कोच्चि (केरल) : केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने सोमवार को कहा कि राज्य में तब तक कोई नया स्थायी ध्वज स्तंभ नहीं लगाया जाएगा, जब तक कि सरकार इसे विनियमित करने के लिए कोई नई नीति या नियम नहीं ले आए. न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने निर्देश जारी करते हुए यह भी स्पष्ट दिया कि 'लोकल सेल्फ गवर्नमेंट इंस्टीट्यूशन' के जिलाधिकारी और सचिव किसी भी मौजूदा या अवैध ध्वज स्तंभ के खिलाफ अब भी भूमि संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई कर सकते हैं, उन्हें इस संबंध में किसी नई नीति या नियमों का इंतजार करने की जरूरत नहीं है.
इससे पहले, अतिरिक्त महाधिवक्ता अशोक एम. चेरियन और वरिष्ठ सरकारी वकील एस. कन्नन ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने केरल में नए स्थायी ध्वज स्तंभ लगाना विनियमित करने के वास्ते एक नीति या नियम बनाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है. उन्होंने अदालत को बताया कि समिति में मुख्य सचिव, कानून सचिव और राज्य के गृह सचिव शामिल होंगे. एक सहकारी समिति की याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष कई प्रतिवेदन दायर किए गए, जिसमें आरोप लगाया गया है कि एक विशेष राजनीतिक दल अवैध रूप से अपनी जमीन पर झंडे तथा बैनर लगा रहा है.
अदालत ने 21 फरवरी को सरकार को भविष्य की कार्रवाई के बारे में सूचित करने के लिए 28 मार्च तक का समय दिया था. केरल उच्च न्यायालय ने कहा था कि शक्तिशाली और आम लोगों के लिए अलग-अलग कानून नहीं हो सकते. अदालत ने उसके आदेश के बावजूद राज्य सरकार द्वारा बिना अनुमति के राजनीतिक दलों को ध्वज स्तंभ लगाने से रोकने में विफल रहने का जिक्र करते हुए यह टिप्पणी की थी. अदालत ने इस मामले में पिछले साल एक नवंबर को एक अंतरिम आदेश पारित करते हुए निर्देश दिया गया था कि राज्य में कोई भी अवैध ध्वज स्तंभ या मस्तूल नहीं लगाया जाए, जब तक कि मामले पर सुनवाई जारी है.
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वहीं, पिछले साल 15 नवंबर को उच्च न्यायालय ने राज्य भर में लगाए गए अवैध ध्वज स्तंभों को स्वैच्छिक रूप से हटाने के लिए उसके द्वारा दिए गए 10 दिन का समय (यानी 25 दिसंबर तक) पूरा होने के बाद, सरकार को ध्वज स्तंभ लगाने वालों के खिलाफ भूमि संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज करने और उन्हें दंडित करने का निर्देश दिया था. केरल में ऐसे 42,337 ध्वज स्तंभ थे. इसके बाद पिछले साल दिसंबर में अदालत ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को अवैध ध्वज स्तंभों के खिलाफ भूमि संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.
(पीटीआई-भाषा)