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महाराष्ट्र सरकार के कृषि कानूनों में संशोधन के प्रयास को किसान मोर्चा ने बताया निरर्थक - कृषि कानूनों में संशोधन के प्रयास

संयुक्त किसान मोर्चा ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा कृषि कानूनों में संशोधन के प्रयास को निरर्थक बताया है. इसको लेकर सिंघु बॉर्डर धरना स्थल पर किसान मोर्चा से जुड़े किसान संगठनों की हुई बैठक के बाद जारी बयान में यह बातें कही गईं. साथ किसान मोर्चा ने महाराष्ट्र सरकार की आलोचना करते हुए इसे अर्थहीन बताया है.

किसान मोर्चा
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Published : Jul 1, 2021, 10:42 PM IST

नई दिल्ली : संयुक्त किसान मोर्चा ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा कृषि कानूनों में संशोधन के प्रयास को निरर्थक बताया है. किसान मोर्चा से जुड़े 32 किसान संगठनों ने गुरुवार को सिंघु बॉर्डर धरना स्थल पर बैठक करने के बाद जारी व्यक्तव्य में यह बात कही गई है. किसान मोर्चा ने इसको लेकर महाराष्ट्र सरकार के प्रयास की आलोचना करते हुए इसे अर्थहीन बताया.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र के तीन कृषि सुधार कानूनों के लागू होने पर जनवरी 2021 में रोक लगा दी गई थी . किसान मोर्चा द्वारा दिल्ली के बॉर्डरों पर बीते 7 महीनों से कृषि कानून रद्द करने की मांग के साथ धरना दिया जा रहा है. ऐसे में खबर आई कि महाराष्ट्र सरकार केंद्र के तीन कृषि कानूनों में कुछ संशोधन करने का प्रयास कर रही है.

ये भी पढ़ें -नरेंद्र सिंह तोमर बोले- तीनों कृषि कानून नहीं होंगे वापस, बाकी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार सरकार

इस पर संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि राज्य के किसान संगठन पहले ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के साथ बैठक कर अपनी मांग स्पष्ट कर चुके हैं जिसमें तीनों कृषि कानूनों को रद्द करना व एमएसपी गारंटी कानून बनाना प्रमुख है. ऐसे में राज्य सरकार किसानों की मांग और उनके आंदोलन का समर्थन करे. किसान मोर्चा ने कहा है कि 1963 के महाराष्ट्र एपीएमसी अधिनियम में भी किसी तरह का संशोधन राज्य सरकार को उचित लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के चलाने के बाद ही करना चाहिए.

एनडीए सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि सुधार कानूनों का सभी लगभग सभी गैर एनडीए दलों ने अब तक विरोध ही किया है. विशेषकर महाराष्ट्र की कांग्रेस-शिवसेना-राकपा गठबंधन महा विकास अघाड़ी सरकार ने भी मोदी सरकार द्वारा लाए गए कानूनों का विरोध किया है. वहीं किसानों ने भी स्पष्ट किया है कि उन्हें कानून रद्द करने से कम कुछ भी मंजूर नहीं है.

केंद्र सरकार द्वारा संशोधन की शर्त पर वार्ता के प्रस्ताव लगातार रखे गए और 11 दौर की वार्ता में भी केंद्र सरकार ने तीनों कानूनों के प्रावधानों में संशोधन के प्रस्ताव को ही अंतिम बताया. ऐसे में यदि महा विकास अघाड़ी सरकार भी संशोधन के प्रस्ताव का समर्थन करती है तो किसान संगठन उनका भी खुल कर विरोध करेंगे.

ये भी पढ़ें - कृषि मंत्री ने की किसान आंदोलन खत्म करने की अपील, कहा- सरकार बात करने को तैयार

किसान मोर्चा ने कहा है कि अभी तक किसान आंदोलन केंद्र सरकार और भाजपा शाषित राज्यों पर केंद्रित रहा है. किसान संगठन भाजपा और उसके समर्थक दलों का विरोध जिस मुखरता और आक्रोश से करते दिखे हैं वैसा विरोध गैर भाजपा शाषित राज्यों में नहीं दिखा है. ऐसे में यदि कृषि कानून में महाराष्ट्र सरकार द्वारा संशोधन के प्रयास की खबर सही है तो सवाल उठते हैं कि क्या महा विकास अघाड़ी सरकार यह व्यर्थ का जोखिम उठाने की गलती कर सकती है?

अखिल गगोई के बरी होने का किसान मोर्चा ने किया स्वागत

असम के विधायक अखिल गोगोई को गुरुवार को एनआईए की विशेष अदालत ने तीन अन्य लोगों के साथ सभी आरोपों से बरी कर दिया है. अदालत ने गोगोई के खिलाफ देशद्रोह समेत एनआईए के सभी आरोपों को खारिज कर दिया जिसके बाद अब अखिल गोगोई की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है. गोगोई असम की कृषि मुक्ति संग्राम समिति के किसान नेता भी रहे हैं और कृषि कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन को इस संगठन का समर्थन रहा है. ऐसे में विशेष अदालत द्वारा उन्हें आरोप मुक्त किये जाने का संयुक्त किसान मोर्चा ने भी स्वागत किया है.

नई दिल्ली : संयुक्त किसान मोर्चा ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा कृषि कानूनों में संशोधन के प्रयास को निरर्थक बताया है. किसान मोर्चा से जुड़े 32 किसान संगठनों ने गुरुवार को सिंघु बॉर्डर धरना स्थल पर बैठक करने के बाद जारी व्यक्तव्य में यह बात कही गई है. किसान मोर्चा ने इसको लेकर महाराष्ट्र सरकार के प्रयास की आलोचना करते हुए इसे अर्थहीन बताया.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र के तीन कृषि सुधार कानूनों के लागू होने पर जनवरी 2021 में रोक लगा दी गई थी . किसान मोर्चा द्वारा दिल्ली के बॉर्डरों पर बीते 7 महीनों से कृषि कानून रद्द करने की मांग के साथ धरना दिया जा रहा है. ऐसे में खबर आई कि महाराष्ट्र सरकार केंद्र के तीन कृषि कानूनों में कुछ संशोधन करने का प्रयास कर रही है.

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इस पर संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि राज्य के किसान संगठन पहले ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के साथ बैठक कर अपनी मांग स्पष्ट कर चुके हैं जिसमें तीनों कृषि कानूनों को रद्द करना व एमएसपी गारंटी कानून बनाना प्रमुख है. ऐसे में राज्य सरकार किसानों की मांग और उनके आंदोलन का समर्थन करे. किसान मोर्चा ने कहा है कि 1963 के महाराष्ट्र एपीएमसी अधिनियम में भी किसी तरह का संशोधन राज्य सरकार को उचित लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के चलाने के बाद ही करना चाहिए.

एनडीए सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि सुधार कानूनों का सभी लगभग सभी गैर एनडीए दलों ने अब तक विरोध ही किया है. विशेषकर महाराष्ट्र की कांग्रेस-शिवसेना-राकपा गठबंधन महा विकास अघाड़ी सरकार ने भी मोदी सरकार द्वारा लाए गए कानूनों का विरोध किया है. वहीं किसानों ने भी स्पष्ट किया है कि उन्हें कानून रद्द करने से कम कुछ भी मंजूर नहीं है.

केंद्र सरकार द्वारा संशोधन की शर्त पर वार्ता के प्रस्ताव लगातार रखे गए और 11 दौर की वार्ता में भी केंद्र सरकार ने तीनों कानूनों के प्रावधानों में संशोधन के प्रस्ताव को ही अंतिम बताया. ऐसे में यदि महा विकास अघाड़ी सरकार भी संशोधन के प्रस्ताव का समर्थन करती है तो किसान संगठन उनका भी खुल कर विरोध करेंगे.

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किसान मोर्चा ने कहा है कि अभी तक किसान आंदोलन केंद्र सरकार और भाजपा शाषित राज्यों पर केंद्रित रहा है. किसान संगठन भाजपा और उसके समर्थक दलों का विरोध जिस मुखरता और आक्रोश से करते दिखे हैं वैसा विरोध गैर भाजपा शाषित राज्यों में नहीं दिखा है. ऐसे में यदि कृषि कानून में महाराष्ट्र सरकार द्वारा संशोधन के प्रयास की खबर सही है तो सवाल उठते हैं कि क्या महा विकास अघाड़ी सरकार यह व्यर्थ का जोखिम उठाने की गलती कर सकती है?

अखिल गगोई के बरी होने का किसान मोर्चा ने किया स्वागत

असम के विधायक अखिल गोगोई को गुरुवार को एनआईए की विशेष अदालत ने तीन अन्य लोगों के साथ सभी आरोपों से बरी कर दिया है. अदालत ने गोगोई के खिलाफ देशद्रोह समेत एनआईए के सभी आरोपों को खारिज कर दिया जिसके बाद अब अखिल गोगोई की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है. गोगोई असम की कृषि मुक्ति संग्राम समिति के किसान नेता भी रहे हैं और कृषि कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन को इस संगठन का समर्थन रहा है. ऐसे में विशेष अदालत द्वारा उन्हें आरोप मुक्त किये जाने का संयुक्त किसान मोर्चा ने भी स्वागत किया है.

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