जाता है. याचिकाकर्ता पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाता है जो 45 दिनों के अंदर कर्नाटक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बेंगलुरु को देय है। यदि इसमें देरी की जाती है, तो इस पर प्रति दिन 5,000 रुपये का अतिरिक्त शुल्क लगेगा.' न्यायाधीश ने ट्विटर की याचिका खारिज करते हुए कहा, 'मैं केंद्र की इस दलील से सहमत हूं कि उनके पास ट्वीट को ब्लॉक करने और एकाउंट पर रोक लगाने की शक्ति है.'
केंद्र सरकार के दस-ब्लॉक आदेश में ट्विटर को फरवरी 2021 और फरवरी 2022 के बीच 39 यूआरएल को हटाने का निर्देश दिया गया था. याचिका में ट्विटर ने कुल 1,474 खातों और 175 ट्विटर यूआरएल में से केवल 39 यूआरएल को ब्लॉक करने के आदेश को चुनौती दी थी. केंद्र सरकार के आदेश की अवहेलना करते हुए अचानक ट्विटर ने कोर्ट में याचिका दायर कर दी. ट्विटर एक अरब डॉलर की कंपनी है, किसानों और श्रमिकों की तरह नहीं. इसलिए पीठ ने कहा कि जुर्माना लगाया गया है.
(पीटीआई-भाषा)