ETV Bharat / bharat

केरल चुनाव : देश के एकमात्र राज्य में बरकरार रहेगा कम्युनिस्ट शासन?

author img

By

Published : Apr 5, 2021, 5:11 AM IST

केरल विधानसभा चुनाव के लिए छह अप्रैल को मतदान होगा. प्रचार अभियान का दौर खत्म हो गया है. एलडीएफ और यूडीएफ में द्विपक्षीय मुकाबले की धारणा के बीच इस बार भाजपा नीत एनडीए ने भी केरल की सत्ता पर काबिज होने के लिए कड़ी मेहनत की है. लेकिन प्री-पोल सर्वे के अनुसार, एलडीएफ लगातार दूसरी बार सत्ता में आ सकता है.

केरल चुनाव
केरल चुनाव

हैदराबाद : केरल, भारत का एकमात्र राज्य है, जहां कम्युनिस्ट का शासन है. 140 सदस्यीय केरल विधानसभा में किसी भी दल को सरकार बनाने के लिए 71 सीटों की जरूरत पड़ेगी. पिछले चार दशकों से, केरल ने कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) और कांग्रेस नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के शासन को देखा है. यहां हर पांच साल में सरकार बदल जाती है.

पिछले दस वर्षों में, भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) भी केरल की राजनीतिक में सक्रिय रहा है.

केरल में ऐसी स्थिति बनने की संभावना नहीं है, जिसमें एक ही पार्टी सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत हासिल कर सके. इसलिए, यहां स्पष्ट जनादेश के लिए राजनीतिक दल विचारधारा के अनुरूप गठबंधन कर चुनाव लड़ते हैं. इनमें सीपीएम नीत एलडीएफ, कांग्रेस नीत यूडीएफ और भाजपा नीत एनडीए शामिल हैं.

पिछले चुनाव के विपरीत, इस बार केरल चुनाव में तीन प्रमुख मोर्चों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना जताई जा रही है. सीटों की संख्या से परे इस चुनाव में एनडीए को वोट प्रतिशत बढ़ने का भरोसा है. एलडीएफ और यूडीएफ उम्मीदवारों की जीत-हार पर इसका सीधा असर पड़ सकता है.

चुनाव प्रचार के दौरान यूडीएफ और एलडीएफ ने एक दूसरे पर तीखे हमले किए और चुनाव में अपनी-अपनी जीत का दावा किया. लेकिन प्री-पोल सर्वे के अनुसार, एलडीएफ लगातार दूसरी बार सत्ता में आ सकता है.

यूडीएफ ने भी सत्ता पर काबिज होने के लिए चुनाव प्रचार के दौरान पूरी कोशिश की और एलडीएफ के पिछले पांच साल के कार्यकाल के दौरान हुए घोटालों को मुद्दा बनाया. वहीं, एनडीए के चुनाव अभियानों के दौरान सबरीमाला में महिलाओं का प्रवेश, केंद्र सरकार के विकास और कल्याण कार्यक्रम प्रमुख मुद्दे थे.

2016 के केरल विधानसभा चुनाव में एलडीएफ 140 में से 91 सीटें जीत कर सत्ता में आया था. इस बार भी एलडीएफ को लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने का भरोसा है.

हैदराबाद : केरल, भारत का एकमात्र राज्य है, जहां कम्युनिस्ट का शासन है. 140 सदस्यीय केरल विधानसभा में किसी भी दल को सरकार बनाने के लिए 71 सीटों की जरूरत पड़ेगी. पिछले चार दशकों से, केरल ने कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) और कांग्रेस नीत यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के शासन को देखा है. यहां हर पांच साल में सरकार बदल जाती है.

पिछले दस वर्षों में, भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) भी केरल की राजनीतिक में सक्रिय रहा है.

केरल में ऐसी स्थिति बनने की संभावना नहीं है, जिसमें एक ही पार्टी सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत हासिल कर सके. इसलिए, यहां स्पष्ट जनादेश के लिए राजनीतिक दल विचारधारा के अनुरूप गठबंधन कर चुनाव लड़ते हैं. इनमें सीपीएम नीत एलडीएफ, कांग्रेस नीत यूडीएफ और भाजपा नीत एनडीए शामिल हैं.

पिछले चुनाव के विपरीत, इस बार केरल चुनाव में तीन प्रमुख मोर्चों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना जताई जा रही है. सीटों की संख्या से परे इस चुनाव में एनडीए को वोट प्रतिशत बढ़ने का भरोसा है. एलडीएफ और यूडीएफ उम्मीदवारों की जीत-हार पर इसका सीधा असर पड़ सकता है.

चुनाव प्रचार के दौरान यूडीएफ और एलडीएफ ने एक दूसरे पर तीखे हमले किए और चुनाव में अपनी-अपनी जीत का दावा किया. लेकिन प्री-पोल सर्वे के अनुसार, एलडीएफ लगातार दूसरी बार सत्ता में आ सकता है.

यूडीएफ ने भी सत्ता पर काबिज होने के लिए चुनाव प्रचार के दौरान पूरी कोशिश की और एलडीएफ के पिछले पांच साल के कार्यकाल के दौरान हुए घोटालों को मुद्दा बनाया. वहीं, एनडीए के चुनाव अभियानों के दौरान सबरीमाला में महिलाओं का प्रवेश, केंद्र सरकार के विकास और कल्याण कार्यक्रम प्रमुख मुद्दे थे.

2016 के केरल विधानसभा चुनाव में एलडीएफ 140 में से 91 सीटें जीत कर सत्ता में आया था. इस बार भी एलडीएफ को लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने का भरोसा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.