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केरल HC ने केंद्र से कृत्रिम गर्भाधान की आयु सीमा पर पुनर्विचार करने को कहा

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Published : Jan 4, 2023, 7:57 AM IST

केरल हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से कृत्रिम गर्भाधान के लिए पुरुष और महिला की आयु सीमा पर पुनर्विचार करने को कहा है.

Etv BharatKerala HC asks Centre to reconsider the age limit of man and woman for artificial insemination
Etv Bharatकेरल HC ने केंद्र से कृत्रिम गर्भाधान के आयु सीमा पर पुनर्विचार करने को कहा

एर्नाकुलम: उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह कृत्रिम गर्भाधान कराने वाले जोड़ों के लिए निर्धारित आयु सीमा पर पुनर्विचार करे. महिला की उम्र 50 और पुरुष की उम्र 55 है. जस्टिस वीजी अरुण ने केंद्र सरकार को कृत्रिम गर्भाधान पर सलाह देने वाले नेशनल असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी एंड सरोगेसी बोर्ड को तीन महीने में केंद्र सरकार के ध्यान में लाने का आदेश दिया है.

एकल पीठ का फैसला कुछ दंपतियों की दलीलों पर आया है जो बच्चा पाने के लिए इलाज करा रहे हैं. 25 जनवरी 2022 को आए नए नियम में अधिकतम आयु सीमा तय की गई. जैसा कि इसका पालन नहीं किया जा सकता है, कई लोगों को अपना इलाज जारी रखना असंभव लगता है. याचिका में कहा गया है कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त व्यक्तिगत स्वतंत्रता के भी खिलाफ है.

बच्चों को जन्म देना और परिवार का पालन-पोषण करना एक मौलिक अधिकार है. एक आयु सीमा उस अधिकार को कम कर देगी. वर्तमान में इलाज करा रहे लोगों को रियायत नहीं देने वाला नियम तानाशाही है और अतार्किक भी. हाईकोर्ट ने कहा कि जब नियम लागू हुआ तो कई का इलाज चल रहा था.

कई देशों की उम्र सीमा भी चर्चा में आई. उच्च न्यायालय ने उन जोड़ों को अनुमति दी है जिनका विवाह के समय उपचार चल रहा था, वे अपना चिकित्सा उपचार जारी रख सकते हैं. बता दें कि आईयूआई एक तकनीक है, जिसके द्वारा महिला का कृत्रिम तरीके से गर्भधारण कराया जाता है. विश्व में आईयूआई के पहले प्रयास की सफलता दर 10 से 15 प्रतिशत थी.

जबकि नई आईयूआई तकनीक की सफलता दर 71 प्रतिशत हो गई है. आज बदलती महानगरीय जीवन शैली में प्रदूषण और तनाव के साथ-साथ बदलती समाजिक और व्यावहारिक मान्यताओं ने कई समस्याएं महानगरों को उपहार में दी हैं. यह बदली जीवनशैली की ही देन है कि महिलाओं में बांझपन की समस्या बढ़ती जा रही है.

ये भी पढ़ें- तमिलनाडु सरकार पोंगल पर्व के लिए जनता को देगी 1,000 रुपए का उपहार

एर्नाकुलम: उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह कृत्रिम गर्भाधान कराने वाले जोड़ों के लिए निर्धारित आयु सीमा पर पुनर्विचार करे. महिला की उम्र 50 और पुरुष की उम्र 55 है. जस्टिस वीजी अरुण ने केंद्र सरकार को कृत्रिम गर्भाधान पर सलाह देने वाले नेशनल असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी एंड सरोगेसी बोर्ड को तीन महीने में केंद्र सरकार के ध्यान में लाने का आदेश दिया है.

एकल पीठ का फैसला कुछ दंपतियों की दलीलों पर आया है जो बच्चा पाने के लिए इलाज करा रहे हैं. 25 जनवरी 2022 को आए नए नियम में अधिकतम आयु सीमा तय की गई. जैसा कि इसका पालन नहीं किया जा सकता है, कई लोगों को अपना इलाज जारी रखना असंभव लगता है. याचिका में कहा गया है कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त व्यक्तिगत स्वतंत्रता के भी खिलाफ है.

बच्चों को जन्म देना और परिवार का पालन-पोषण करना एक मौलिक अधिकार है. एक आयु सीमा उस अधिकार को कम कर देगी. वर्तमान में इलाज करा रहे लोगों को रियायत नहीं देने वाला नियम तानाशाही है और अतार्किक भी. हाईकोर्ट ने कहा कि जब नियम लागू हुआ तो कई का इलाज चल रहा था.

कई देशों की उम्र सीमा भी चर्चा में आई. उच्च न्यायालय ने उन जोड़ों को अनुमति दी है जिनका विवाह के समय उपचार चल रहा था, वे अपना चिकित्सा उपचार जारी रख सकते हैं. बता दें कि आईयूआई एक तकनीक है, जिसके द्वारा महिला का कृत्रिम तरीके से गर्भधारण कराया जाता है. विश्व में आईयूआई के पहले प्रयास की सफलता दर 10 से 15 प्रतिशत थी.

जबकि नई आईयूआई तकनीक की सफलता दर 71 प्रतिशत हो गई है. आज बदलती महानगरीय जीवन शैली में प्रदूषण और तनाव के साथ-साथ बदलती समाजिक और व्यावहारिक मान्यताओं ने कई समस्याएं महानगरों को उपहार में दी हैं. यह बदली जीवनशैली की ही देन है कि महिलाओं में बांझपन की समस्या बढ़ती जा रही है.

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