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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी : पावन दिन पर रखें व्रत, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं

श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रमास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. हर साल इस तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन विधि-विधान से भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत भी रखा जाता है.

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
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Published : Aug 30, 2021, 10:22 AM IST

नई दिल्ली : देशभर में आज भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी मनाई जा रही है. जन्माष्टमी यानी भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव, गोकुल-मथुरा समेत देशभर में ये त्योहार बेहद धूमधाम से मनाया जाता है.

श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रमास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. हर साल इस तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन विधि-विधान से भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत भी रखा जाता है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. तो आइये, जानें इस पावन दिन पर होने वाली पूजा की विधि और नियम.

पूजा- विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं. घर के मंदिर में साफ-सफाई कर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. सभी देवी- देवताओं का जलाभिषेक करें. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा करें. पहले लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करें. इसके बाद उनकी आरती कर उन्हें झूले में बैठाएं.

इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है. लड्डू गोपाल को मिश्री, मेवा का भोग भी लगाएं. लड्डू गोपाल की सेवा पुत्र की तरह करें. झूले में उन्हें झूलाएं.

इस दिन रात्रि पूजा का महत्व होता है, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात में हुआ था. रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करें.

इन नियमों का करें पालन

इस पावन दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के साथ ही गाय की भी पूजा करें. पूजा स्थल पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति के साथ गाय की मूर्ति भी रखें. पूजा सुंदर और साफ आसन में बैठकर की जानी चाहिए. भगवान श्री कृष्ण का गंगा जल से अभिषेक जरूर करें.

नई दिल्ली : देशभर में आज भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी मनाई जा रही है. जन्माष्टमी यानी भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव, गोकुल-मथुरा समेत देशभर में ये त्योहार बेहद धूमधाम से मनाया जाता है.

श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रमास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. हर साल इस तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन विधि-विधान से भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत भी रखा जाता है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. तो आइये, जानें इस पावन दिन पर होने वाली पूजा की विधि और नियम.

पूजा- विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं. घर के मंदिर में साफ-सफाई कर घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. सभी देवी- देवताओं का जलाभिषेक करें. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा करें. पहले लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करें. इसके बाद उनकी आरती कर उन्हें झूले में बैठाएं.

इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है. लड्डू गोपाल को मिश्री, मेवा का भोग भी लगाएं. लड्डू गोपाल की सेवा पुत्र की तरह करें. झूले में उन्हें झूलाएं.

इस दिन रात्रि पूजा का महत्व होता है, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात में हुआ था. रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करें.

इन नियमों का करें पालन

इस पावन दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के साथ ही गाय की भी पूजा करें. पूजा स्थल पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति के साथ गाय की मूर्ति भी रखें. पूजा सुंदर और साफ आसन में बैठकर की जानी चाहिए. भगवान श्री कृष्ण का गंगा जल से अभिषेक जरूर करें.

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