नई दिल्ली : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने कहा है कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप से प्रभावित लोगों की बढ़ती संख्या के साथ, भारत में किडनी की बीमारी खतरनाक रूप से बढ़ रही है. आईएमए ने अनुमान लगाया है कि साल 2040 तक किडनी रोग से संबंधित मौतें भारत में मौत का 5वां प्रमुख कारण होंगी. आईएमए के महासचिव डॉ. जयेश एम लेले (Dr Jayesh M Lele) ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि यह वाकई चिंता का विषय है और इस प्रकार की स्थिति को टालने के लिए सभी आवश्यक सावधानी बरतने का यह सही समय है.
एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया भर में 90 करोड़ से अधिक लोग किडनी से संबंधित बीमारी से पीड़ित हैं. हर 10 में से एक वयस्क को किडनी की बीमारी हो सकती है और अगर इलाज न किया जाए तो यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है. डॉ लेले ने कहा, 'आज की स्थिति में, स्वास्थ्य पेशेवरों के बीच भी किडनी की बीमारी को लेकर जानकारी में अंतर है.'
इसके अलावा, यह पाया गया है कि किडनी कैंसर दुनिया का 16वां आम कैंसर है, जिसमें रीनल सेल कार्सिनोमा (RCC) वैश्विक कैंसर निदान और मौतों का दो प्रतिशत है. ऐसा अनुमान है कि भारत में पुरुषों में आरसीसी की घटनाएं एक लाख आबादी में लगभग दो हैं जबकि महिलाओं में यह एक लाख आबादी में लगभग एक है.
बता दें, विश्व किडनी दिवस (World Kidney Day) के अवसर पर शनिवार (5 मार्च) को, आईएमए दो दिवसीय जागरुकता कार्यक्रम आयोजित कर रहा है, जहां पूरे भारत के विशेषज्ञ गुर्दे की बीमारी पर अपनी बात रखेंगे. इस सम्मेलन का नाम आईएमए किडनीकॉन 2022 (IMA Kidneycon 2022) रखा गया है. इसमें इस बात पर प्रकाश डाला जाएगा कि गुर्दे की बीमारी विभिन्न तरीकों से कैसे हो सकती है और अक्सर लोगों और डॉक्टरों के बीच जागरूकता की कमी के कारण बहुत देर से निदान किया जाता है.
यह भी पढ़ें- चेन्नई में पहली बार हुआ ऐसा किडनी ट्रांसप्लांट, जानिए पूरा मामला
डॉ. जयेश ने कहा कि एक स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखना, नमक का सेवन कम करना, वजन कम करना, दर्द निवारक जैसी काउंटर दवाओं से बचना, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना, शुगर और रक्तचाप को नियंत्रित करना आदिन किडनी की बीमारी को रोकने के कुछ उपाय हैं. उन्होंने गुर्दे की बीमारी का पता लगाने के लिए मधुमेह और उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगियों जैसे उच्च जोखिम वाले रोगियों के लिए रक्त और मूत्र के नियमित परीक्षण के महत्व पर भी जोर दिया. डॉ लेले ने बताया, 'दवाओं, संक्रमण, निर्जलीकरण और यहां तक कि जटिल गर्भधारण के कारण भी गुर्दे की अचानक या तीव्र क्षति हो सकती है.'