ETV Bharat / bharat

निपाह वायरस के संक्रमण, लक्षण और बचाव के बारे में जानिए सबकुछ

जानकारी के मुताबिक 2018 में कोझिकोड में पेराम्ब्रा के मोहम्मद साबिथ इस बीमारी के पहले शिकार हुए थे. फिर सबिथ के संपर्क में आने वाले लोग संक्रमित हो गए. ऐसा माना गया कि फल खाने वाले चमगादड़ निपाह वायरस के वाहक और स्रोत हैं.

निपाह वायरस
निपाह वायरस
author img

By

Published : Sep 7, 2021, 7:07 AM IST

तिरुवनंतपुरम : कोरोना महामारी के बीच निपाह वायरस भी अपने पैर पसार रहा है. केरल में निपाह का सबसे पहला मामला कोझिकोड से 2018 में सामने आया था. उसके बाद 2019 में कोच्चि से और 2021 में कोझिकोड से निपाह वायरस का मामला प्रकाश में आया. बता दें, केरल में निपाह से अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, अभी भी किसी मामले में सोर्स का पता नहीं चल सका है.

इस पूरे मामले पर राजीव गांधी जैव प्रौद्योगिकी केंद्र के वैज्ञानिक डॉ श्रीकुमार ने विस्तार से बताया.

जानकारी के मुताबिक 2018 में कोझिकोड में पेराम्ब्रा के मोहम्मद साबिथ इस बीमारी के पहले शिकार हुए थे. फिर सबिथ के संपर्क में आने वाले लोग संक्रमित हो गए. ऐसा माना गया कि फल खाने वाले चमगादड़ इस वायरस के वाहक और स्रोत हैं. इसके बाद इन क्षेत्रों में चमगादड़ों की विस्तृत जांच की गई और नमूनों में वायरस की मौजूदगी पाई गई. हालांकि, यह पता नहीं चल सका है कि चमगादड़ से निकले वायरस ने इंसानों को संक्रमित किया या नहीं.

सबसे बड़ी मुश्किल संक्रमण के स्रोत ती पुष्टि करने में थी क्योंकि बीमारी का निदान करने से पहले ही पीड़ित की मृत्यु हो गई थी. निपाह वायरस के मुख्य स्रोत की पहचान करने के अभी भी रिसर्च जारी है. बता दें, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने केरल में बार-बार निपाह वायरस संक्रमण की संभावना की चेतावनी दी थी.

खतरनाक है निपाह

निपाह के ताजा मामले ने केरल के स्वास्थ्य विभाग को चुनौती पेश की है क्योंकि केरल पहले से ही कोविड-19 संक्रमण से निपटने की कोशिश कर रहा है. निपाह बहुत ही खतरनाक वायरस माना जाता है और इसकी मृत्यु दर बहुत अधिक है.

लक्षण

बुखार, सिरदर्द, चक्कर आना, बेहोशी आना इसके सामान्य लक्षण हैं. खांसी, पेट दर्द, जी मिचलाना, उल्टी, थकान और धुंधला दिखाई पड़ना भी कई रोगियों में पाया गया है.

ऊष्मायन अवधि

मनुष्य में वायरस के प्रवेश करने के 4 से 14 दिनों के भीतर लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं. कुछ मामलों में ऊष्मायन अवधि 21 दिनों तक हो सकती है. लक्षण दिखने के एक या दो दिनों के भीतर ही रोगी कोमा में चला जाता है. वायरस मस्तिष्क और फेफड़ों पर हमला करता है. वहीं, लक्षण दिखने के बाद वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसमिशन के माध्यम से फैलता है.

अत्यधिक सावधानी की आवश्यकता

निपाह वायरस में बहुत तेजी से फैलने की क्षमता है इसलिए इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए. आमतौर पर यह माना जाता है कि निपाह वायरस फल खाने वाले चमगादड़ की किस्मों से फैलता है इसलिए अपने क्षेत्र में चमगादड़ों की उपस्थिति से सावधान रहना चाहिए और चमगादड़ द्वारा काटे गए फलों को खाने से बचना चाहिए. ताड़ी ऐसे चमगादड़ों का पसंदीदा भोजन है और पेड़ों पर रखे खुले ताड़ी के बर्तनों से ताड़ी पीने से सावधान रहना चाहिए. इसी तरह केला अमृत चमगादड़ों का प्रिय भोजन है और केला अमृत के सेवन से दूर रहना चाहिए.

फलों और सब्जियों को खाने से पहले अच्छी तरह से धोना चाहिए. मांस को अच्छी तरह से पकाना चाहिए क्योंकि निपाह भी जानवरों को संक्रमित करता है. रोगियों की देखभाल करने वालों को भी बहुत सावधान रहना चाहिए और रोगियों के शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में नहीं आना चाहिए. मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना और हाथ की स्वच्छता बहुत महत्वपूर्ण है. मरीज से कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाकर रखनी चाहिए. रोगी द्वारा उपयोग की जाने वाली सामग्री को कीटाणुरहित करके अलग रखा जाना चाहिए.

निपाह से होने वाले रोग का परीक्षण

आरटी पीसीआर टेस्ट के जरिए निपाह वायरस की मौजूदगी की पुष्टि की जा रही है. परीक्षण के लिए गले और नाक या रीढ़ की हड्डी के द्रव के नमूनों से लिए गए स्वाब का उपयोग किया जाता है. एलिसा परीक्षण का उपयोग वायरस के खिलाफ रक्त में एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए भी किया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक अब परीक्षण पुणे और मणिपाल में वायरोलॉजी लैब में किए जा रहे हैं. वर्तमान में, केरल में परीक्षण करने के लिए कोई सुविधा नहीं है.

वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्रोटोकॉल का करें पालन

निपाह के इलाज और रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रोटोकॉल जारी किया गया है. सभी को इन निर्देशों का पालन करना चाहिए. बता दें, संक्रमित के शव से निपाह भी फैल सकता है इसलिए शव का अंतिम संस्कार करते समय दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करना चाहिए. जो लोग शव को संभालते हैं उन्हें पीपीई किट पहननी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मृतक के शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में न आएं. मृत शरीर को छूने पर सख्ती से प्रतिबंध लगाना चाहिए. वहीं, अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले व्यक्तियों की संख्या को कम से कम की जानी चाहिए. अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले सभी लोगों को नहाने के साबुन से स्नान करना चाहिए.

केरल के स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि चूंकि कोविड के कारण मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना सभी के द्वारा किया जा रहा है, इसलिए इसके फैलने की संभावना कम से कम हो गई है. वर्तमान में कोझिकोड में लक्षणों वाले 8 व्यक्तियों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है. 251 व्यक्तियों की सूची तैयार की गई है. जिनमें से 32 व्यक्ति हाई रिस्क कैटेगरी में हैं. 2018 और 2019 में निपाह संक्रमण से सफलतापूर्वक निपटने में केरल का अनुभव इस साल भी काम आएगा.

तिरुवनंतपुरम : कोरोना महामारी के बीच निपाह वायरस भी अपने पैर पसार रहा है. केरल में निपाह का सबसे पहला मामला कोझिकोड से 2018 में सामने आया था. उसके बाद 2019 में कोच्चि से और 2021 में कोझिकोड से निपाह वायरस का मामला प्रकाश में आया. बता दें, केरल में निपाह से अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, अभी भी किसी मामले में सोर्स का पता नहीं चल सका है.

इस पूरे मामले पर राजीव गांधी जैव प्रौद्योगिकी केंद्र के वैज्ञानिक डॉ श्रीकुमार ने विस्तार से बताया.

जानकारी के मुताबिक 2018 में कोझिकोड में पेराम्ब्रा के मोहम्मद साबिथ इस बीमारी के पहले शिकार हुए थे. फिर सबिथ के संपर्क में आने वाले लोग संक्रमित हो गए. ऐसा माना गया कि फल खाने वाले चमगादड़ इस वायरस के वाहक और स्रोत हैं. इसके बाद इन क्षेत्रों में चमगादड़ों की विस्तृत जांच की गई और नमूनों में वायरस की मौजूदगी पाई गई. हालांकि, यह पता नहीं चल सका है कि चमगादड़ से निकले वायरस ने इंसानों को संक्रमित किया या नहीं.

सबसे बड़ी मुश्किल संक्रमण के स्रोत ती पुष्टि करने में थी क्योंकि बीमारी का निदान करने से पहले ही पीड़ित की मृत्यु हो गई थी. निपाह वायरस के मुख्य स्रोत की पहचान करने के अभी भी रिसर्च जारी है. बता दें, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने केरल में बार-बार निपाह वायरस संक्रमण की संभावना की चेतावनी दी थी.

खतरनाक है निपाह

निपाह के ताजा मामले ने केरल के स्वास्थ्य विभाग को चुनौती पेश की है क्योंकि केरल पहले से ही कोविड-19 संक्रमण से निपटने की कोशिश कर रहा है. निपाह बहुत ही खतरनाक वायरस माना जाता है और इसकी मृत्यु दर बहुत अधिक है.

लक्षण

बुखार, सिरदर्द, चक्कर आना, बेहोशी आना इसके सामान्य लक्षण हैं. खांसी, पेट दर्द, जी मिचलाना, उल्टी, थकान और धुंधला दिखाई पड़ना भी कई रोगियों में पाया गया है.

ऊष्मायन अवधि

मनुष्य में वायरस के प्रवेश करने के 4 से 14 दिनों के भीतर लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं. कुछ मामलों में ऊष्मायन अवधि 21 दिनों तक हो सकती है. लक्षण दिखने के एक या दो दिनों के भीतर ही रोगी कोमा में चला जाता है. वायरस मस्तिष्क और फेफड़ों पर हमला करता है. वहीं, लक्षण दिखने के बाद वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसमिशन के माध्यम से फैलता है.

अत्यधिक सावधानी की आवश्यकता

निपाह वायरस में बहुत तेजी से फैलने की क्षमता है इसलिए इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए. आमतौर पर यह माना जाता है कि निपाह वायरस फल खाने वाले चमगादड़ की किस्मों से फैलता है इसलिए अपने क्षेत्र में चमगादड़ों की उपस्थिति से सावधान रहना चाहिए और चमगादड़ द्वारा काटे गए फलों को खाने से बचना चाहिए. ताड़ी ऐसे चमगादड़ों का पसंदीदा भोजन है और पेड़ों पर रखे खुले ताड़ी के बर्तनों से ताड़ी पीने से सावधान रहना चाहिए. इसी तरह केला अमृत चमगादड़ों का प्रिय भोजन है और केला अमृत के सेवन से दूर रहना चाहिए.

फलों और सब्जियों को खाने से पहले अच्छी तरह से धोना चाहिए. मांस को अच्छी तरह से पकाना चाहिए क्योंकि निपाह भी जानवरों को संक्रमित करता है. रोगियों की देखभाल करने वालों को भी बहुत सावधान रहना चाहिए और रोगियों के शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में नहीं आना चाहिए. मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना और हाथ की स्वच्छता बहुत महत्वपूर्ण है. मरीज से कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाकर रखनी चाहिए. रोगी द्वारा उपयोग की जाने वाली सामग्री को कीटाणुरहित करके अलग रखा जाना चाहिए.

निपाह से होने वाले रोग का परीक्षण

आरटी पीसीआर टेस्ट के जरिए निपाह वायरस की मौजूदगी की पुष्टि की जा रही है. परीक्षण के लिए गले और नाक या रीढ़ की हड्डी के द्रव के नमूनों से लिए गए स्वाब का उपयोग किया जाता है. एलिसा परीक्षण का उपयोग वायरस के खिलाफ रक्त में एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए भी किया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक अब परीक्षण पुणे और मणिपाल में वायरोलॉजी लैब में किए जा रहे हैं. वर्तमान में, केरल में परीक्षण करने के लिए कोई सुविधा नहीं है.

वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्रोटोकॉल का करें पालन

निपाह के इलाज और रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रोटोकॉल जारी किया गया है. सभी को इन निर्देशों का पालन करना चाहिए. बता दें, संक्रमित के शव से निपाह भी फैल सकता है इसलिए शव का अंतिम संस्कार करते समय दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करना चाहिए. जो लोग शव को संभालते हैं उन्हें पीपीई किट पहननी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मृतक के शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में न आएं. मृत शरीर को छूने पर सख्ती से प्रतिबंध लगाना चाहिए. वहीं, अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले व्यक्तियों की संख्या को कम से कम की जानी चाहिए. अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले सभी लोगों को नहाने के साबुन से स्नान करना चाहिए.

केरल के स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि चूंकि कोविड के कारण मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना सभी के द्वारा किया जा रहा है, इसलिए इसके फैलने की संभावना कम से कम हो गई है. वर्तमान में कोझिकोड में लक्षणों वाले 8 व्यक्तियों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है. 251 व्यक्तियों की सूची तैयार की गई है. जिनमें से 32 व्यक्ति हाई रिस्क कैटेगरी में हैं. 2018 और 2019 में निपाह संक्रमण से सफलतापूर्वक निपटने में केरल का अनुभव इस साल भी काम आएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.