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मैरिटल रेप पर 100 से ज्यादा देशों में मिलती है सज़ा, जानिये भारत में क्या है कानून ?

बीते दिनों छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि पत्नी के साथ जबरन बनाया गया शारीरिक संबंध रेप नहीं है. जिसके बाद देश में मैरिटल रेप या वैवाहिक बलात्कार को लेकर बहस छिड़ गई है. आखिर क्या है ये मैरिटल रेप ? भारत में इसे लेकर क्या कानून है ? इससे जुड़े तमाम सवालों के जवाब के लिए पढ़िये ईटीवी भारत एक्सप्लेनर (etv bharat explainer)

marital rape
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Published : Aug 31, 2021, 8:23 PM IST

हैदराबाद: क्या पति द्वारा पत्नी की इच्छा के खिलाफ यौन संबंध बनाना अपराध है ? दरअसल इस सवाल को लेकर समाज से लेकर सोशल मीडिया तक लोग बंटे हुए नजर आ रहे हैं. बीते दिनों मैरिटल रेप को लेकर केरल हाईकोर्ट और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की टिप्पणियों के बाद ये सवाल फिर से उठ रहा है. आखिर क्या होता है ये मैरिटल रेप ? इसपर इन दिनों क्यों चर्चा हो रही है और कानून में इसे लेकर क्या प्रावधान हैं ?

क्या है मैरिटल रेप ?

किसी महिला की इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध बनाना बलात्कार या रेप माना जाता है. अगर पति अपनी पत्नी की मर्जी और इच्छा के खिलाफ जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो इसे 'वैवाहिक बलात्कार' या 'मैरिटल रेप' कहा जाता है. ऐसे कई मामले पहले भी सामने आए हैं, जो समाज से लेकर न्यायपालिका के दर तक पहुंचे हैं. हर बार ऐसे मामले सिर्फ और सिर्फ सवाल छोड़ जाते हैं.

मैरिटल रेप और भारत का कानून
मैरिटल रेप और भारत का कानून

फिलहाल क्यों चर्चा में है मैरिटल रेप ?

अगस्त के महीने में पति द्वारा जबरन यौन संबंध बनाने के तीन अलग-अलग मामलों में तीन राज्यों के हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. न्यायपालिका के फैसलों के बाद मैरिटल रेप एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है.

1) छत्तीसगढ़- पत्नी ने पति पर जबरन यौन संबंध बनाने, अप्राकृतिक यौन संबंध और दहेज प्रताड़ना के आरोप लगाए थे. निचली अदालत ने पति को इस कृत्य के लिए आरोपी करार दिया लेकिन हाईकोर्ट से पति को पत्नी की तरफ से लगाए गए रेप के आरोप से बरी कर दिया. कोर्ट ने पति द्वारा पत्नी से जबरन यौन संबंध बनाने को रेप की श्रेणी में नहीं माना. हालांकि पति के खिलाफ अप्राकृतिक यौन संबंध और दहेज प्रताड़ना का मामला चलाने की मंजूरी दे दी.

2) मुंबई- महिला ने पति पर दहेज उत्पीड़न के साथ जबरन सेक्स करने का आरोप लगाया था. इस मामले में पति की तरफ से कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की गई थी. मुंबई की सेशन कोर्ट ने कहा कि आरोपी व्यक्ति महिला का पति है इसलिये ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि पति होने के नाते उसने कोई गैरकानूनी काम किया है. पति को कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई.

3) केरल- मैरिटल रेप को लेकर केरल की फैमिली कोर्ट और हाईकोर्ट का फैसला बहुत अहम कहा जा सकता है. पत्नी की मर्जी के खिलाफ संबंध बनाने के एक मामले में केरल हाईकोर्ट ने कहा कि मैरिटल रेप के लिए भारत में किसी सजा का प्रावधान नहीं है लेकिन ये तलाक का दावा करने के लिए मजबूत आधार है. इसी मामले में फैमिली कोर्ट ने भी माना कि पति द्वारा पत्नी से जबरन यौन संबंध बनाना मैरिटल रेप की श्रेणी में आएगा.

छ्त्तीसगढ़ और केरल उच्च न्यायालय के फैसले के बाद मैरिटल रेप पर चर्चा शुरू
छ्त्तीसगढ़ और केरल उच्च न्यायालय के फैसले के बाद मैरिटल रेप पर चर्चा शुरू

रेप, मैरिटल रेप और कानून

रेप या बलात्कार (rape)

-भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति किसी महिला की इच्छा क विरुद्ध या उसकी मर्जी के बिना यौन संबंध बनाता है तो यह रेप या बलात्कार कहलाएगा.

-अगर यौन संबंध की सहमति महिला की मौत, उसे नुकसान पहुंचाने या उसके किसी करीबी व्यक्ति के साथ ऐसा करने के डर से हासिल की गई तो भी ये रेप ही कहलाएगा.

-महिला को झांसा देकर , मानसिक स्थिति ठीक ना होने या फिर नशे में सहमति मिलने पर भी इसे बलात्कार ही माना जाएगा.

-इसके अलावा युवती की उम्र 16 साल से कम होने पर उसकी मर्जी और सहमति के बावजूद यौन संबंध रेप कहलाएगा.

- धारा 376 के तहत बलात्कार के मामलों में अधिकतम उम्रकैद और फांसी तक का प्रावधान है.

मैरिटल रेप या वैवाहिक बलात्कार (marital rape)

भारत में मैरिटल रेप अपराध नहीं है. आईपीसी में रेप की परिभाषा और सजा तो तय है लेकिन मैरिटल रेप की ना तो कोई परिभाषा है और ना ही किसी सजा का प्रावधान है. हालांकि यहां एक अपवाद भी है, सुप्रीम कोर्ट ने साल 2017 में कहा था कि पत्नी की उम्र 18 साल से कम होगी तो उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना रेप माना जाएगा और इसमें धारा 375 के तहत सजा का प्रावधान है.

भारत में पत्नी से जबरन यौन संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं है
भारत में पत्नी से जबरन यौन संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं है

मैरिटल रेप, भारत का कानून और दुनिया

भारतीय दंड संहिता अंग्रेजों के जमाने का कानून है, जो साल 1860 में लागू हुआ था. जिसमें एक अपवाद का जिक्र है, जिसके मुताबिक अगर पति पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाता है और पत्नी की उम्र 15 साल से कम ना हो तो इसे रेप नहीं माना जाएगा. और इसी कानून के आधार पर मैरिटल रेप के मामले कानून की चौखट पर दम तोड़ देते हैं.

ये भी बात सोचने वाली है कि खुद ब्रिटेन ने साल 1991 में मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रख दिया था. 1932 में पोलैंड दुनिया का पहला ऐसा देश बना जिसने मैरिटल रेप को अपराध माना था. वैसे दुनियाभर में मैरिटल रेप को चुनौती मिली है और बीते कुछ सालों में 100 से ज्यादा देशों ने इसे अपराध करार दिया है. जबकि भारत उन 36 देशों में शुमार है जहां मैरिटल रेप अपराध नहीं माना जाता, वो भी तब जब मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में डालने की मांगे लंबे वक्त से उठ रही हैं.

भारत उन 36 देशों में शामिल जहां मैरिटल रेप अपराध नहीं है
भारत उन 36 देशों में शामिल जहां मैरिटल रेप अपराध नहीं है

सरकार का क्या तर्क है ?

देश में कई सामाजिक, मानवाधिकार और महिला कार्यकर्ता लंबे समय से मैरिटल रेप को अपराध की श्रंणी में लाने की मांग कर रहे हैं. साल 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट में मैरिटल रेप को अपराध करार देने को लेकर एक याचिका दायर हुई थी जिसके जवाब में सरकार ने कोर्ट में कहा था कि ऐसा करने से विवाह की संस्था अस्थिर हो सकती है. इस तरह का कानून पत्नियों के लिए पतियों के उत्पीड़न का औजार हो सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा था?

लड़की अगर नाबालिग है और 15 साल से ज्यादा उम्र की है और किसी की पत्नी है तो उसके साथ उसके पति द्वारा बनाए गए संबंध रेप नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट से पहले के नियम के मुताबिक नाबालिग पत्नी से जबरन संबंध रेप नहीं था, लेकिन 11 अक्टूबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण व्यवस्था दी, जिसमें नाबालिग पत्नी को प्रोटेक्ट किया और उसकी शिकायत पर पति के खिलाफ रेप का केस दर्ज किए जाने की व्यवस्था दी.

जबरन यौन संबंध के आरोप में पति को नहीं मिलती सजा
जबरन यौन संबंध के आरोप में पति को नहीं मिलती सजा

पत्नी के पास पति के अत्याचार के खिलाफ क्या अधिकार हैं ?

अब सवाल है कि अगर पति शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित करे तो महिलाओं को भारत का कानून कौन से अधिकार देता है. जवाब है 498A, जिसका इस्तेमाल महिलाएं खुद पर हो रही क्रूरता के खिलाफ कानूनी सहारा लेती है. इसके तहत पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा महिला के मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना को लेकर सजा का प्रावधान है.

कानून के जानकार मानते हैं कि 498A के तहत पत्नी अपने पति के खिलाफ सेक्शुअल असॉल्ट का केस भी दर्ज करा सकती है साथ ही साल 2005 के घरेलू हिंसा के खिलाफ बने कानून में भी महिलाएं अपने पति के खिलाफ कानून की राह पकड़ सकती हैं.

मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में लाने की मांग लंबे वक्त से हो रही है
मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में लाने की मांग लंबे वक्त से हो रही है

विशेषज्ञों की राय

मैरिटल रेप को लेकर केरल हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच ने अपने आदेश में कहा था कि "पत्नी की आजादी को ना मानने वाले पति की वहशियाना प्रकृति ही मैरिटल रेप है". हालांकि ऐेसे आचरण के लिए सजा नहीं दी जा सकती है, लेकिन ये मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न के दायरे में आता है''.

मैरिटल रेप को लेकर एक सवाल ये भी उठता रहा है कि क्या शादी करने का मतलब सेक्स की सहमति है ? जिसे लेकर जानकारों के अलग-अलग तर्क हैं. एक सरकारी सर्वे के मुताबिक़, 31 फ़ीसदी विवाहित महिलाओं पर उनके पति शारिरिक, यौन और मानसिक उत्पीड़न करते हैं. निर्भया रेप मामले के बाद बनी जस्टिस वर्मा कमेटी ने भी मैरिटल रेप के लिए अलग से क़ानून बनाने की मांग की थी. उनकी दलील थी कि शादी के बाद सेक्स में भी सहमति और असहमित को परिभाषित करना चाहिए.

कई विशेषज्ञ मानते हैं कि इस कानून को खत्म कर देना चाहिए और इसके लिए कानून बनाने वालों को महिलाओं के बारे में सोचने के साथ-साथ इस कानून को लेकर अच्छी नीयत के सामने आना होगा.

कानूने के कई जानकारों के मुताबिक मैरिटल रेप को साबित करना बहुत बड़ी चुनौती होगी. चारदिवारी में हुए एक ऐसे गुनाह के सबूत दिखाना बहुत मुश्किल है, वो भी तब जब उस गुनाह का आरोप एक पति पर हो. जानकारों का सवाल है कि जिन देशों में मैरिटल रेप का कानून है वहां ये कितना सफल रहा है. इससे कितना गुनाह रुका है ?

ये भी पढ़ें: क्या शराब पीना मौलिक अधिकार है ? अब शराबबंदी पर क्यों उठे सवाल ?

हैदराबाद: क्या पति द्वारा पत्नी की इच्छा के खिलाफ यौन संबंध बनाना अपराध है ? दरअसल इस सवाल को लेकर समाज से लेकर सोशल मीडिया तक लोग बंटे हुए नजर आ रहे हैं. बीते दिनों मैरिटल रेप को लेकर केरल हाईकोर्ट और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की टिप्पणियों के बाद ये सवाल फिर से उठ रहा है. आखिर क्या होता है ये मैरिटल रेप ? इसपर इन दिनों क्यों चर्चा हो रही है और कानून में इसे लेकर क्या प्रावधान हैं ?

क्या है मैरिटल रेप ?

किसी महिला की इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध बनाना बलात्कार या रेप माना जाता है. अगर पति अपनी पत्नी की मर्जी और इच्छा के खिलाफ जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो इसे 'वैवाहिक बलात्कार' या 'मैरिटल रेप' कहा जाता है. ऐसे कई मामले पहले भी सामने आए हैं, जो समाज से लेकर न्यायपालिका के दर तक पहुंचे हैं. हर बार ऐसे मामले सिर्फ और सिर्फ सवाल छोड़ जाते हैं.

मैरिटल रेप और भारत का कानून
मैरिटल रेप और भारत का कानून

फिलहाल क्यों चर्चा में है मैरिटल रेप ?

अगस्त के महीने में पति द्वारा जबरन यौन संबंध बनाने के तीन अलग-अलग मामलों में तीन राज्यों के हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. न्यायपालिका के फैसलों के बाद मैरिटल रेप एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है.

1) छत्तीसगढ़- पत्नी ने पति पर जबरन यौन संबंध बनाने, अप्राकृतिक यौन संबंध और दहेज प्रताड़ना के आरोप लगाए थे. निचली अदालत ने पति को इस कृत्य के लिए आरोपी करार दिया लेकिन हाईकोर्ट से पति को पत्नी की तरफ से लगाए गए रेप के आरोप से बरी कर दिया. कोर्ट ने पति द्वारा पत्नी से जबरन यौन संबंध बनाने को रेप की श्रेणी में नहीं माना. हालांकि पति के खिलाफ अप्राकृतिक यौन संबंध और दहेज प्रताड़ना का मामला चलाने की मंजूरी दे दी.

2) मुंबई- महिला ने पति पर दहेज उत्पीड़न के साथ जबरन सेक्स करने का आरोप लगाया था. इस मामले में पति की तरफ से कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की गई थी. मुंबई की सेशन कोर्ट ने कहा कि आरोपी व्यक्ति महिला का पति है इसलिये ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि पति होने के नाते उसने कोई गैरकानूनी काम किया है. पति को कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई.

3) केरल- मैरिटल रेप को लेकर केरल की फैमिली कोर्ट और हाईकोर्ट का फैसला बहुत अहम कहा जा सकता है. पत्नी की मर्जी के खिलाफ संबंध बनाने के एक मामले में केरल हाईकोर्ट ने कहा कि मैरिटल रेप के लिए भारत में किसी सजा का प्रावधान नहीं है लेकिन ये तलाक का दावा करने के लिए मजबूत आधार है. इसी मामले में फैमिली कोर्ट ने भी माना कि पति द्वारा पत्नी से जबरन यौन संबंध बनाना मैरिटल रेप की श्रेणी में आएगा.

छ्त्तीसगढ़ और केरल उच्च न्यायालय के फैसले के बाद मैरिटल रेप पर चर्चा शुरू
छ्त्तीसगढ़ और केरल उच्च न्यायालय के फैसले के बाद मैरिटल रेप पर चर्चा शुरू

रेप, मैरिटल रेप और कानून

रेप या बलात्कार (rape)

-भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति किसी महिला की इच्छा क विरुद्ध या उसकी मर्जी के बिना यौन संबंध बनाता है तो यह रेप या बलात्कार कहलाएगा.

-अगर यौन संबंध की सहमति महिला की मौत, उसे नुकसान पहुंचाने या उसके किसी करीबी व्यक्ति के साथ ऐसा करने के डर से हासिल की गई तो भी ये रेप ही कहलाएगा.

-महिला को झांसा देकर , मानसिक स्थिति ठीक ना होने या फिर नशे में सहमति मिलने पर भी इसे बलात्कार ही माना जाएगा.

-इसके अलावा युवती की उम्र 16 साल से कम होने पर उसकी मर्जी और सहमति के बावजूद यौन संबंध रेप कहलाएगा.

- धारा 376 के तहत बलात्कार के मामलों में अधिकतम उम्रकैद और फांसी तक का प्रावधान है.

मैरिटल रेप या वैवाहिक बलात्कार (marital rape)

भारत में मैरिटल रेप अपराध नहीं है. आईपीसी में रेप की परिभाषा और सजा तो तय है लेकिन मैरिटल रेप की ना तो कोई परिभाषा है और ना ही किसी सजा का प्रावधान है. हालांकि यहां एक अपवाद भी है, सुप्रीम कोर्ट ने साल 2017 में कहा था कि पत्नी की उम्र 18 साल से कम होगी तो उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना रेप माना जाएगा और इसमें धारा 375 के तहत सजा का प्रावधान है.

भारत में पत्नी से जबरन यौन संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं है
भारत में पत्नी से जबरन यौन संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं है

मैरिटल रेप, भारत का कानून और दुनिया

भारतीय दंड संहिता अंग्रेजों के जमाने का कानून है, जो साल 1860 में लागू हुआ था. जिसमें एक अपवाद का जिक्र है, जिसके मुताबिक अगर पति पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाता है और पत्नी की उम्र 15 साल से कम ना हो तो इसे रेप नहीं माना जाएगा. और इसी कानून के आधार पर मैरिटल रेप के मामले कानून की चौखट पर दम तोड़ देते हैं.

ये भी बात सोचने वाली है कि खुद ब्रिटेन ने साल 1991 में मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में रख दिया था. 1932 में पोलैंड दुनिया का पहला ऐसा देश बना जिसने मैरिटल रेप को अपराध माना था. वैसे दुनियाभर में मैरिटल रेप को चुनौती मिली है और बीते कुछ सालों में 100 से ज्यादा देशों ने इसे अपराध करार दिया है. जबकि भारत उन 36 देशों में शुमार है जहां मैरिटल रेप अपराध नहीं माना जाता, वो भी तब जब मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में डालने की मांगे लंबे वक्त से उठ रही हैं.

भारत उन 36 देशों में शामिल जहां मैरिटल रेप अपराध नहीं है
भारत उन 36 देशों में शामिल जहां मैरिटल रेप अपराध नहीं है

सरकार का क्या तर्क है ?

देश में कई सामाजिक, मानवाधिकार और महिला कार्यकर्ता लंबे समय से मैरिटल रेप को अपराध की श्रंणी में लाने की मांग कर रहे हैं. साल 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट में मैरिटल रेप को अपराध करार देने को लेकर एक याचिका दायर हुई थी जिसके जवाब में सरकार ने कोर्ट में कहा था कि ऐसा करने से विवाह की संस्था अस्थिर हो सकती है. इस तरह का कानून पत्नियों के लिए पतियों के उत्पीड़न का औजार हो सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा था?

लड़की अगर नाबालिग है और 15 साल से ज्यादा उम्र की है और किसी की पत्नी है तो उसके साथ उसके पति द्वारा बनाए गए संबंध रेप नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट से पहले के नियम के मुताबिक नाबालिग पत्नी से जबरन संबंध रेप नहीं था, लेकिन 11 अक्टूबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण व्यवस्था दी, जिसमें नाबालिग पत्नी को प्रोटेक्ट किया और उसकी शिकायत पर पति के खिलाफ रेप का केस दर्ज किए जाने की व्यवस्था दी.

जबरन यौन संबंध के आरोप में पति को नहीं मिलती सजा
जबरन यौन संबंध के आरोप में पति को नहीं मिलती सजा

पत्नी के पास पति के अत्याचार के खिलाफ क्या अधिकार हैं ?

अब सवाल है कि अगर पति शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित करे तो महिलाओं को भारत का कानून कौन से अधिकार देता है. जवाब है 498A, जिसका इस्तेमाल महिलाएं खुद पर हो रही क्रूरता के खिलाफ कानूनी सहारा लेती है. इसके तहत पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा महिला के मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना को लेकर सजा का प्रावधान है.

कानून के जानकार मानते हैं कि 498A के तहत पत्नी अपने पति के खिलाफ सेक्शुअल असॉल्ट का केस भी दर्ज करा सकती है साथ ही साल 2005 के घरेलू हिंसा के खिलाफ बने कानून में भी महिलाएं अपने पति के खिलाफ कानून की राह पकड़ सकती हैं.

मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में लाने की मांग लंबे वक्त से हो रही है
मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में लाने की मांग लंबे वक्त से हो रही है

विशेषज्ञों की राय

मैरिटल रेप को लेकर केरल हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच ने अपने आदेश में कहा था कि "पत्नी की आजादी को ना मानने वाले पति की वहशियाना प्रकृति ही मैरिटल रेप है". हालांकि ऐेसे आचरण के लिए सजा नहीं दी जा सकती है, लेकिन ये मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न के दायरे में आता है''.

मैरिटल रेप को लेकर एक सवाल ये भी उठता रहा है कि क्या शादी करने का मतलब सेक्स की सहमति है ? जिसे लेकर जानकारों के अलग-अलग तर्क हैं. एक सरकारी सर्वे के मुताबिक़, 31 फ़ीसदी विवाहित महिलाओं पर उनके पति शारिरिक, यौन और मानसिक उत्पीड़न करते हैं. निर्भया रेप मामले के बाद बनी जस्टिस वर्मा कमेटी ने भी मैरिटल रेप के लिए अलग से क़ानून बनाने की मांग की थी. उनकी दलील थी कि शादी के बाद सेक्स में भी सहमति और असहमित को परिभाषित करना चाहिए.

कई विशेषज्ञ मानते हैं कि इस कानून को खत्म कर देना चाहिए और इसके लिए कानून बनाने वालों को महिलाओं के बारे में सोचने के साथ-साथ इस कानून को लेकर अच्छी नीयत के सामने आना होगा.

कानूने के कई जानकारों के मुताबिक मैरिटल रेप को साबित करना बहुत बड़ी चुनौती होगी. चारदिवारी में हुए एक ऐसे गुनाह के सबूत दिखाना बहुत मुश्किल है, वो भी तब जब उस गुनाह का आरोप एक पति पर हो. जानकारों का सवाल है कि जिन देशों में मैरिटल रेप का कानून है वहां ये कितना सफल रहा है. इससे कितना गुनाह रुका है ?

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