शिमला : हिमाचल प्रदेश में 30 नवंबर तक तक संपूर्ण कोविड टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है. वहीं, कोविड प्रतिरोधी टीका लगाने वाला किन्नौर देश का ऐसा पहला जिला बन गया है, जहां निर्धारित लक्ष्य (18 साल से अधिक उम्र) के सभी व्यक्तियों को कोविड टीके की दोनों खुराक दी जा चुकी है. यह जानकारी किन्नौर के उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक (Abid Hussain Sadiq) ने दी.
उपायुक्त ने गुरुवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि किन्नौर जिले के कुल 60,305 व्यक्तियों को कोविड प्रतिरोधी टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया था, जिसे जिले ने आज पूर्ण कर लिया है तथा जिले के सभी व्यक्तियों को कोविड के दोनों टीके लगाए जा चुके हैं, जो प्रदेश व जिले के लिए गौरव का विषय है.
उपायुक्त ने जिले को कोविड रोधी टीका लगाने में देशभर में प्रथम आने पर स्वास्थ्य विभाग को बधाई दी. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के पैरा-मेडिकल स्टाफ द्वारा जिले की विकट परिस्थितियों के बावजूद दोगरियों व कण्डों में जाकर लोगों का कोविड टीकाकरण किया, जिसके फलस्वरूप किन्नौर जिला अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हो सका.
उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों द्वारा लागों को टीकाकरण के प्रति जागरूक करने में अहम भूमिका रही. पंचायत प्रतिनिधियों ने घर-घर जाकर लोगों को टीकाकरण करने के लिए जागरूक किया, जिसके फलस्वरूप आज जिला यह मुकाम हासिल कर सका है.
उन्होंने स्थानीय लोगों को भी जिले के कोविड टीकाकरण अभियान में बढ़-चढ़कर भाग लेने के लिए धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि सभी स्थानीय लोगों ने दैनिक कार्यों की व्यस्ततता के बावजूद टीकाकरण अभियान को सफल बनाने में सहयोग दिया, जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं.
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लक्ष्य हासिल करने में मोबाइल कैंप का अहम रोल: उपायुक्त ने कहा कि कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद दुर्गम क्षेत्रों में मोबाइल क्लिनीक लगाकर स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने जिस तरह से इस लक्ष्य को हासिल किया, वह बधाई के पात्र हैं. विपरीत हालात में भी बिना रूके जिस तरह से जिले में सभी लोगों को वैकेसीन की दोनों डोज दी गई उसके लिए स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की जितनी तारीफ की जाए कम है.
पंचायती राज प्रतिनिधियों ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका: डीसी किन्नौर ने कहा कि वैक्सीनेशन अभियान में पंचायती प्रतिनिधियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने घर-घर जाकर लोगों को वैक्सीन लेने के लिए जागरूक किया. अगर पंचायत प्रतिनिधियों ने घर-घर जाकर लोगों को जागरूक नहीं किया होता तो यह लक्ष्य हासिल नहीं हो पाता. उन्होंने कहा कि शुरुआत में वैक्सीनेशन को लेकर लोगों में काफी डर था, लेकिन पंचायत प्रतिनिधियों ने लोगों से मिलकर उन्हें समझाया और टीकाकरण के लिए प्रेरित किया.