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जानिए ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस के क्या हैं लक्षण - ब्लैक फंगस

कोरोना से संक्रमित मरीजों में फंगल इन्फेक्शन के मामले भी सामने आ रहे हैं. कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों को यदि ब्लैक फंगस या फिर म्यूकरमाइकोसिस हो जाता है तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है. जानिए इसके लक्षण क्या हैं और कैसे बचाव कर सकते हैं.

ब्लैक फंगस
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Published : May 10, 2021, 7:05 PM IST

Updated : May 10, 2021, 7:28 PM IST

चंडीगढ़ : कोविड-19 से पीड़ित मरीजों में फंगल इन्फेक्शन पाया जा रहा है जिसे म्यूकरमाइकोसिस कहा जा रहा है. यह खासकर उन लोगों में पाया जा रहा है जो डायबिटीज से पीड़ित हैं. हालांकि इसके अभी ज्यादा मामले सामने नहीं आए हैं लेकिन फिर भी इससे बचाव बेहद जरूरी है.

कोरोनावायरस मरीजों को यदि ब्लैक फंगस या फिर म्यूकरमाइकोसिस हो जाता है तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है. इससे बचाव जरूरी है.

जानिए ब्लैक फंगस के बारे में
म्यूकरमाइकोसिस क्या है?निजी अस्पताल चलाने वाले डॉ. विक्रम बेदी बताते हैं कि अक्सर यह फंगल इंफेक्शन होता है लेकिन इसके जो लक्षण है वह कोरोनावायरस से मिलते-जुलते हैं फ़र्क सिर्फ इतना है कि यह आंखों, मुंह और गले पर असर दिखाता है. उन्होंने बताया कि यह फंगस हर जगह होता है खासतौर पर मिट्टी, पौधों खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में ज्यादा पनपता है. यह फंगस साइनस दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करता है और डायबिटीज के मरीजों को या बेहद कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग जैसे कैंसर या एचआईवी एड्स के मरीजों में यह जानलेवा भी हो सकता है. सेल्फ मेडिकेशन के ओवर यूज़ से कम हो रही है इम्युनिटी म्यूकरमाइकोसिस में मृत्यु दर 50% तक होती है. डॉक्टर विक्रम बेदी ने बताया कि कोविड-19 के गंभीर मरीजों को बचाने की कोशिश की जा रही है लेकिन संक्रमण फैल रहा है.

दरअसल कोविड-19 के दौरान यह देखा जा रहा है कि लोग घर पर ही सेल्फ मेडिकेशन कर रहे हैं. सोशल मीडिया से जो दवाएं पता चलती हैं उनका इस्तेमाल करने लगते हैं यह शरीर के इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचा रहा है. ऐसी दवाएं डायबिटीज वाले मरीजों में शुगर का स्तर बढ़ा देती हैं माना जा रहा है कि ऐसे में इम्यूनिटी कमजोर पड़ने के कारण म्यूकरमाइकोसिस संक्रमण हो रहा.

म्यूकरमाइकोसिस के लक्षण
डॉ. विक्रम बेदी ने बताया नाक बंद हो जाना, नाक से खून जैसा काला तरल पदार्थ निकलना, आंखों में सूजन और दर्द , पलकों का गिरना, धुंधला दिखना, नाक के आसपास काले धब्बे होना भी म्यूकरमाइकोसिस के लक्षण हैं.

उन्होंने बताया कि यह संक्रमण दिमाग में और फेफड़ों में भी पहुंच जाता है ऐसे में कई बार सर्जरी तक करनी पड़ती है. कई बार दिमाग तक पहुंचने से रोकने के लिए मरीज की आंखें निकालने पड़ती हैं. कोरोना संक्रमण से उबरने के दो-तीन दिन बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं. यह फंगल संक्रमण सबसे पहले साइनस में तब होता है और लगभग दो-चार दिनों में ये आंखों पर हमला करता है.

पढ़ें- बिना कोविड-19 प्रोटोकॉल के शव दफन करने की कोशिश विफल की गई
डॉक्टर विक्रम बेदी ने बताया कि हाल-फिलहाल में देखा गया कि कोरोनावायरस की दूसरी लहर के कारण अस्पताल में मरीज आते रहे और ऐसे में भारत का हेयर स्ट्रक्चर इन चीजों को संभाल नहीं सका जिस कारण मरीज जो पहले ही कोविड-19 के संक्रमण के शिकार थे, उन्हें फंगल वायरस ने भी अपनी चपेट में ले लिया. मरीजों की इम्यूनिटी स्ट्रांग नहीं थी इस कारण यह संक्रमण भी फैलता जा रहा है.

'सरकार को दवा की सप्लाई बढ़ानी चाहिए'
विक्रम बेदी ने कहा कि अभी तो इसकी एकमात्र दवा उपलब्ध है लेकिन सरकार को उसकी सप्लाई भी शुरू कर देनी चाहिए. हाल ही में हमने देखा कि किस तरह ऑक्सीजन और रेमडिसिविर दवाइयों की भी कालाबाजारी और जमाखोरी शुरू हो गई थी ऐसे में सरकार को अभी से ही कदम उठाने चाहिए.

क्या है इसका इलाज?
इसके इलाज के लिए एंटी फंगल इंजेक्शन की जरूरत होती है जिसकी एक खुराक की कीमत ₹3500 है, ये इंजेक्शन 8 हफ्तों तक हर रोज देना पड़ता है. यह इंजेक्शन ही इस बीमारी की एकमात्र दवा है. आईसीएमआर ने म्यूकरमायइकोसिस की टेस्टिंग और इलाज के लिए एडवाइजरी जारी की है.

चंडीगढ़ : कोविड-19 से पीड़ित मरीजों में फंगल इन्फेक्शन पाया जा रहा है जिसे म्यूकरमाइकोसिस कहा जा रहा है. यह खासकर उन लोगों में पाया जा रहा है जो डायबिटीज से पीड़ित हैं. हालांकि इसके अभी ज्यादा मामले सामने नहीं आए हैं लेकिन फिर भी इससे बचाव बेहद जरूरी है.

कोरोनावायरस मरीजों को यदि ब्लैक फंगस या फिर म्यूकरमाइकोसिस हो जाता है तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है. इससे बचाव जरूरी है.

जानिए ब्लैक फंगस के बारे में
म्यूकरमाइकोसिस क्या है?निजी अस्पताल चलाने वाले डॉ. विक्रम बेदी बताते हैं कि अक्सर यह फंगल इंफेक्शन होता है लेकिन इसके जो लक्षण है वह कोरोनावायरस से मिलते-जुलते हैं फ़र्क सिर्फ इतना है कि यह आंखों, मुंह और गले पर असर दिखाता है. उन्होंने बताया कि यह फंगस हर जगह होता है खासतौर पर मिट्टी, पौधों खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में ज्यादा पनपता है. यह फंगस साइनस दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करता है और डायबिटीज के मरीजों को या बेहद कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग जैसे कैंसर या एचआईवी एड्स के मरीजों में यह जानलेवा भी हो सकता है. सेल्फ मेडिकेशन के ओवर यूज़ से कम हो रही है इम्युनिटी म्यूकरमाइकोसिस में मृत्यु दर 50% तक होती है. डॉक्टर विक्रम बेदी ने बताया कि कोविड-19 के गंभीर मरीजों को बचाने की कोशिश की जा रही है लेकिन संक्रमण फैल रहा है.

दरअसल कोविड-19 के दौरान यह देखा जा रहा है कि लोग घर पर ही सेल्फ मेडिकेशन कर रहे हैं. सोशल मीडिया से जो दवाएं पता चलती हैं उनका इस्तेमाल करने लगते हैं यह शरीर के इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचा रहा है. ऐसी दवाएं डायबिटीज वाले मरीजों में शुगर का स्तर बढ़ा देती हैं माना जा रहा है कि ऐसे में इम्यूनिटी कमजोर पड़ने के कारण म्यूकरमाइकोसिस संक्रमण हो रहा.

म्यूकरमाइकोसिस के लक्षण
डॉ. विक्रम बेदी ने बताया नाक बंद हो जाना, नाक से खून जैसा काला तरल पदार्थ निकलना, आंखों में सूजन और दर्द , पलकों का गिरना, धुंधला दिखना, नाक के आसपास काले धब्बे होना भी म्यूकरमाइकोसिस के लक्षण हैं.

उन्होंने बताया कि यह संक्रमण दिमाग में और फेफड़ों में भी पहुंच जाता है ऐसे में कई बार सर्जरी तक करनी पड़ती है. कई बार दिमाग तक पहुंचने से रोकने के लिए मरीज की आंखें निकालने पड़ती हैं. कोरोना संक्रमण से उबरने के दो-तीन दिन बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं. यह फंगल संक्रमण सबसे पहले साइनस में तब होता है और लगभग दो-चार दिनों में ये आंखों पर हमला करता है.

पढ़ें- बिना कोविड-19 प्रोटोकॉल के शव दफन करने की कोशिश विफल की गई
डॉक्टर विक्रम बेदी ने बताया कि हाल-फिलहाल में देखा गया कि कोरोनावायरस की दूसरी लहर के कारण अस्पताल में मरीज आते रहे और ऐसे में भारत का हेयर स्ट्रक्चर इन चीजों को संभाल नहीं सका जिस कारण मरीज जो पहले ही कोविड-19 के संक्रमण के शिकार थे, उन्हें फंगल वायरस ने भी अपनी चपेट में ले लिया. मरीजों की इम्यूनिटी स्ट्रांग नहीं थी इस कारण यह संक्रमण भी फैलता जा रहा है.

'सरकार को दवा की सप्लाई बढ़ानी चाहिए'
विक्रम बेदी ने कहा कि अभी तो इसकी एकमात्र दवा उपलब्ध है लेकिन सरकार को उसकी सप्लाई भी शुरू कर देनी चाहिए. हाल ही में हमने देखा कि किस तरह ऑक्सीजन और रेमडिसिविर दवाइयों की भी कालाबाजारी और जमाखोरी शुरू हो गई थी ऐसे में सरकार को अभी से ही कदम उठाने चाहिए.

क्या है इसका इलाज?
इसके इलाज के लिए एंटी फंगल इंजेक्शन की जरूरत होती है जिसकी एक खुराक की कीमत ₹3500 है, ये इंजेक्शन 8 हफ्तों तक हर रोज देना पड़ता है. यह इंजेक्शन ही इस बीमारी की एकमात्र दवा है. आईसीएमआर ने म्यूकरमायइकोसिस की टेस्टिंग और इलाज के लिए एडवाइजरी जारी की है.

Last Updated : May 10, 2021, 7:28 PM IST

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