थुथुकुडी : तमिलनाडु के पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से थूथुकुडी जिले में आदिचनल्लुर, शिवकलाई और कोरकाई में पुरातात्विक खुदाई 26 फरवरी से चल रही है. 1968 और 1969 में हुए तमिलनाडु के पुरातत्व सर्वेक्षण के बाद से खुदाई शुरू की जा चुकी है.
यह खुदाई तमिलनाडु के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के गठन के बाद की गई पहली खुदाई है. खुदाई के दौरान यह निर्धारित किया गया कि कोरकाई शहर 2800 साल पुराना था. कहा जाता है कि यहां एक बंदरगाह था और यहां से समुद्री परिवहन और आयात होता था. साथ ही यह पांड्य राजा की राजधानी बन गया था.
52 वर्षों के बाद तमिलनाडु के पुरातात्विक सर्वेक्षण की ओर से प्राचीन बंदरगाह शहर कोरकाई में पुरातात्विक खुदाई चल रही है. उत्खनन निदेशक थंगथुराई के नेतृत्व में उत्खननकर्ता 25 से अधिक लोगों को नियुक्ति की गई है, जिनमें असैथम्बी और कालीश्वरन शामिल हैं. इस खुदाई कार्य के लिए कोरकाई क्षेत्र में 11 गड्ढे खोदे गए हैं.
कोरकाई में उत्खनन ने एक 2800 साल पुरानी ईंट संरचना को उजागर किया है. इस ईंट निर्माण की सभी ईंटें बड़े आकार की हैं. इसी तरह एक शंख गड्ढे में मिला और विघटित अवस्था में पाया गया है. जो इस बात की पुष्टि करता है कि शंख उद्योग इस क्षेत्र में 2800 साल पहले हुआ था और कई रूपों में भी पाया जाता था.
पत्थर एक ही गड्ढे में शंख रखने के लिए उपयोग किए जाते थे. इन खुदाई गड्ढों में भी कई पुरावशेष हैं जैसे शंकु, शंकु चूड़ी के टुकड़े, लोहे व स्टील के टुकड़े, काली और लाल मिट्टी के बर्तनों की टाइलें, खरोंच और मार्कर पाए गए हैं. इस प्रकार यह उत्खनन कार्य बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
कोरकाई का बंदरगाह एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र रहा है. पिछले निरीक्षण में मिली वस्तुओं को तेनकासी जिले के कोर्टालम डिपॉजिटरी में प्रदर्शित किया गया था. एक तमिल तमिल विद्वान कैलडवेल ने लिखा है कि जब उन्होंने क्षेत्र की खुदाई की तो उन्हें गली में सभी शंकु और विदेशी सिक्के मिले. खुदाई के दौरान यहां और वहां बहुत सारे शंकु अभी भी पाए जाते हैं.
जब कोरकाई की पूर्ण खुदाई के परिणाम जारी किए जाएंगे तो वह समय आएगा जब दुनिया तमिल के गौरव के बारे में बेहतर जान सकेगी. इसलिए पुरातत्वविदों को खुदाई का बेसब्री से इंतजार है. लेखक मुथलंकुरिची कमरसु के अनुसार, कोरकाई में एक बहुत पुराना गणेश मंदिर था. इसमें कई शिलालेख थे. ये शिलालेख पीले रंग से ढके हुए थे.
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मंदिर को पुनर्निर्मित करने की आवश्यकता है ताकि प्राचीनता को बदले बिना शिलालेख बाहर पर दिखाई दें. इसी प्रकार सार्वजनिक रुप से देखने के लिए कोरकाई बंदरगाह के स्थल पर एक मॉडल पोर्ट स्थापित किया जाना चाहिए. मुख्यमंत्री रहते हुए एमजीआर ने इसके लिए व्यवस्था की थी. तब से यह योजना टल गई. उन्होंने कहा था कि कोरकाई क्षेत्र की बेहतर कल्पना की जानी चाहिए.