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राष्ट्रपति कोविंद ने वरिष्ठ वकीलों से महात्मा गांधी का अनुकरण करने एवं गरीबों की नि:स्वार्थ सेवा की अपील की - नि:स्वार्थ सेवा की अपील की

महात्मा गांधी की जयंती पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को वरिष्ठ वकीलों से राष्ट्रपिता के पदचिह्नों पर चलने एवं गरीबों को कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए कुछ वक्त निकालने की अपील की. उन्होंने यह बातें नाल्सा के छह सप्ताह तक चलने वाले 'अखिल भारतीय कानूनी जागरूकता एवं संपर्क अभियान' की शुरुआत के अवसर पर कहीं.

राष्ट्रपति कोविंद
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Published : Oct 2, 2021, 10:33 PM IST

नई दिल्ली : महात्मा गांधी की 152वीं जयंती पर दक्षिण अफ्रीका में बंधुआ मजदूरों के लिए उनके द्वारा किए गए नि:स्वार्थ कार्य का हवाला देते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को वरिष्ठ वकीलों से राष्ट्रपिता के पदचिह्नों पर चलने एवं गरीबों को कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए कुछ वक्त निकालने की अपील की.

राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकरण (नाल्सा) के छह सप्ताह तक चलने वाले 'अखिल भारतीय कानूनी जागरूकता एवं संपर्क अभियान' की शुरुआत पर कोविंद ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि देश का लक्ष्य 'महिला विकास' से 'महिलाओं के नेतृत्व में विकास' की दिशा में आगे बढ़ना होना चाहिए. राष्ट्रपति से पहले दिए अपने भाषण में प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना ने 'स्वस्थ लोकतंत्र' के लिए 'दीप्तमान न्यायपालिका' को जरूरी बताया तथा न्याय की सुलभता, देश में लोकंतंत्र को मजबूत करने तथा उपरी न्यायपालिका में नियुक्ति के वास्ते नामों को मंजूरी देने में सरकार का 'सहयोग एवं समर्थन' मांगा.

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यदि कमजोर वर्ग अपने अधिकारों का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे तो समान न्याय की संवैधानिक गारंटी अर्थहीन हो जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विशेष रूप से गरीबों को 'न्याय तक समावेशी पहुंच' प्रदान किए बिना स्थायी और समावेशी विकास हासिल नहीं किया जा सकता. केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजीजू ने कहा कि त्वरित एवं सुगम न्याय लोगों की 'वैध आशा' है तथा उसे सुनिश्चित करना राज्य के विभिन्न अंगों की सामूहिक जिम्मेदारी है.

राष्ट्रपति कोविंद ने महात्मा गांधी की चर्चा करते हुए कहा कि गरीबों की मदद के लिए उन्होंने (गांधी ने) नि:स्वार्थ काम किया तथा दक्षिण अफ्रीका में बंधुआ मजदूर बिना किसी शुल्क के प्रशासन एवं अदालतों के समक्ष उनके मुद्दों को उठाने के लिए उनकी ओर आशाभरी निगाहों से देखते थे. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ वकीलों को कमजोर तबके के लोगों की नि:स्वार्थ सेवा करने के लिए अपना कुछ समय तय करना चाहिए.

ये भी पढ़ें - शीघ्र और वहनीय न्याय पाना लोगों की ‘वैध अपेक्षा’ : कानून मंत्री

वरिष्ठतम न्यायाधीश एवं नाल्सा के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति यूयू ललित ने वरिष्ठ वकीलों से प्रति वर्ष कम से कम तीन मामलों में नि:शुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने की अपील की क्योंकि इससे कानूनी सहायता मांगने वालों में विश्वास पैदा होगा. कोविंद ने कहा कि महात्मा गांधी मानवता की सेवा के प्रतीक हैं जिसमें दबे-कुचलों को न्याय दिलाने में उनकी सहायता करना भी शामिल है. उन्होंने गांधी जयंती पर यह जागरूकता अभियान शुरू करने पर नाल्सा को बधाई दी.

उन्होंने कहा कि 125 साल से अधिक समय पहले गांधीजी ने कुछ मिशालें पेश की जो आज भी विधि बिरादरी के लिए प्रासंगिक है. राष्ट्रपति ने कहा, 'दक्षिण अफ्रीका में अपने पहले बड़े मामले में गांधीजी ने संबंधित पक्षों को अदालत के बाहर समझौते का सुझाव दिया. संबंधित पक्ष मध्यस्थ पर राजी हो गये जिसने सुनवाई की और गांधी जी के मुवक्किल के पक्ष में फैसला सुनाया. इससे दूसरे पक्ष पर भारी वित्तीय बोझ आ गया. गांधी जी ने अपने मुवक्किल को हारे हुए पक्ष को विस्तारित अवधि में आसान किश्तों में भुगतान करने की अनुमति देने के लिए राजी कर लिया.'

कोविंद ने कहा, 'बाद में देानों पक्षों ने इस समाधान से राहत महसूस की. उससे पहले मुकदमे का खर्च दोनों पक्षों को नुकसान पहुंचा रहा था. उस अनुभव ने गांधी जी के विचार को बल दिया कि अदालत के बाहर समाधान मुकदमाबाजी की तुलना में अच्छा है.' उन्होंने कहा, 'एक देश के तौर पर हमारा लक्ष्य महिला विकास से महिलाओं के नेतृत्व में विकास की दिशा में आगे बढ़ना होना चाहिए. इसलिए कानूनी संगठनों में महिलाओं की संख्या बढ़ाना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि महिला लाभार्थियों की अधिकाधिक संख्या तक पहुंचना.'

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राष्ट्रपति ने कहा कि जिलास्तर पर पैनल में शामिल 47,000 से अधिक वकीलों में 11,000 महिलाएं हैं तथा करीब 44,000 पराविधिक स्वयंसेवक (वकीलों के सहायक) में करीब 17,000 महिलाएं हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया है कि नाल्सा वकीलों एवं विधि स्वयंसेवकों को जोड़कर काम को और समावेशी बनने का प्रयास कर रहा है. राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संघर्ष की अगुवाई कई वकीलों ने की जिन्होंने समाज को और प्रगतिशील बनाने की भी कोशिश की तथा उन्होंने न्याय, आजादी, समानता एवं भाईचारा पर आधारित समाज की कल्पना की.

कोविंद ने कहा, 'इन मूल सिद्धांतों को हमारे संविधानों में जगह दी गयी. आजादी के बाद से हमने इन संवैधानिक लक्ष्यों को साकार करने में काफी प्रगति की है लेकिन अपने इन पुरखों द्वारा चिन्हित गंतव्य तक पहुंचने के लिए अभी काफी कुछ करना बाकी है.'

न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि इस साल मई से कॉलेजियम ने उच्च न्यायालयों के लिए 106 न्यायाधीशों एवं विभिन्न उच्च न्यायालयों के लिए नौ मुख्य न्यायाधीशों की सिफारिश की है. उन्होंने कहा, 'सरकार ने कुछ को मंजूरी दे दी है और कानून मंत्री ने मुझे बताया कि बाकी पर एक-दो दिनों में मंजूरी मिलने जा रही है. मैं इन रिक्तियों को भरने में मंजूरी देने एवं इंसाफ की शीघ्र सुलभता सुनिश्चित करने को लेकर सरकार को धन्यवाद देता हूं.' उन्होंने कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए मजबूत न्यायपालिका आवश्यक है.

रिजीजू ने कहा कि नाल्सा लोगों के द्वार तक न्याय पहुंचाने का अनुकरणीय कार्य कर रहा है. उन्होंने कहा, 'नाल्सा एवं राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरणों ने जमीनी स्तर पर कानूनी सहायता एवं सशक्तिकरण की ठोस व्यवस्था विकसित की है जिसपर हर व्यक्ति को नाज हो सकता है. नाल्सा कानूनी जागरूकता पैदाकर न्याय पहुंचाने में अनुकरणीय भूमिका निभा रहा है.' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने न्याय की सुलभता तथा जीवन आसान बनाने पर ध्यान दिया है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : महात्मा गांधी की 152वीं जयंती पर दक्षिण अफ्रीका में बंधुआ मजदूरों के लिए उनके द्वारा किए गए नि:स्वार्थ कार्य का हवाला देते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को वरिष्ठ वकीलों से राष्ट्रपिता के पदचिह्नों पर चलने एवं गरीबों को कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए कुछ वक्त निकालने की अपील की.

राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकरण (नाल्सा) के छह सप्ताह तक चलने वाले 'अखिल भारतीय कानूनी जागरूकता एवं संपर्क अभियान' की शुरुआत पर कोविंद ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि देश का लक्ष्य 'महिला विकास' से 'महिलाओं के नेतृत्व में विकास' की दिशा में आगे बढ़ना होना चाहिए. राष्ट्रपति से पहले दिए अपने भाषण में प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना ने 'स्वस्थ लोकतंत्र' के लिए 'दीप्तमान न्यायपालिका' को जरूरी बताया तथा न्याय की सुलभता, देश में लोकंतंत्र को मजबूत करने तथा उपरी न्यायपालिका में नियुक्ति के वास्ते नामों को मंजूरी देने में सरकार का 'सहयोग एवं समर्थन' मांगा.

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यदि कमजोर वर्ग अपने अधिकारों का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे तो समान न्याय की संवैधानिक गारंटी अर्थहीन हो जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विशेष रूप से गरीबों को 'न्याय तक समावेशी पहुंच' प्रदान किए बिना स्थायी और समावेशी विकास हासिल नहीं किया जा सकता. केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजीजू ने कहा कि त्वरित एवं सुगम न्याय लोगों की 'वैध आशा' है तथा उसे सुनिश्चित करना राज्य के विभिन्न अंगों की सामूहिक जिम्मेदारी है.

राष्ट्रपति कोविंद ने महात्मा गांधी की चर्चा करते हुए कहा कि गरीबों की मदद के लिए उन्होंने (गांधी ने) नि:स्वार्थ काम किया तथा दक्षिण अफ्रीका में बंधुआ मजदूर बिना किसी शुल्क के प्रशासन एवं अदालतों के समक्ष उनके मुद्दों को उठाने के लिए उनकी ओर आशाभरी निगाहों से देखते थे. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ वकीलों को कमजोर तबके के लोगों की नि:स्वार्थ सेवा करने के लिए अपना कुछ समय तय करना चाहिए.

ये भी पढ़ें - शीघ्र और वहनीय न्याय पाना लोगों की ‘वैध अपेक्षा’ : कानून मंत्री

वरिष्ठतम न्यायाधीश एवं नाल्सा के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति यूयू ललित ने वरिष्ठ वकीलों से प्रति वर्ष कम से कम तीन मामलों में नि:शुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने की अपील की क्योंकि इससे कानूनी सहायता मांगने वालों में विश्वास पैदा होगा. कोविंद ने कहा कि महात्मा गांधी मानवता की सेवा के प्रतीक हैं जिसमें दबे-कुचलों को न्याय दिलाने में उनकी सहायता करना भी शामिल है. उन्होंने गांधी जयंती पर यह जागरूकता अभियान शुरू करने पर नाल्सा को बधाई दी.

उन्होंने कहा कि 125 साल से अधिक समय पहले गांधीजी ने कुछ मिशालें पेश की जो आज भी विधि बिरादरी के लिए प्रासंगिक है. राष्ट्रपति ने कहा, 'दक्षिण अफ्रीका में अपने पहले बड़े मामले में गांधीजी ने संबंधित पक्षों को अदालत के बाहर समझौते का सुझाव दिया. संबंधित पक्ष मध्यस्थ पर राजी हो गये जिसने सुनवाई की और गांधी जी के मुवक्किल के पक्ष में फैसला सुनाया. इससे दूसरे पक्ष पर भारी वित्तीय बोझ आ गया. गांधी जी ने अपने मुवक्किल को हारे हुए पक्ष को विस्तारित अवधि में आसान किश्तों में भुगतान करने की अनुमति देने के लिए राजी कर लिया.'

कोविंद ने कहा, 'बाद में देानों पक्षों ने इस समाधान से राहत महसूस की. उससे पहले मुकदमे का खर्च दोनों पक्षों को नुकसान पहुंचा रहा था. उस अनुभव ने गांधी जी के विचार को बल दिया कि अदालत के बाहर समाधान मुकदमाबाजी की तुलना में अच्छा है.' उन्होंने कहा, 'एक देश के तौर पर हमारा लक्ष्य महिला विकास से महिलाओं के नेतृत्व में विकास की दिशा में आगे बढ़ना होना चाहिए. इसलिए कानूनी संगठनों में महिलाओं की संख्या बढ़ाना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि महिला लाभार्थियों की अधिकाधिक संख्या तक पहुंचना.'

ये भी पढ़ें - राष्ट्रपति ने लोगों से भारत को गांधी के सपनों का देश बनाने का संकल्प लेने को कहा

राष्ट्रपति ने कहा कि जिलास्तर पर पैनल में शामिल 47,000 से अधिक वकीलों में 11,000 महिलाएं हैं तथा करीब 44,000 पराविधिक स्वयंसेवक (वकीलों के सहायक) में करीब 17,000 महिलाएं हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया है कि नाल्सा वकीलों एवं विधि स्वयंसेवकों को जोड़कर काम को और समावेशी बनने का प्रयास कर रहा है. राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संघर्ष की अगुवाई कई वकीलों ने की जिन्होंने समाज को और प्रगतिशील बनाने की भी कोशिश की तथा उन्होंने न्याय, आजादी, समानता एवं भाईचारा पर आधारित समाज की कल्पना की.

कोविंद ने कहा, 'इन मूल सिद्धांतों को हमारे संविधानों में जगह दी गयी. आजादी के बाद से हमने इन संवैधानिक लक्ष्यों को साकार करने में काफी प्रगति की है लेकिन अपने इन पुरखों द्वारा चिन्हित गंतव्य तक पहुंचने के लिए अभी काफी कुछ करना बाकी है.'

न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि इस साल मई से कॉलेजियम ने उच्च न्यायालयों के लिए 106 न्यायाधीशों एवं विभिन्न उच्च न्यायालयों के लिए नौ मुख्य न्यायाधीशों की सिफारिश की है. उन्होंने कहा, 'सरकार ने कुछ को मंजूरी दे दी है और कानून मंत्री ने मुझे बताया कि बाकी पर एक-दो दिनों में मंजूरी मिलने जा रही है. मैं इन रिक्तियों को भरने में मंजूरी देने एवं इंसाफ की शीघ्र सुलभता सुनिश्चित करने को लेकर सरकार को धन्यवाद देता हूं.' उन्होंने कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए मजबूत न्यायपालिका आवश्यक है.

रिजीजू ने कहा कि नाल्सा लोगों के द्वार तक न्याय पहुंचाने का अनुकरणीय कार्य कर रहा है. उन्होंने कहा, 'नाल्सा एवं राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरणों ने जमीनी स्तर पर कानूनी सहायता एवं सशक्तिकरण की ठोस व्यवस्था विकसित की है जिसपर हर व्यक्ति को नाज हो सकता है. नाल्सा कानूनी जागरूकता पैदाकर न्याय पहुंचाने में अनुकरणीय भूमिका निभा रहा है.' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने न्याय की सुलभता तथा जीवन आसान बनाने पर ध्यान दिया है.

(पीटीआई-भाषा)

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