वाराणसी: भारतीय ज्योतिष में सूर्यग्रह का नवग्रहों में प्रमुख स्थान है. ज्योतिष की गणना के अनुसार मेष राशि से मीन राशि तक सूर्यग्रह प्रत्येक मास राशि बदलते हैं. जिसका व्यापक प्रभाव पूरे विश्व में देखने को मिलता है. सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ 16 दिसम्बर, शनिवार से खरमास प्रारम्भ हो जाएगा. ज्योतिष के अनुसार जब सूर्यग्रह धनु एवं मीन राशि में रहते हैं, तब खरमास की स्थिति बनती है. खरमास की अवधि में मांगलिक कृत्यों पर विराम लग जाता है जबकि धार्मिक कृत्य विधि-विधानपूर्वक यथावत् होते रहते हैं. मांगलिक कृत्यों में विवाह, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, नव प्रतिष्ठान या व्यवसाय, वधू प्रवेश, मुण्डन, उपनयन संस्कार, देव प्रतिमा प्रतिष्ठा, नव-निर्माण आदि ये सभी कार्य खरमास की समाप्ति तक स्थगित रहते हैं.
ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि सूर्यग्रह वृश्चिक से धनु राशि में 16 दिसम्बर, शनिवार को दिन में 3 बजकर 58 मिनट पर प्रवेश करेंगे, जो कि 14 जनवरी, रविवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 2 बजकर 43 मिनट तक रहेंगे. 16 दिसम्बर, शनिवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 4 बजकर 37 मिनट तक श्रवण नक्षत्र (सम्पूर्ण दिन) रहेगा. सूर्य के धनु राशि में प्रवेश से धनु संक्रान्ति का सामान्य पुण्यकाल प्रातः 9 बजकर 34 मिनट तक संक्रान्ति काल तत्पश्चात् विशेष पुण्यकाल संक्रान्तिकाल से सूर्यास्त तक रहेगा. इसी अवधि में गंगा स्नान-दान- जप करके पुण्यलाभ प्राप्त करना चाहिए. गंगास्नान यदि सम्भव न हो तो घर पर ही स्वच्छ जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए.
ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि धनु संक्रान्ति के प्रारम्भ में इस दिन सूर्य-धनु राशि में; चन्द्रमा मकर राशि में; मंगल- वृश्चिक राशि में; बुध धनु राशि में; वृहस्पति मेष राशि में: शुक्र तुला राशि में, शनि कुम्भ राशि में; राहु मीन राशि में तथा केतु कन्या राशि में विराजमान रहेंगे. ग्रहयोगों के अनुसार - विश्वपटल पर अनेकानेक अकल्पित व अनहोनी घटनाएं देखने को मिलेंगी. सत्ता पक्ष व विपक्ष के राजनीतिक दलों आपसी आरोप-प्रत्यारोप तथा अनर्गल वार्तालाप की स्थिति बनेगी. कहीं-कहीं पर सत्ता परिवर्तन तथा मंत्रीमण्डल में परिवर्तन आदि का भी योग बना रहेगा.
आर्थिक पक्ष में भी ठोस कदम उठेंगे. शेयर, वायदा व धातु बाजार में विशेष हलचल देखने को मिलेगी. दैविक आपदाएं, जल-थल वायुयान दुर्घटनाओं का प्रकोप तथा कहीं-कहीं पर आगजनी के घटना की आशंका रहेगी. विशेष मुद्दे को लेकर जन आन्दोलन भी मुखर होगा. मौसम में भी अकल्पित परिवर्तन तथा आंधी तूफान व वर्षा से भूस्खलन की आशंका भी बनी रहेगी. धार्मिक पक्ष को लेकर जागरूकता बढ़ेगी. प्राकृतिक व दैविक आपदाओं को भी नकारा नहीं जा सकता. आर्थिक व राजनैतिक घोटाले भी सत्तापक्ष व विपक्ष के लिए भारी पड़ेंगे. ज्योतिर्विद विमल जैन ने बताया कि इससे द्वादश राशियों पर प्रभाव पड़ेगा.
ग्रहों पर असर
मेष - भौतिक सुख सुविधा में कमी, व्यय की अधिकता. प्रतिष्ठा पर आघात. ग्रहस्थिति भाग्य के विपरीत, व्यापार में हानि.
वृषभ - ग्रहस्थिति प्रतिकूल, विरोधी प्रभावी, पुरुषार्थ में अरुचि, मान-हानि, वाहन से चोट-चपेट दुर्घटना की आशंका.
मिथुन - सफलता में बाधा, बौद्धिक क्षमता में कमी, क्रोध की अधिकता, उन्नति में व्यवधान, दाम्पत्य जीवन में कटुता.
कर्क - आरोग्य सुख की प्राप्ति, परिस्थितियों में सुधार, आकस्मिक लाभ, नौकरी में पदोन्नति, कर्ज की निवृत्ति, यात्रा सार्थक.
सिंह - कार्यसिद्धि में निराशा, स्वास्थ्य शिथिल, वाद-विवाद की सम्भावना, विश्वासघात की आशंका, वाहन से चोट चपेट.
कन्या - संकल्प विकल्प की स्थिति, विचारों में उग्रता, पारिवारिक व मानसिक कष्ट, महत्वपूर्ण उपलब्धि में विलम्ब.
तुला - आय के नवीन साधन सुलभ, प्रेम सम्बन्धों में प्रगाढ़ता, यात्रा सार्थक, कर्ज अदायगी का प्रयास, मनोरंजन में रुचि.
वृश्चिक - व्यावसायिक प्रगति में अड़चनें, स्वास्थ्य को लेकर चिन्ता, शत्रु प्रभावी, सन्तानपक्ष से कष्ट, मानसिक अशान्ति.
धनु - आरोग्य सुख में व्यतिक्रम, प्रियजनों से मतभेद, व्यवहार में लापरवाही हानिकारक, वैचारिक स्थिरता का अभाव.
मकर - अभिलाषा की पूर्ति में बाधा, समय आशा के विपरीत, मित्रों-परिजनों से कटुता, व्यय की अधिकता, व्यर्थ भ्रमण.
कुम्भ- लाभ का मार्ग प्रशस्त, सफलता का सुअवसर, यात्रा से लाभ, बुद्धि विवेक से तनाव में कमी, राजकीय लाभ.
जिन व्यक्तियों को सूर्यग्रह का शुभफल न मिल रहा हो, साथ ही कर्क-वृश्चिक राशि वालों को शनिग्रह को अढैया तथा मकर- कुम्भ-मीन राशि वालों को साढ़ेसाती चल रही है, उन्हें अपने हर कार्यों में सजगता बरतनी चाहिए. उन्हें ग्रहों से संबंधित उपाय अवश्य करना चाहिए.
सूर्यग्रह को ऐसे करें अनुकूल
सूर्यग्रह की प्रसन्नता के लिए अपने आराध्य देवी देवता की आराधना के साथ सूर्यग्रह की भी अर्चना नियमित रूप से करनी चाहिए. प्रातःकाल स्नान, ध्यान के पश्चात् सूर्य भगवान को ताम्रपात्र में रोली, अक्षत, लाल फूल एवं गुड़ डालकर पूर्वाभिमुख होकर अर्घ्य अर्पित करना चाहिए. साथ ही सूर्यमन्त्र का जप, श्रीआदित्यहृदय स्तोत्र, श्रीआदित्यकवच, श्रीसूर्यसहस्त्रनाम आदि का पाठ भी करना चाहिए. रविवार के दिन मध्याह्न के समय संकल्प लेकर व्रत या उपवास रखकर सूर्यग्रह से सम्बन्धित लाल रंग की वस्तुएँ जैसे-लाल वस्त्र, गेहूँ, गुड़, ताँबा, लाल फूल, चन्दन आदि विविध वस्तुएँ नगद दक्षिणा सहित ब्राहाण को संकल्प के साथ देना चाहिए। व्रत या उपवास न करने की स्थिति में दिन में 12 बजे से 3 बजे के मध्य बिना नमक का फलाहार करना चाहिए.