पलामूः झारखंड के पुल का केरल से नाता है. यह पुल केरला के सांस्कृतिक महत्व को बताता है. यह पुल झारखंड की राजधानी रांची से करीब 150 किलोमीटर दूर लातेहार के बारेसाढ़ के इलाके में मौजूद है. इस पुल का नाम ओणम पुल दिया गया है.
इसे भी पढ़ें- CRPF के लिए चुनौती बनी 15 किलोमीटर की सड़क! सुरक्षा में तैनात दो कंपनियों के जवान, जानिए क्या है माजरा
लातेहार का ओणम पुल कई मायनों में खास है. इसका निर्माण पुलिस और सुरक्षाबलों ने मिलकर तैयार किया है. सितंबर 2022 में माओवादियों के खिलाफ बूढ़ा पहाड़ में ऑपरेशन ऑक्टोपस शुरू किया गया था. इस अभियान के दौरान जवानों को बूढ़ा नदी को पार करना था, सुरक्षा बलों ने शुरुआत में कच्चा पुल बनाने की योजना तैयार की थी. जिस दिन पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ उस दिन से ओणम की भी शुरुआत हुई थी. ओणम की खुशी और जोश में खुद शामिल होने जैसा मान कर पुल का निर्माण कार्य शुरू किया गया. ओणम के अंतिम दिन इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ और इस पुल को ओणम नाम दिया गया. पुल के निर्माण कार्य के दौरान लातेहार एसपी अंजनी अंजन खुद निर्माण स्थल पर जमे रहे.
ग्रामीणों के लिए लाइफ लाइन है ओणम पुलः दर्शन ओणम पुल 15 किलोमीटर के इलाके के ग्रामीणों के लिए लाइफ लाइन बन गई है. लातेहार के बारेसाढ़ से बूढ़ा पहाड़ के तिसिया के बीच यह पुल मौजूद है. इसके माध्यम से बूढ़ा पहाड़ के साथ साथ छत्तीसगढ़, गुमला और लोहरदगा के इलाके में भी नक्सल विरोधी अभियान पर निगरानी रखी जाती है. ओणम पुल तिसिया, नावाटोली जैसे आधा दर्जन के करीब गांव की लाइफ लाइन है.
2022 के सितंबर अक्टूबर में इसे ह्यूम पाइप के माध्यम से तैयार किया गया था और यह कच्चा भी था. अब इस पुल को पक्का कर दिया गया है. पलामू जोन के आईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि ओणम फेस्टिवल के दौरान इस पुल को तैयार किया गया था, इस लिए पुल का नाम ओणम रखा गया है. इस पुल के माध्यम से शुरुआत में फारवर्ड कैंपों तक जवानों को जरूरत की सामग्री को उपलब्ध करवाया जाता था, अब इससे ग्रामीणों को भी लाभ हो रहा है.
ओणम फेस्टिवल का महत्वः ओणम केरल का एक प्रमुख त्यौहार है. ओणम का समारोह करीब 10 दिनों तक चलता है. ओणम के दौरान प्रत्येक घर को फूल एवं पंखुड़ियां से सजाया जाता है. भगवान वामन की जयंती और राजा बलि के स्वागत में प्रतिवर्ष ओणम मनाया जाता है. केरल में ओणम के दौरान कई तरह के खेलों का भी आयोजन किया जाता है.