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केरल में मानसून की सूस्त रफ्तार, पांच सालों में सबसे कम बारिश दर्ज

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Published : Jun 16, 2022, 10:27 PM IST

कोचीन विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. अभिलाष के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम दिशा में हवाओं की कमी मानसून की बारिश में कमी का मुख्य कारण है. बारिश लाने के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशाओं में 40 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति से हवा होनी चाहिए. बंगाल की खाड़ी में कम दबाव के गठन के कारण हवाएं गति पकड़ती हैं, लेकिन इस बार दबाव कम है.

केरल में मानसून
केरल में मानसून

कोझीकोड : केरल में मानसून ने दस्तक दे दी है, लेकिन कुछ दिन की बारिश के बाद अब मानसून कमजोर पड़ने लगा है. इस साल 15 जून तक केवल 109.7 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड किया गया, जो कि पिछले पांच वर्षों में सबसे कम बारिश दर्ज की गई है. केरल में 2018 में 343.7 मिमी, 2019 में 175.4 मिमी, 2020 में 230 मिमी और 2021 में 161.1 मिमी बारिश दर्ज की गई थी. केरल में कम बारिश का मतलब उन राज्यों में गंभीर बारिश की कमी हो सकती है, जो अपनी पानी की जरूरतों के लिए दक्षिण-पश्चिम मानसून पर निर्भर हैं.

कोचीन विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. अभिलाष के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम दिशा में हवाओं की कमी मानसून की बारिश में कमी का मुख्य कारण है. बारिश लाने के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशाओं में 40 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति से हवा होनी चाहिए. बंगाल की खाड़ी में कम दबाव के गठन के कारण हवाएं गति पकड़ती हैं, लेकिन इस बार दबाव कम है.

पढ़ें : मेघालय में भारी भूस्खलन, NH-6 पर यातायात ठप, कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त

15 जून तक मानसून की बारिश में 60 फीसदी की कमी दर्ज की गई थी. यदि स्थिति ऐसी बनी रहती है, तो जून माह में बहुत कम बारिश होगी जो किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है. हवाएं मानसून के बादलों को अरब सागर से भारत के दक्षिण-पश्चिम की ओर ले जाती हैं. हालांकि, महाराष्ट्र में मानसून प्रवेश कर गया है, लेकिन बारिश काफी कम हुई है. मौसम विज्ञानियों को अब उम्मीद है कि मानसून के आगे बढ़ने पर स्थिति बदल सकती है और आने वाले महीनों में मौजूदा स्थिति में बदलाव आ सकता है.

कोझीकोड : केरल में मानसून ने दस्तक दे दी है, लेकिन कुछ दिन की बारिश के बाद अब मानसून कमजोर पड़ने लगा है. इस साल 15 जून तक केवल 109.7 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड किया गया, जो कि पिछले पांच वर्षों में सबसे कम बारिश दर्ज की गई है. केरल में 2018 में 343.7 मिमी, 2019 में 175.4 मिमी, 2020 में 230 मिमी और 2021 में 161.1 मिमी बारिश दर्ज की गई थी. केरल में कम बारिश का मतलब उन राज्यों में गंभीर बारिश की कमी हो सकती है, जो अपनी पानी की जरूरतों के लिए दक्षिण-पश्चिम मानसून पर निर्भर हैं.

कोचीन विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. अभिलाष के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम दिशा में हवाओं की कमी मानसून की बारिश में कमी का मुख्य कारण है. बारिश लाने के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशाओं में 40 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति से हवा होनी चाहिए. बंगाल की खाड़ी में कम दबाव के गठन के कारण हवाएं गति पकड़ती हैं, लेकिन इस बार दबाव कम है.

पढ़ें : मेघालय में भारी भूस्खलन, NH-6 पर यातायात ठप, कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त

15 जून तक मानसून की बारिश में 60 फीसदी की कमी दर्ज की गई थी. यदि स्थिति ऐसी बनी रहती है, तो जून माह में बहुत कम बारिश होगी जो किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है. हवाएं मानसून के बादलों को अरब सागर से भारत के दक्षिण-पश्चिम की ओर ले जाती हैं. हालांकि, महाराष्ट्र में मानसून प्रवेश कर गया है, लेकिन बारिश काफी कम हुई है. मौसम विज्ञानियों को अब उम्मीद है कि मानसून के आगे बढ़ने पर स्थिति बदल सकती है और आने वाले महीनों में मौजूदा स्थिति में बदलाव आ सकता है.

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