हैदराबाद : आयशा बाकरी गोंबी ने बहुत बहादुरी से बोको हरम के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखी, जो उनकी उपलब्धि है. जंगलों में बोको हराम के लड़ाकों और नाइजीरियाई सेना के बीच कई मुठभेड़ हुई, जिसके बाद आयशा ने सेना की मदद कर विद्रोहियों को पकड़वाना शुरू किया.
बेहतर ट्रैकिंग कौशल के साथ वह बोको हराम के लड़ाकों को पकड़वाने में सेना की मदद करती हैं. सरकार से आर्थिक सहायत नहीं मिलने के चलते आयशा हथियारों से लैस दुश्मन से लड़ने के लिए स्थानीय रूप से बनाए गए हथियार उपयोग करती हैं.
- बोको हराम, जिसका मोटे तौर पर अर्थ- पश्चिमी शिक्षा निषिद्ध है', ने पूर्वोत्तर नाइजीरिया में एक इस्लामिक राज्य बनाने के लिए 10 साल पहले सशस्त्र अभियान छेड़ा.
- बोको हराम ने 2.3 मिलियन लोगों को उनके घरों से विस्थापित कर दिया और दस हजार से ज्यादा लोगों को मार डाला.
- यह दुनिया के सबसे घातक सशस्त्र समूहों में से एक है.
आयशा बाकरी गोंबी को उनकी बहादुरी के लिए 'क्वीन हंटर' नाम दिया गया है. बोको हराम के शिविर जंगलों और पहाड़ों में होते हैं, जहां आयशा बचपन में अपने पिता के साथ शिकार पर जाती थीं.
आयशा सांबीसा जंगल के हर कोने को जानती हैं. वह अपने पिता के साथ जानवारों का शिकार करती थीं और अब वह बोको हराम लड़ाकों का शिकार करती हैं. यह शिकारियों के लिए एक पवित्र स्थान है, इसलिए इसे बोको हराम के लड़ाकों से मुक्त कराना एक विशेष महत्व रखता है.
आयशा ने अन्य शिकारियों के साथ बोको हराम द्वारा बंदी बनाए गए सैकड़ों लोगों को आजाद कराया है. बच्चों को बचाना आयशा को प्रेरित करता है.
उनकी कहानी उत्तरी नाइजीरिया में लोकगीत के जरिए सुनाई जाती है, जहां 'क्वीन हंटर' वास्तविक जीवन की एक सुपरहीरो मानी जाती है.
शिकारी सांबिसा जंगल को बेहतर तरीके से जानते हैं, इसलिए सेना छिपे हुए बोको हराम लड़ाकों को ट्रैक करने के लिए उनकी मदद लेती है. आयशा को उन महिलाओं और बच्चों की चिंता सताती रहती है, जिनका उपहरण लड़ाकों ने किया होता है.
आयुर्वेदीय विशेषज्ञ
आयशा ने अपने पिता से औषधीय पौधों के बारे में सीखा, जिसके बाद वह औषधीय दवाओं की एक विशेषज्ञ मानी जाने लगीं.
आयशा की टीम
बुकर जिमीता, आयशा और उनकी टीम के कमांडर थे. उन्होंने तीन दशकों तक सांबीसा जंगल में बोको हराम के लड़ातों को पकड़वाने में मदद की थी. जुलाई 2017 में बोको हराम ने उनकी हत्या कर दी थी.
नाइजीरिया की 'झांसी की रानी'
बोको हराम को अलकायदा और आईएस के बाद तीसरा सबसे खतरनाक आतंकी संगठन माना जाता है.
नाइजीरिया के पूर्वोत्तर इलाके में यह कहावत पूरी तरह से सही साबित हुई है. यहां पर पिछले 11 सालों से बोको हराम के आतंकियों और सुरक्षा एजेंसियों के बीच युद्ध जारी है. गरीबी में रहने वाली यहां की आबादी भी पुलिस का सहयोग करती है.
यहां का एक राज्य है अडामावा. बोको हराम ने यहां के लोगों का जीवन हराम कर रखा है. यहीं पर सरुनिया आमिना बाकरी गोंबी नाम की एक महिला रहती थी. इसे रानी के नाम से जाना जाता था. वह एक योद्धा और शिकारी थी.
यहां पर 16वीं सदी में जैजो के हौसा योद्धाओं की महानरानी आमिना रहती थी. यहां के लोगों के बीच आयशा की लोकप्रियता वैसी ही है.
बोको हराम के योद्धाओं के लिए यह नाम अब खौफ बन चुका है. ऐसे समय में जबकि बोको हराम के आतंकी महिलाओं की इज्जत लूट रहे थे, बच्चों का अपहरण कर रहे थे, पुरुषों की हत्या कर रहे थे, अधिकांश लोग जगह छोड़कर भागने लगे थे, यहां पर रानी ने लोहा लेने का मन बना लिया.
जुलुम (Zulum) को सैनिकों ने बोको हराम के हमलों से बचाया. रानी इसी समुदाय से हैं. वह इस मौके को छोड़ना नहीं चाहती हैं. उनके अंदर जो भी लड़ने की क्षमता है, वह उसका पूरा उपयोग कर रही हैं.
बोको हराम के खिलाफ लड़ने वालों की सूची में रानी आयशा का नाम प्रमुखता से दर्ज है. उनसे जब पूछा गया कि आपका उद्देश्य क्या है, तो उन्होंने बताया कि वह अपने लोगों की आजादी के लिए लड़ रही हैं. उन्होंने कहा कि हमारा प्रमुख उद्देश्य नाइजीरिया को आतंक से मुक्त करना है.
उनके समुदाय का मूल पेशा शिकार करना रहा है. इसमें मुख्य रूप से पुरुष ही हिस्सा लेते हैं, लेकिन रानी ने साहस का परिचय देते हुए न सिर्फ इस पेशे में आईं, बल्कि अपने समुदाय के लोगों की मदद भी की.
आयशा के पिता भी एक शिकारी थे. जैसे-जैसे वह बड़ी होती गईं, उन्होंने सैम्बिसा के जंगलों में बोको हराम को करीब से देखा है. यह जंगल बोको हराम का गढ़ माना जाता है. रानी यहां पर मृग और बबून का शिकार करने जाती थीं.
रानी आयशा ने बताया कि उसने काफी करीब से देखा है कि इन उग्रवादियों ने किस तरह से लोगें की जिंदगी तबाह की है. उनका अपहरण किया है. उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है. गांव के गांव तबाह कर दिए गए.
जब उनके गांव पर हमला किया गया, तो उसके अंदर की शक्ति जाग उठी. भागने के बजाय उसने संघर्ष करने का फैसला किया. बिना लड़ाई के उग्रवादियों से बचने का कोई रास्ता नहीं बचा था.
ऐसा लगता है कि बाइबल में जिस तरह से एस्थर क्वीन की चर्चा की जाती है, आयशा भी बिल्कुल तैयार बैठी थीं. लोगों ने मदद की और वह अपना काम करती चली गईं. जिस तरीके से वह काम कर रही थीं, उसे देखकर लोग अचरज में थे. वह आतंकियों से लड़ने के लिए जैसे तैयार बैठी थीं.
नाइजीरिया की सेना को बोको हराम के खिलाफ लड़ाई में स्थानीय इनपुट की जरूरत थी. रानी आयशा खुद ही आगे बढ़कर सहयोग के लिए तैयार हो गईं. सेना ने उन्हें एडहॉक के तौर पर रख लिया.
सेना ने ज्वांइट टास्क फोर्स तैयार किया. इसमें आम नागरिकों को शामिल किया. वैसे लोग शामिल हुए, तो अपने समुदाय को बचाना चाहते थे.
आयशा और उनके जैसे युवा आंदोलन से जुड़े. वे पैसे के बजाय विचारधारा से ज्यादा प्रेरित हैं. वे अपने समुदाय, गांव और देश को प्राथमिकता दे रहे हैं. आप अंदाजा लगाइए पैसे इकट्ठे करने के लिए उन्होंने अपनी सिलाई की मशीन भी बेच दी. उसके बाद उन्होंने इस पैसे से राइफल खरीदी. वह कहती हैं कि बोको खुद उनसे डरते हैं.
आयशा ने कई महिलाओं को प्रेरित किया और अपने ग्रुप में शामिल कर लिया. आयशा ने कहा कि हम सबको सरकार का हाथ मजबूत करना चाहिए. सुरक्षा की जवाबदेही सिर्फ सुरक्षाबलों की नहीं, बल्कि हम सबकी है.
लोगों को प्रेरित करती हुईं आयशा ने कहा कि जब तक देश में शांति नहीं होगी, तब तक यहां पर विकास का कार्य नहीं होगा.
अपनी चुनौतियों के बारे में चर्चा करती हुई आयशा ने बताया कि अभी भी हम लोगों को रेस्क्यू मिशन में शामिल नहीं किया जाता है. दूसरी बड़ी समस्या है- फंड की. क्योंकि हमें हथियार और बारूद की जरूरत होती है. हमारे पास वाहन की कमी होती है. हालांकि, इन कमियों के बावजूद जब हम जंगलों में रहते हैं, तो हम बहुत ही प्रसन्न होते हैं.
आयशा ने बताया कि वह इन संघर्षों के साथ-साथ घर की जवाबदेही भी बखूबी निभा लेती हैं. उन्होंने कहा कि उनके पति को उस पर गर्व है.