नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि खोरी गांव के पात्र आवेदकों को पुनर्वास योजना के तहत अस्थायी आवंटन करने के लिए फरीदाबाद नगर निगम जिन दस्तावेजों पर विचार करेगा, उनमें आधार कार्ड भी शामिल होगा. अरावली वन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले खोरी गांव के अनधिकृत ढांचे पूर्व में गिरा दिये गये थे.
अंतरिम व्यवस्था के रूप में शीर्ष अदालत ने नगर निगम को निर्देश दिया कि वह आवेदक को अस्थायी तौर पर आवंटन के लिए आधार कार्ड को स्वीकार करते हुए आवेदन पर कदम उठाए.
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने स्पष्ट किया कि ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) के फ्लैटों के अस्थायी आवंटन से किसी व्यक्ति के पक्ष में तब तक कोई अधिकार पैदा नहीं होगा जब तक कि वह पुनर्वास योजना के तहत अनिवार्य रूप से अपनी पात्रता स्थापित नहीं कर लेता.
पीठ ने कहा, 'फिलहाल, आधार कार्ड के साथ अनंतिम आवंटन करने के उद्देश्य से तोड़ फोड़ की कार्रवाई के दौरान ध्वस्त किए गए अनधिकृत ढांचे के संबंध में एक अंतरिम व्यवस्था के रूप में हम निगम को आवेदनों पर गौर करने का निर्देश देते हैं.'
शीर्ष अदालत ने कहा कि आधार कार्ड, योजना के तहत निर्धारित अन्य दस्तावेजों के अतिरिक्त होगा। पीठ ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 22 अक्टूबर की तारीख तय की है.
शीर्ष अदालत ने 27 सितंबर को नगर निगम को अतिरिक्त दस्तावेजों पर सुझावों और विवरणों पर एक हलफनामा दाखिल करने को कहा था ताकि खोरी गांव में अरावली वन भूमि पर अतिक्रमण को गिराने के बाद विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास के लिए पात्रता तय करने की अनुमति दी जाए.
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हाल में शीर्ष अदालत में दाखिल एक स्थिति रिपोर्ट में नगर निगम ने खोरी की 'झुग्गियों' के पात्र आवेदकों को पुनर्वास योजना के तहत आवंटन की प्रक्रिया के लिए संशोधित समय सीमा सहित विवरण दिया है. इसमें कहा गया है कि 29 सितंबर तक कुल 2,583 आवेदन प्राप्त हुए हैं और 360 आवेदकों ने 30 सितंबर तक फ्लैटों का अस्थायी कब्जा लिया है.
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शीर्ष अदालत ने सात जून को हरियाणा और फरीदाबाद नगर निगम को खोरी गांव के पास अरावली वन क्षेत्र में 'सभी अतिक्रमणों' को हटाने का निर्देश दिया था.