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Intelligence report : 'विदेश में रह रहे सिखों को बरगला रहे खालिस्तानी कट्टरपंथी'

खालिस्तानी कट्टरपंथी विदेशों में रह रहे सिखों को कट्टर बनाने की कोशिश कर रहे हैं. कई खालिस्तानी चरमपंथी समूह इसमें सक्रिय हैं. सोशल मीडिया के जरिए ऐसा गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है. एक खुफिया रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई है. पढ़ें ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

Khalistani extremists
खालिस्तानी कट्टरपंथी
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Published : May 12, 2023, 10:56 PM IST

नई दिल्ली: खालिस्तानी चरमपंथी विदेशों में रह रहे सिखों के बीच खालिस्तान समर्थक भावनाओं को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, जो अलगाववादी आंदोलन को पुनर्जीवित कर सकते हैं. कई सुरक्षा एजेंसियों की ओर से जुटाई गई जानकारी में ये खुलासा हुआ है (Intelligence report).

खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है, 'हालांकि आतंकवाद समाप्त हो गया है, लेकिन खालिस्तानी समर्थक तत्वों द्वारा प्रचार जारी है. विशेष रूप से सिख डायस्पोरा के कुछ वर्गों द्वारा सोशल मीडिया का इस्तेमाल इसके लिए किया जा रहा है. हाल की रिपोर्टों से विदेशों में सिख प्रवासी के बीच खालिस्तान समर्थक भावनाओं में वृद्धि का संकेत मिलता है जो अलगाववादी आंदोलन को पुनर्जीवित कर सकते हैं.'

गृह मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट इस तथ्य के बाद महत्व रखती है कि हाल के दिनों में खालिस्तानी समर्थकों के एक समूह ने लंदन में भारतीय उच्चायोग के परिसर में तिरंगा गिरा दिया था.

रिपोर्ट में बताया गया है, 'खालिस्तान चरमपंथियों के लिए सिख डायस्पोरा के वर्गों की भागीदारी महत्वपूर्ण साबित हुई क्योंकि यह राजनयिक और वित्तीय सहायता प्रदान करता था. इसने पाकिस्तान को आंदोलन को हवा देने में भी शामिल होने में सक्षम बनाया. यूके, कनाडा और यूएसए में सिखों ने सैन्य और वित्तीय सहायता के लिए कैडरों को पाकिस्तान जाने की व्यवस्था की.'

प्रचार के अलावा आतंकवाद को फिर से जिंदा करने के प्रयास किए गए हैं. कई खालिस्तानी चरमपंथी समूह सक्रिय हैं, और हाल के वर्षों में कुछ घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं. पिछले कुछ वर्षों में खालिस्तानी आतंकवाद गतिविधियों में जमीन और साइबर स्पेस दोनों में वृद्धि देखी गई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि टारगेट किलिंग, कानून प्रवर्तन एजेंसियों, अदालत परिसरों और बाजार जैसे स्थानों, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर आईईडी और ग्रेनेड हमलों के प्रयास के रूप में ये सामने आया है. खालिस्तान आतंकवाद संबंधी घटनाओं में 2000 के बाद से कम से कम 38 लोगों की जान गई है.

ये आतंकी संगठन खतरा : बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI), खालिस्तान के भिंडरावाला टाइगर फोर्स (बीटीकेएफ उर्फ ​​भिंडरावाले टाइगर फोर्स, बीटीएफ), खालिस्तान कमांडो फोर्स (KCF), खालिस्तान लिबरेशन आर्मी (KLA), खालिस्तान लिबरेशन फोर्स, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (KZF), इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (ISYF)-यूनाइटेड किंगडम में स्थित, ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISSF), दशमेश रेजिमेंट और शहीद खालसा फोर्स कुछ खालिस्तानी आतंकी समूह हैं जो भारत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 'इन आतंकी समूहों के अलावा, सिख फॉर जस्टिस (SFJ) जैसे अन्य समूह आतंकियों को वैचारिक समर्थन प्रदान करते हैं.' खालिस्तानी आतंकियों के रसद और संचार नेटवर्क का जिक्र करते हुए खुफिया एजेंसियों ने पाया है कि वे रसद के लिए गैंगस्टर नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं. नशीली दवाओं की तस्करी नेटवर्क का उपयोग कर रहे हैं.'

रिपोर्ट में कहा गया है कि 'पाकिस्तान से भारतीय क्षेत्र में हथियारों, गोला-बारूद, विस्फोटकों और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है.'

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें कहा गया है कि खालिस्तानी प्रचार प्रसार के लिए सोशल मीडिया का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ऐसे अकाउंट से भरे पड़े हैं जो वर्चुअल नंबर या अस्थायी मेल या पाकिस्तान, अमेरिका आदि में स्थित आईपी से बनाए जा रहे हैं, जिनसे खालिस्तानी प्रचार फैलाया जा रहा है. इसमें सबसे आगे गैरकानूनी एसोसिएशन सिख फॉर जस्टिस है.

पढ़ें- EXPLOSION NEAR GOLDEN TEMPLE: पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के पास धमाका, कई घायल

नई दिल्ली: खालिस्तानी चरमपंथी विदेशों में रह रहे सिखों के बीच खालिस्तान समर्थक भावनाओं को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, जो अलगाववादी आंदोलन को पुनर्जीवित कर सकते हैं. कई सुरक्षा एजेंसियों की ओर से जुटाई गई जानकारी में ये खुलासा हुआ है (Intelligence report).

खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है, 'हालांकि आतंकवाद समाप्त हो गया है, लेकिन खालिस्तानी समर्थक तत्वों द्वारा प्रचार जारी है. विशेष रूप से सिख डायस्पोरा के कुछ वर्गों द्वारा सोशल मीडिया का इस्तेमाल इसके लिए किया जा रहा है. हाल की रिपोर्टों से विदेशों में सिख प्रवासी के बीच खालिस्तान समर्थक भावनाओं में वृद्धि का संकेत मिलता है जो अलगाववादी आंदोलन को पुनर्जीवित कर सकते हैं.'

गृह मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट इस तथ्य के बाद महत्व रखती है कि हाल के दिनों में खालिस्तानी समर्थकों के एक समूह ने लंदन में भारतीय उच्चायोग के परिसर में तिरंगा गिरा दिया था.

रिपोर्ट में बताया गया है, 'खालिस्तान चरमपंथियों के लिए सिख डायस्पोरा के वर्गों की भागीदारी महत्वपूर्ण साबित हुई क्योंकि यह राजनयिक और वित्तीय सहायता प्रदान करता था. इसने पाकिस्तान को आंदोलन को हवा देने में भी शामिल होने में सक्षम बनाया. यूके, कनाडा और यूएसए में सिखों ने सैन्य और वित्तीय सहायता के लिए कैडरों को पाकिस्तान जाने की व्यवस्था की.'

प्रचार के अलावा आतंकवाद को फिर से जिंदा करने के प्रयास किए गए हैं. कई खालिस्तानी चरमपंथी समूह सक्रिय हैं, और हाल के वर्षों में कुछ घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं. पिछले कुछ वर्षों में खालिस्तानी आतंकवाद गतिविधियों में जमीन और साइबर स्पेस दोनों में वृद्धि देखी गई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि टारगेट किलिंग, कानून प्रवर्तन एजेंसियों, अदालत परिसरों और बाजार जैसे स्थानों, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर आईईडी और ग्रेनेड हमलों के प्रयास के रूप में ये सामने आया है. खालिस्तान आतंकवाद संबंधी घटनाओं में 2000 के बाद से कम से कम 38 लोगों की जान गई है.

ये आतंकी संगठन खतरा : बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI), खालिस्तान के भिंडरावाला टाइगर फोर्स (बीटीकेएफ उर्फ ​​भिंडरावाले टाइगर फोर्स, बीटीएफ), खालिस्तान कमांडो फोर्स (KCF), खालिस्तान लिबरेशन आर्मी (KLA), खालिस्तान लिबरेशन फोर्स, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (KZF), इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (ISYF)-यूनाइटेड किंगडम में स्थित, ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISSF), दशमेश रेजिमेंट और शहीद खालसा फोर्स कुछ खालिस्तानी आतंकी समूह हैं जो भारत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 'इन आतंकी समूहों के अलावा, सिख फॉर जस्टिस (SFJ) जैसे अन्य समूह आतंकियों को वैचारिक समर्थन प्रदान करते हैं.' खालिस्तानी आतंकियों के रसद और संचार नेटवर्क का जिक्र करते हुए खुफिया एजेंसियों ने पाया है कि वे रसद के लिए गैंगस्टर नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं. नशीली दवाओं की तस्करी नेटवर्क का उपयोग कर रहे हैं.'

रिपोर्ट में कहा गया है कि 'पाकिस्तान से भारतीय क्षेत्र में हथियारों, गोला-बारूद, विस्फोटकों और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है.'

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें कहा गया है कि खालिस्तानी प्रचार प्रसार के लिए सोशल मीडिया का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ऐसे अकाउंट से भरे पड़े हैं जो वर्चुअल नंबर या अस्थायी मेल या पाकिस्तान, अमेरिका आदि में स्थित आईपी से बनाए जा रहे हैं, जिनसे खालिस्तानी प्रचार फैलाया जा रहा है. इसमें सबसे आगे गैरकानूनी एसोसिएशन सिख फॉर जस्टिस है.

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