कुल्लू: हिमालय में एक ऐसी जड़ी बूटी मिलती है जिसकी कीमत सोने के बराबर है. इस जड़ी को कीड़ा जड़ी के नाम से जाना जाता है. अंग्रेजी में इसे Caterpillar fungus या cordyceps militaris कहते हैं. तिब्बत में इसे यारशागुंबा कहते हैं. खास बात ये है कि प्राकृतिक रूप से मिलने वाली इस कीड़ा जड़ी को लैब में भी तैयार किया जा सकता है. कुल्लू के एक शख्स ने इस जड़ी को लैब में तैयार किया है. यह एक तरह का जंगली मशरूम है. पीले-भूरे रंग की इस जड़ी का आधा हिस्सा कीड़ा और आधा हिस्सा जड़ी जैसा नजर आता है. इसलिए इसे कीड़ा जड़ी कहा जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम कॉर्डिसेप्स साइनेसिस है.
लैब में तैयार हुई कीड़ा जड़ी: भारत में ये जड़ी उत्तराखंड और हिमाचल में पाई जाती है. लेकिन अब इसे लैब में भी तैयार किया जा (Keeda Jadi in Himachal) रहा है. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के एक युवक ने भी कर (Keeda Jadi in kullu) दिखाया है. पड़ोसी देश नेपाल, चीन के अलावा मलेशिया और थाईलैंड में भी ये कीड़ा जड़ी पाई (Keeda Jadi Mushroom) जाती है. कुल्लू के गौरव शर्मा ने अपने घर पर ही लैब स्थापित कर ये मशरूम तैयार की है. गौरव ने पहले चरण में 3 हजार डिब्बों में मशरूम तैयार की है. अब ड्राई करने के बाद गौरव इस मशरूम को बेंगलुरू की एक कंपनी को बेच देंगे.
बड़े काम की है कीड़ा जड़ी: गौरव ने कॉर्डिसेप्स मिलिटेरिस मशरूम को 45 दिनों में तैयार किया (Keeda jadi Plant) है. मशरूम को स्टेमिना और इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत रखने के साथ-साथ दवाई के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है. गौरव का कहना है कि इस मशरूम में इम्यूनिटी बूस्टर अधिक होने से चीन अपने खिलाड़ियों के लिए इसका सबसे अधिक इस्तेमाल कर रहा है. मशरूम में एंटी कैंसर, एंटी वायरल, एंटी बैक्टीरियल, एंटी डायबिटिक, एंटी एजिंग, एनर्जी और इम्युनिटी बूस्टिंग गुण शामिल हैं.
कीमत जानकर रह जाएंगे हैरान: गौरव शर्मा ने बताया कि कॉर्डिसेप्स मिलिटेरिस मशरूम की एक प्रजाति है, जो कम तापमान में पनपती है. यह मशरूम समुद्र तल से करीब 3,000 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय पर्वत शृंखला में पाई जाती है. भारतीय बाजार में इसकी कीमत तीन से पांच लाख रुपये प्रति किलो है. जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 20 से 25 लाख रुपये प्रति किलो (keeda jadi price) है. गौरव शर्मा ने बताया कि वे डेढ़ साल से इसे उगाने की तकनीक पर काम रहे थे और अब जाकर उन्हें इसमें सफलता मिली है. उन्होंने कहा कि उन्हें इसे उगाने का आइडिया मलेशिया में रहने वाले एक दोस्त से मिला था. उन्होंने 3,000 डिब्बों में इसे तैयार किया है.
किसानों को दिया जा रहा प्रशिक्षण: गौरव आने वाले समय में किसानों को भी इसका प्रशिक्षण देंगे. मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन के प्रधान वैज्ञानिक सतीश कुमार ने कहा कि निदेशालय किसानों को इसका प्रशिक्षण भी दे रहा है. जानकारी के अभाव के कारण भारत में इसकी मार्केटिंग ना के बराबर है. कॉर्डिसेप्स मिलिटेरिस मशरूम (Cordyceps Militaris Mushroom) कई गंभीर बीमारियों के खात्मे के लिए सक्षम है.
कीड़ा जड़ी की होती है तस्करी: प्राकृतिक तौर पर कीड़ा जड़ी हिमालय के जंगलों में पाया जाता है. इसे ढूंढने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. इसलिए इसकी कीमत भी लाखों में है. कीमत लाखों में होने के चलते इसकी तस्करी भी होती है. इसकी तस्करी करते पकड़े जाने पर सजा का भी प्रावधान है. देश के विभिन्न इलाकों लद्दाख, लाहौल, उत्तराखंड में कुमाऊं के धारचुला और गढ़वाल के चमोली में कई परिवारों के लिए यह आजीविका का साधन है. इसके अलावा यह जड़ चीन, नेपाल और भूटान के हिमालयी क्षेत्रों में भी मिलती है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह जड़ी बूटी करीब 20 से 25 लाख रुपये प्रति किलो बिकती है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी भारी मांग होने के कारण इसकी तस्करी भी होती है. हर साल एशिया में ही इसका 100 करोड़ से ज्यादा का कारोबार हो जाता है.
प्राकृतिक स्टेरॉयड है कीड़ा जड़ी: कीड़ा जड़ी का इस्तेमाल प्राकृतिक स्टेरॉयड की तरह किया जाता है. यौन शक्ति बढ़ाने में यह जड़ी काफी असरदार है. इसी वजह से इसे हिमालयन वायग्रा के नाम (Himalayan viagra) से भी जाना जाता है. जहां अंग्रेजी वियाग्रा के इस्तेमाल से दिल को कमजोर होने का खतरा रहता है, वहीं इस जड़ी के इस्तेमाल से स्वास्थ्य पर कोई खराब असर नहीं (Keeda jadi benefits) पड़ता है.
इन बीमारियों के लिए असरदार: कैंसर जैसी बीमारी के इलाज में भी इस जड़ी को काफी असरदार माना (Benefits of keeda Jadi) जाता है. आयुर्वेद के मुताबिक, सांस और गुर्दे की बीमारी को सही करने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही यह जड़ी शरीर में रोगरोधी क्षमता को भी बढ़ाती है. इस मशरूम में प्रोटीन, पेप्टाइड्स, अमीनो एसिड, विटामिन बी-1, बी-2 और बी-12 जैसे पोषक तत्व होते हैं, जोकि शरीर को ताकत देते हैं.
वहीं, किडनी के इलाज में भी इसे जीवन रक्षक दवा माना गया है. कीड़ा जड़ी शुगर, थायराइड, अस्थमा, हाई बीपी, दिल की बीमारी, गठिया, हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी गंभीर बीमारियों के लिए संजीवनी का काम करती है. फेफड़ों और गुर्दे को मजबूत करने, ऊर्जा और जीवन शक्ति को बढ़ाने, दर्द को कम करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही पीठ दर्द, नपुंसकता, शुक्राणु उत्पादन में वृद्धि और रक्त उत्पादन में वृद्धि के लिए भी इसे उपयोग किया जाता है. कीड़ा जड़ी का उपयोग ट्यूमर रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए भी होगा है. यह जीवन शक्ति और सहनशक्ति को बढ़ाने में मदद करता है.