ETV Bharat / bharat

किसान दिवस पर दिल्ली के किसानों की मांग, किसानी का मिले दर्जा

किसान दिवस के मौके पर दिल्ली के किसानों ने किसानी के दर्जे की मांग की है. उनका कहना है कि सरकार उनकी परवाह नहीं करती. जानिए ईटीवी भारत से बातचीत में किसानों ने नए कृषि कानून और अपनी समस्याओं को लेकर क्या कहा.

author img

By

Published : Dec 23, 2020, 8:41 AM IST

etvbharat
फोटो

नई दिल्ली: देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती को वर्ष 2001 से राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जा रहा है. इन दिनों देश में नए कृषि कानून के लागू होने से किसानों और उनकी किसानी की काफी बातें हो रही है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम किसान दिवस पर जब दिल्ली के किसानों की समस्याएं और सुविधाओं को जानने के लिए उनके करीब गया तो उन्होंने राज्य सरकार के खिलाफ जमकर अपनी नाराजगी जाहिर की. किसानों ने कहा कि शायद दिल्ली में अब कम किसान बचे हैं इसीलिए सरकार उनकी परवाह नहीं करती है. दिल्ली में खेती करने वाले 20,000 से अधिक किसानों को दिल्ली सरकार क्यों नहीं किसान मानती, पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इसका जवाब देना चाहिए.

बख्तावरपुर के किसान बोले
बख्तावरपुर के किसान पप्पन सिंह गहलोत कहते हैं, जो नेता किसान प्रिय होते हैं, वह किसानों के बारे में सोचते हैं. केंद्र में पहले प्रधानमंत्री से लेकर कई मंत्री हुए जिन्होंने किसानों के बारे में सोचा. लेकिन समय का फेर है कि अब नेताओं को वोट बैंक की राजनीति से मतलब है. दिल्ली में किसानों की संख्या कम हो गई है. सिर्फ 5 विधानसभा क्षेत्र में खेती होती है ऐसे में नेताओं को लगता है कि किसानों को साथ हो या ना हो, कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. इसीलिए उनकी अनदेखी की जाती है. दिल्ली में वर्ष 2008 के बाद से किसानों से किसानी का दर्जा छिन गया. ऐसे में किसानों को मिलने वाली तमाम तरह की सुविधाएं बंद हो गई है. जिससे काफी परेशानी होती है.

वीडियो

'नया कृषि कानून किसानों के हित में'
किसान संजय राजपूत कहते हैं, दिल्ली में किसानों को बिजली बिल में भी कोई रियायत नहीं मिलती.उन्होंने कहा कि जो किसान बिल की खामियों को बता रहे हैं, सब गलत है. आजाद भारत में इस बिल के आने से किसानों को जो सौगात मिली है इसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है. किसानों को उनकी पैदावार का न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर जो विपक्षी के सांसद बयान दे रहे हैं, वह सरासर गलत है. ऐसा कुछ भी नहीं है.


पल्ला गांव के किसान राजकुमार कहते हैं कि अभी जो आंदोलन के नाम पर सभी सीमाएं बंद कर दी गई है इससे किसानों की उपज को बाहर भेजने में काफी परेशानी हो रही है. उन्हें अपनी उपज का नुकसान उठाना पड़ रहा है. दिल्ली के कुछ किसानों ने 2 साल पहले अपनी खेत कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए कंपनियों को दे दी उनसे मिल रहे समर्थन मूल्य से वे संतुष्ट हैं.

'पहले मुख्यमंत्री बताएं खेती करने वालों को किसानी का दर्जा क्यों नहीं?'
बख्तावरपुर के किसान राजेन्द्र कहते हैं कि दिल्ली की सत्ता में काबिज केजरीवाल सरकार पहले यह बताएं कि वह कैसे किसान हितैषी हैं? क्योंकि दिल्ली में 20000 किसान हैं, जो खेती करते हैं. लेकिन दिल्ली सरकार उन्हें किसान का दर्जा नहीं देती.

'दिल्ली में किसानों को कोई रियायत नहीं'
इसी का नतीजा है कि उन्हें कृषि उत्पादों पर किसी तरह की सब्सिडी नहीं मिलती. कृषि के लिए इस्तेमाल उपकरणों पर उन्हें कोई छूट नहीं मिलती. बिजली पर उन्हें डेढ़ रुपए से लेकर 8 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिल देना पड़ता है. खेत में सिंचाई के लिए बोरिंग लगाने की इजाजत नहीं है.

'पड़ोसी राज्य में किसानों को ढेरों सुविधा'
वहीं, पड़ोसी राज्य हरियाणा में किसानों को कृषि उपकरणों की खरीद पर 50 फ़ीसद सब्सिडी मिलती है. वहां डीजल के रेट सस्ते हैं. किसानों को हरियाणा सरकार बिजली फ्री देती है तथा कृषि योग्य जमीन की वहां पर कीमत बहुत ज्यादा है. दिल्ली में सरकार ओने पौने दाम पर जमीन का अधिग्रहण करती है. तो किसानों किसान ठग हुआ महसूस करते हैं. किसानों ने यह भी कहा कि जब वह अपनी समस्या लेकर जिलाधिकारी तथा मुख्यमंत्री के पास भी जाते हैं तो उनकी बातें नहीं सुनी जाती है जिससे उन्हें काफी दुख होता है

किसान दिवस के मौके पर दिल्ली के किसानों ने कहा कि उनके लिए सबसे बड़ा तोहफा यह होगा कि उन्हें दिल्ली में किसानी का दर्जा मिल जाए और सरकार उन्हें कृषि उपकरण से लेकर खाद, बीज सब रियायत दर पर देना सुनिश्चित कर दें. ताकि उनके आने वाली पीढ़ियां भी खेती कर सकें.

नई दिल्ली: देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती को वर्ष 2001 से राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जा रहा है. इन दिनों देश में नए कृषि कानून के लागू होने से किसानों और उनकी किसानी की काफी बातें हो रही है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम किसान दिवस पर जब दिल्ली के किसानों की समस्याएं और सुविधाओं को जानने के लिए उनके करीब गया तो उन्होंने राज्य सरकार के खिलाफ जमकर अपनी नाराजगी जाहिर की. किसानों ने कहा कि शायद दिल्ली में अब कम किसान बचे हैं इसीलिए सरकार उनकी परवाह नहीं करती है. दिल्ली में खेती करने वाले 20,000 से अधिक किसानों को दिल्ली सरकार क्यों नहीं किसान मानती, पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इसका जवाब देना चाहिए.

बख्तावरपुर के किसान बोले
बख्तावरपुर के किसान पप्पन सिंह गहलोत कहते हैं, जो नेता किसान प्रिय होते हैं, वह किसानों के बारे में सोचते हैं. केंद्र में पहले प्रधानमंत्री से लेकर कई मंत्री हुए जिन्होंने किसानों के बारे में सोचा. लेकिन समय का फेर है कि अब नेताओं को वोट बैंक की राजनीति से मतलब है. दिल्ली में किसानों की संख्या कम हो गई है. सिर्फ 5 विधानसभा क्षेत्र में खेती होती है ऐसे में नेताओं को लगता है कि किसानों को साथ हो या ना हो, कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. इसीलिए उनकी अनदेखी की जाती है. दिल्ली में वर्ष 2008 के बाद से किसानों से किसानी का दर्जा छिन गया. ऐसे में किसानों को मिलने वाली तमाम तरह की सुविधाएं बंद हो गई है. जिससे काफी परेशानी होती है.

वीडियो

'नया कृषि कानून किसानों के हित में'
किसान संजय राजपूत कहते हैं, दिल्ली में किसानों को बिजली बिल में भी कोई रियायत नहीं मिलती.उन्होंने कहा कि जो किसान बिल की खामियों को बता रहे हैं, सब गलत है. आजाद भारत में इस बिल के आने से किसानों को जो सौगात मिली है इसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है. किसानों को उनकी पैदावार का न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर जो विपक्षी के सांसद बयान दे रहे हैं, वह सरासर गलत है. ऐसा कुछ भी नहीं है.


पल्ला गांव के किसान राजकुमार कहते हैं कि अभी जो आंदोलन के नाम पर सभी सीमाएं बंद कर दी गई है इससे किसानों की उपज को बाहर भेजने में काफी परेशानी हो रही है. उन्हें अपनी उपज का नुकसान उठाना पड़ रहा है. दिल्ली के कुछ किसानों ने 2 साल पहले अपनी खेत कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए कंपनियों को दे दी उनसे मिल रहे समर्थन मूल्य से वे संतुष्ट हैं.

'पहले मुख्यमंत्री बताएं खेती करने वालों को किसानी का दर्जा क्यों नहीं?'
बख्तावरपुर के किसान राजेन्द्र कहते हैं कि दिल्ली की सत्ता में काबिज केजरीवाल सरकार पहले यह बताएं कि वह कैसे किसान हितैषी हैं? क्योंकि दिल्ली में 20000 किसान हैं, जो खेती करते हैं. लेकिन दिल्ली सरकार उन्हें किसान का दर्जा नहीं देती.

'दिल्ली में किसानों को कोई रियायत नहीं'
इसी का नतीजा है कि उन्हें कृषि उत्पादों पर किसी तरह की सब्सिडी नहीं मिलती. कृषि के लिए इस्तेमाल उपकरणों पर उन्हें कोई छूट नहीं मिलती. बिजली पर उन्हें डेढ़ रुपए से लेकर 8 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिल देना पड़ता है. खेत में सिंचाई के लिए बोरिंग लगाने की इजाजत नहीं है.

'पड़ोसी राज्य में किसानों को ढेरों सुविधा'
वहीं, पड़ोसी राज्य हरियाणा में किसानों को कृषि उपकरणों की खरीद पर 50 फ़ीसद सब्सिडी मिलती है. वहां डीजल के रेट सस्ते हैं. किसानों को हरियाणा सरकार बिजली फ्री देती है तथा कृषि योग्य जमीन की वहां पर कीमत बहुत ज्यादा है. दिल्ली में सरकार ओने पौने दाम पर जमीन का अधिग्रहण करती है. तो किसानों किसान ठग हुआ महसूस करते हैं. किसानों ने यह भी कहा कि जब वह अपनी समस्या लेकर जिलाधिकारी तथा मुख्यमंत्री के पास भी जाते हैं तो उनकी बातें नहीं सुनी जाती है जिससे उन्हें काफी दुख होता है

किसान दिवस के मौके पर दिल्ली के किसानों ने कहा कि उनके लिए सबसे बड़ा तोहफा यह होगा कि उन्हें दिल्ली में किसानी का दर्जा मिल जाए और सरकार उन्हें कृषि उपकरण से लेकर खाद, बीज सब रियायत दर पर देना सुनिश्चित कर दें. ताकि उनके आने वाली पीढ़ियां भी खेती कर सकें.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.