नई दिल्ली: हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों के बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन होने के आसार जताए जा रहे हैं लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो दिल्ली में कांग्रेस सबसे बुरी हालत में है. पार्टी के पास उम्मीदवार तक नहीं हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सिर्फ 5 उम्मीदवारों की जमानत बची थी. इनमें से 3 कांग्रेस पार्टी को छोड़कर चले गए. दिल्ली में कांग्रेस को आम आदमी पार्टी की जरूरत है, लेकिन आम आदमी पार्टी दिल्ली में सबसे मजबूत स्थिति में है ऐसे में वहां गठबंधन को तैयार नहीं होगी. भारतीय जनता पार्टी भी चाहेगी कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन न हो जिससे आम आदमी पार्टी के कुछ वोट कटें और इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिले.
दिल्ली में कांग्रेस का दामन छोड़ रहे दिग्गज नेता : राजनीतिक विश्लेषक जगदीश ममगांई का कहना है कि दिल्ली में कांग्रेस की स्थिति बेहद खराब है. वर्ष 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सिर्फ पांच उम्मीदवारों की जमानत बची थी. इसमें भी अरविंदर सिंह लवली और राजकुमार चौहान कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं. वहीं मतीन अहमद आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए. जमानत बचाने वाले उम्मीदवारों में देवेंद्र यादव और अभिषेक ही बचे हैं.
दिल्ली में कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं : दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के पास बड़ा चेहरा नहीं है. कांग्रेस को लगता है कि आम आदमी पार्टी पर निशाना साधकर अल्पसंख्यक और दलित मतदाताओं को अपने पक्ष में कर लेंगे, लेकिन यह बहुत ज्यादा संभव नहीं है. कांग्रेस दिल्ली में ऐसी किसी भी सीट पर दवा नहीं कर सकती जहां पर वह जीत हासिल कर सकती हो और उसके आधार पर वह आप से सीट की डिमांड कर सकती हो .
हरियाणा-महाराष्ट्र चुनाव नतीजों का दिल्ली में असर : हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनाव के नतीजे के बाद दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन के आसार जताए जा रहे हैं लेकिन इस पर राजनीतिक विश्लेषक जगदीश ममगांई का कहना है कि दोनों ही राज्यों में पहले से एनडीए की सरकार थी. दोनों राज्यों के नतीजे का असर दिल्ली विधानसभा चुनाव पर नहीं पड़ेगा.
हरियाणा में कांग्रेस-आप गठबंधन ना होने का नुकसान : हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी 10 सीटों की मांग कर रही थी. 7 सीटों पर बात बन सकती थी लेकिन हरियाणा के नेताओं के हस्तक्षेप के कारण गठबंधन नहीं हो सका. इसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा. हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 37 सीटें मिली यदि गठबंधन हुआ होता तो आम आदमी पार्टी के सहयोग से हरियाणा में कांग्रेस के पास कुल 47 सीटें होती और सरकार बना सकते थे.
दिल्ली में कांग्रेस की स्थिति बहुत खराब हैऔर हाल ही में दिल्ली में न्याय यात्रा की शुरुआत की गई थी, जिसमें राहुल गांधी को आमंत्रित किया गया था लेकिन राहुल गांधी या सेंट्रल कांग्रेस का कोई बड़ा चेहरा इस न्याय यात्रा में नहीं शामिल हुआ. इससे इस न्याय यात्रा का दिल्ली की जनता पर कोई खास असर नहीं पड़ा. कहीं ना कहीं कांग्रेस भी यह मानती है कि दिल्ली में भाजपा को सिर्फ आम आदमी पार्टी ही टक्कर दे सकती है. जगदीश ममगांई, राजनीतिक विश्लेषक
फिर ऐतिहासिक जीत की ओर आप : राजनीतिक विश्लेषक जगदीश ममगांई का कहना है दिल्ली शराब नीति घोटाले के आप से आम आदमी पार्टी की छवि को थोड़ा नुकसान जरूर हुआ है लेकिन दिल्ली में काम के नाम पर वोट मांगा जा रहा है. आज आम आदमी पार्टी जनता के बीच पिछले 10 सालों में किए गए कामों को गिना रही है. इसके साथ ही आम आदमी पार्टी यह आरोप लगा रही है कि भाजपा की केंद्र में सरकार है और आधी दिल्ली केंद्र सरकार के पास है इसके बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली में एक काम तक नहीं किया.
केजरीवाल हर विधानसभा में कर रहें प्रचार : दिल्ली में अपराध बढ़ा है. इन सब चीजों को लेकर आम आदमी पार्टी लगातार भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोलती रहती है. मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पूरी तरह फ्री हो गए हैं. उनके पास दिल्ली के हर विधानसभा में जाकर प्रचार प्रसार करने का मौका है और वह इसे बखूबी कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी इस तरीके के छोटे-छोटे अभियान और लोगों के बीच जाकर उनसे मिलने जुलने में पीछे है.
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