मुंबई : भीमा कोरेगांव हिंसा (Bhima Koregaon violence) मामले में कोरेगांव भीमा जांच आयोग (Koregaon Bhima Commission of Inquiry) ने दो शीर्ष आईपीएस अधिकारियों को समन भेजा है. जांच आयोग ने शुक्रवार को तलब करने का आदेश पारित किया.
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह (former Mumbai Police Commissioner Param Bir Singh) और आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला (IPS officer Rashmi Shukla) को 8 नवंबर 2021 को जांच आयोग के सामने पेश होने को कहा गया है.
संयोग से महाराष्ट्र सरकार ने एक अन्य मामले में इस सप्ताह की शुरुआत में बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि सिंह, जो अब होम गार्ड के महानिदेशक हैं, वह लापता हैं.
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जेएन पटेल, जो जांच आयोग के प्रमुख हैं उन्होंने अधिवक्ता आशीष सतपुते द्वारा दायर एक आवेदन पर दो आईपीएस अधिकारियों की उपस्थिति की मांग करते हुए आदेश पारित किया.
आयोग के वकील सतपुते ने कहा कि सिंह प्रासंगिक अवधि के दौरान अतिरिक्त महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) थे, इसलिए उन्हें सच्चे और सही तथ्यों, खुफिया सूचनाओं के साथ-साथ उनके द्वारा प्राप्त जानकारी को सामने लाने के लिए समन करना आवश्यक था.
वकील ने कहा कि इसी तरह, जब घटना हुई थी तो शुक्ला पुणे के पुलिस आयुक्त थे और उन्हें तलब किया जाना चाहिए.
न्यायमूर्ति पटेल ने आदेश में कहा कि सिंह और शुक्ला को कोरेगांव भीमा में हिंसा की घटनाओं के दौरान जिन पदों पर रखा गया था, उन्हें मूल्यवान इनपुट प्राप्त होना चाहिए था.
पटेल ने कहा कि वे चाहें तो हलफनामा भी दाखिल कर सकते हैं, उन्हें 8 नवंबर तक समन का जवाब देने के लिए कहा गया है. शुक्ला अब सीआरपीएफ के अतिरिक्त महानिदेशक हैं और हैदराबाद में तैनात हैं.
राज्य में जबरन वसूली के कम से कम चार मामलों का सामना कर रहे परम बीर सिंह के संबंध में महाराष्ट्र सरकार ने दो दिन पहले कहा था कि उसे उसका ठिकाना नहीं पता है.
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बता दें कि 1 जनवरी, 2018 को कोरेगांव भीमा की 1818 की लड़ाई की द्विशताब्दी वर्षगांठ के दौरान युद्ध स्मारक के पास जाति समूहों के बीच हिंसा हुई.
दलित संगठन लड़ाई में पुणे के पेशवा पर ईस्ट इंडिया कंपनी की जीत का जश्न मनाते हैं क्योंकि ब्रिटिश सेना में उत्पीड़ित महार समुदाय के सैनिक शामिल थे, लेकिन कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने 2018 में उत्सव का विरोध किया, जिससे हिंसा हुई.
(एजेंसी इनपुट)