कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने तेलंगाना में टीआरएस विधायकों की खरीद-फरोख्त (Telangana MLAs poaching case) की कथित साजिश के मामले में जांच का सामना कर रहे एक व्यक्ति के सहकर्मी तीन लोगों को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया.
यहां एक निजी अस्पताल में काम करने वाले तीनों लोगों ने इस मामले में तेलंगाना पुलिस द्वारा गिरफ्तारी की आशंका के मद्देनजर जमानत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया. तीनों को जग्गू स्वामी का करीबी बताया जा रहा है जो सनसनीखेज मामले में जांच का सामना कर रहा है.
याचिका पर विचार करते हुए अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को पुलिस द्वारा अभी तक आरोपियों के रूप में नहीं बताया गया है. हालांकि अदालत ने पांच दिसंबर को मामले पर सुनवाई तक तीनों को गिरफ्तारी से राहत प्रदान की.
तेलंगाना पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 160 के तहत हैदराबाद में उसके मुख्यालय में पेशी के लिए नोटिस दिए जाने के बाद तीनों ने अदालत का रुख किया. अपनी याचिका में तीनों ने दलील दी है कि उनका तेलंगाना में राजनीतिक साजिश से कोई जुड़ाव नहीं है.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता बी एल संतोष और केरल के दो लोगों जग्गू स्वामी और तुषार वेल्लापल्ली के अलावा बी श्रीनिवास नामक व्यक्ति भी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के चार विधायकों को कथित रूप से प्रलोभन देने की साजिश के मामले में एसआईटी जांच का सामना कर रहे हैं.
टीआरएस विधायक पायलट रोहित रेड्डी और चार विधायकों द्वारा 26 अक्टूबर को उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद मामले में रामचंद्र भारती उर्फ सतीश शर्मा, नंद कुमार और सिंहयाजी स्वामी को आरोपी बनाया गया था. प्राथमिकी की प्रति के अनुसार, रोहित रेड्डी ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने उन्हें 100 करोड़ रुपये की पेशकश की और बदले में विधायक को टीआरएस छोड़कर तेलंगाना के अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ना था.
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(पीटीआई-भाषा)