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क्या है भारत-बांग्लादेश इंटरनेशनल रेल लिंक प्रोजेक्ट, समझें

Agartala Akhaura cross border rail link project : भारत और बांग्लादेश के बीच आज जिस रेल लिंक प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया गया है, उससे दोनों देशों के बीच की न सिर्फ दूरी घटेगी, बल्कि हमारे अपने उत्तर-पूर्वी इलाके में क्रांतिकारी परिवर्तन आ जाएगा. अगरतला और कोलकाता के बीच की दूरी को मात्र 10 घंटे में रेल के जरिए तय किया जा सकेगा, फिलहाल जो मार्ग उपलब्ध है, उसके जरिए 38 घंटे का समय लगता है.

Agar tala akhaura rail link
अगरतला अखौरा रेल लिंक
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 1, 2023, 7:45 PM IST

नई दिल्ली : एमओयू पर हस्ताक्षर होने के 10 साल बाद अगरतला-अखौरा प्रोजेक्ट का आज उद्घाटन कर दिया गया. एमओयू पर 2013 में हस्ताक्षर किया गया था. बुधवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने ऑनलाइन माध्यम से इसका उद्घाटन किया. आइए इस प्रोजेक्ट संबंधित कुछ अहम जानकारियों पर एक नजर डालते हैं.

कब हुआ ट्रायल - इस प्रोजेक्ट का ट्रायल रन सोमवार को पूरा हो गया था. इस दौरान चार वैगन से जुड़ा एक लोकोमोटिव इंजन त्रिपुरा पहुंचा. इसका गंतव्य निश्चिंतापुर रेलवे स्टेशन था. इस स्टेशन को हाल ही में बनाया गया था.

  • Prime Minister @narendramodi and Prime Minister of Bangladesh, H.E. Sheikh Hasina jointly inaugurate:

    🔹Akhaura (Bangladesh) - Agartala (India) rail link

    🔹Khulna-Mongla Port rail line

    🔹Unit 2 of Maitree Super Thermal Power Plant in
    Rampal, Bangladesh pic.twitter.com/G9Mzd7gv6K

    — PIB India (@PIB_India) November 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

प्रोजेक्ट से जुड़ी खास बातें - कुल 15 किलोमीटर का यह रेलवे प्रोजेक्ट है. भारत की सीमा के अंदर पांच किलोमीटर और बांग्लादेश की सीमा से 10 किलोमीटर अंदर तक की कुल दूरी है. इस प्रोजेक्ट के पूरे हो जाने पर अगरतला और कोलकाता के बीच की दूरी घट जाएगी. इस रूट पर चलने वाली ट्रेन अगरतला और कोलकाता के बीच की दूरी को कवर करेगी, ट्रेन ढाका के रास्ते पहुंचेगी. अभी दोनों शहरों (अगरतला-कोलकाता) के बीच की दूरी 1600 किलोमीटर है और ट्रेन से इस दूरी को कवर करने में 38 घंटे लगते हैं. लेकिन नए रेल लिंक के खुलने के बाद इस दूरी को मात्र 10 घंटे में तय किया जा सकता है. साथ-साथ दोनों देशों के बीच फ्रेट के किराए में भी भारी बचत होगी. व्यापारियों के लिए यह एक सुखद पहलू है. लैंड लॉक्ड उत्तर पूर्वी भारत और बांग्लादेश के बंदरगाह चटगांव के बीच सीधी पहुंच सुनिश्चित हो जाएगी.

कब इस प्रोजेक्ट पर विचार किया गया था - सबसे पहले इसकी मांग 19वीं सदी में असम के चाय उद्योगों ने की थी. वे चाय निर्यात करने के लिए चटगांव बंदरगाह तक सीधी पहुंच चाहते थे. लेकिन तब से लेकर इस प्रोजेक्ट पर कभी भी गंभीरता से बातचीत नहीं की गई. कभी बातचीत की भी गई, तो उस पर कोई पहल नहीं की गई. पहली बार 2010 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय में इस प्रोजेक्ट को लेकर दोनों देशों के बीच औपचारिक सहमति बनी और समझौते पर हस्ताक्षर हुए. उस समय भी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ही थीं.

2012-13 में इस प्रोजेक्ट को सैंक्शन किया गया. जुलाई 2016 में इसकी नींव रखी गई. 15 किलोमीटर के इस प्रोजेक्ट में एक बड़ा ब्रिज और तीन छोटे-छोटे ब्रिज हैं. इस प्रोजेक्ट का खर्च 862.5 करोड़ बताया गया है.

  • In a bid to improve the cross-border rail connectivity between India and Bangladesh, PM Modi & his Bangladeshi counterpart, Sheikh Hasina, are set to jointly inaugurate Agartala-Akhaura Cross Border Rail Link Project in a virtual ceremony tomorrow at 11 am

    Please Follow… pic.twitter.com/bhmwyNS35Z

    — THE SQUADRON (@THE_SQUADR0N) October 31, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

अभी भारत और बांग्लादेश किस तरह से सड़क से जुड़े हुए हैं - त्रिपुरा और बांग्लादेश के बीच 856 किलोमीटर की सीमा साझा होती है. कुछ स्थानीय विवादों की वजह से इसके एक हिस्से पर आज तक फेंसिंग नहीं की गई है. वैसे, अधिकांश इलाके पर फेंसिंग है. लिहाजा, इसका देश के मुख्य इलाकों से संबंध असम के रास्ते है. यह पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी इलाके से गुजरता है.

प्रोजेक्ट में क्यों हुई देरी - इस प्रोजेक्ट को 2020 तक पूरा हो जाना था. लेकिन जमीन अधिग्रहण और उसके बाद कोविड की वजह से प्रोजेक्ट में देरी हुई. इंडियन रेलवे के सुनिंद्र चौधरी ने कहा कि इस रेल मार्ग पर मालगाड़ी की आवाजाही बहुत जल्द शुरू हो रही है. हालांकि, पैसेंजर ट्रेन की अनुमति में अभी थोड़ा वक्त लगेगा. उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे और बांग्लादेश रेलवे बोर्ड के बीच अभी कुछ सहमति होनी है.

ये भी पढ़ें : पड़ोसी देशों के साथ भी सबका साथ, सबका विकास चाहता है भारत : पीएम मोदी

नई दिल्ली : एमओयू पर हस्ताक्षर होने के 10 साल बाद अगरतला-अखौरा प्रोजेक्ट का आज उद्घाटन कर दिया गया. एमओयू पर 2013 में हस्ताक्षर किया गया था. बुधवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने ऑनलाइन माध्यम से इसका उद्घाटन किया. आइए इस प्रोजेक्ट संबंधित कुछ अहम जानकारियों पर एक नजर डालते हैं.

कब हुआ ट्रायल - इस प्रोजेक्ट का ट्रायल रन सोमवार को पूरा हो गया था. इस दौरान चार वैगन से जुड़ा एक लोकोमोटिव इंजन त्रिपुरा पहुंचा. इसका गंतव्य निश्चिंतापुर रेलवे स्टेशन था. इस स्टेशन को हाल ही में बनाया गया था.

  • Prime Minister @narendramodi and Prime Minister of Bangladesh, H.E. Sheikh Hasina jointly inaugurate:

    🔹Akhaura (Bangladesh) - Agartala (India) rail link

    🔹Khulna-Mongla Port rail line

    🔹Unit 2 of Maitree Super Thermal Power Plant in
    Rampal, Bangladesh pic.twitter.com/G9Mzd7gv6K

    — PIB India (@PIB_India) November 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

प्रोजेक्ट से जुड़ी खास बातें - कुल 15 किलोमीटर का यह रेलवे प्रोजेक्ट है. भारत की सीमा के अंदर पांच किलोमीटर और बांग्लादेश की सीमा से 10 किलोमीटर अंदर तक की कुल दूरी है. इस प्रोजेक्ट के पूरे हो जाने पर अगरतला और कोलकाता के बीच की दूरी घट जाएगी. इस रूट पर चलने वाली ट्रेन अगरतला और कोलकाता के बीच की दूरी को कवर करेगी, ट्रेन ढाका के रास्ते पहुंचेगी. अभी दोनों शहरों (अगरतला-कोलकाता) के बीच की दूरी 1600 किलोमीटर है और ट्रेन से इस दूरी को कवर करने में 38 घंटे लगते हैं. लेकिन नए रेल लिंक के खुलने के बाद इस दूरी को मात्र 10 घंटे में तय किया जा सकता है. साथ-साथ दोनों देशों के बीच फ्रेट के किराए में भी भारी बचत होगी. व्यापारियों के लिए यह एक सुखद पहलू है. लैंड लॉक्ड उत्तर पूर्वी भारत और बांग्लादेश के बंदरगाह चटगांव के बीच सीधी पहुंच सुनिश्चित हो जाएगी.

कब इस प्रोजेक्ट पर विचार किया गया था - सबसे पहले इसकी मांग 19वीं सदी में असम के चाय उद्योगों ने की थी. वे चाय निर्यात करने के लिए चटगांव बंदरगाह तक सीधी पहुंच चाहते थे. लेकिन तब से लेकर इस प्रोजेक्ट पर कभी भी गंभीरता से बातचीत नहीं की गई. कभी बातचीत की भी गई, तो उस पर कोई पहल नहीं की गई. पहली बार 2010 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय में इस प्रोजेक्ट को लेकर दोनों देशों के बीच औपचारिक सहमति बनी और समझौते पर हस्ताक्षर हुए. उस समय भी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ही थीं.

2012-13 में इस प्रोजेक्ट को सैंक्शन किया गया. जुलाई 2016 में इसकी नींव रखी गई. 15 किलोमीटर के इस प्रोजेक्ट में एक बड़ा ब्रिज और तीन छोटे-छोटे ब्रिज हैं. इस प्रोजेक्ट का खर्च 862.5 करोड़ बताया गया है.

  • In a bid to improve the cross-border rail connectivity between India and Bangladesh, PM Modi & his Bangladeshi counterpart, Sheikh Hasina, are set to jointly inaugurate Agartala-Akhaura Cross Border Rail Link Project in a virtual ceremony tomorrow at 11 am

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    — THE SQUADRON (@THE_SQUADR0N) October 31, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

अभी भारत और बांग्लादेश किस तरह से सड़क से जुड़े हुए हैं - त्रिपुरा और बांग्लादेश के बीच 856 किलोमीटर की सीमा साझा होती है. कुछ स्थानीय विवादों की वजह से इसके एक हिस्से पर आज तक फेंसिंग नहीं की गई है. वैसे, अधिकांश इलाके पर फेंसिंग है. लिहाजा, इसका देश के मुख्य इलाकों से संबंध असम के रास्ते है. यह पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी इलाके से गुजरता है.

प्रोजेक्ट में क्यों हुई देरी - इस प्रोजेक्ट को 2020 तक पूरा हो जाना था. लेकिन जमीन अधिग्रहण और उसके बाद कोविड की वजह से प्रोजेक्ट में देरी हुई. इंडियन रेलवे के सुनिंद्र चौधरी ने कहा कि इस रेल मार्ग पर मालगाड़ी की आवाजाही बहुत जल्द शुरू हो रही है. हालांकि, पैसेंजर ट्रेन की अनुमति में अभी थोड़ा वक्त लगेगा. उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे और बांग्लादेश रेलवे बोर्ड के बीच अभी कुछ सहमति होनी है.

ये भी पढ़ें : पड़ोसी देशों के साथ भी सबका साथ, सबका विकास चाहता है भारत : पीएम मोदी

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