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स्वास्थ्य मंत्री ने सभी राज्यों से कोरोना से जुड़ी स्थितियों की बारीकी से निगरानी करने को कहा - इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पूरे भारत में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की है. स्वास्थ्य मंत्री ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कोरोना से जुड़ी स्थितियों की बारीकी से निगरानी करने को भी कहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विभिन्न राज्यों से कोरोना संक्रमण ब्रेकथ्रू (breakthrough) की रिपोर्ट करने वाले लोगों के नमूने एकत्र किए गए हैं. केंद्र के मुताबिक कोरोना वायरस के प्रकारों की पुष्टि के लिए जीनोम अनुक्रमण किया जा रहा है.

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Published : Aug 16, 2021, 8:54 PM IST

नई दिल्ली : कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण एक बार फिर चिंता की लकीरें गहराने लगी हैं. ताजा घटनाक्रम में कोरोना के ब्रेकथ्रू को लेकर चिंता ज्यादा है. जब कोरोना लोग टीकाकरण के बाद फिर कोविड-19 वायरस से संक्रमित होते हैं, तो विशेषज्ञ और वैज्ञानिक इन मामलों को 'ब्रेकथ्रू' (breakthrough) संक्रमण के रूप में परिभाषित करते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि वायरस कोविड वैक्सीन से मिलने वाली सुरक्षा के बावजूद इंसान के शरीर में प्रवेश करता है.

ब्रेकथ्रू (breakthrough) संक्रमण पहले की अपेक्षा अधिक घातक माना जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि संभवतः डेल्टा संस्करण के बढ़ते मामलों के कारण संक्रमण बार-बार हो रहे हैं और लगातार बढ़ रहे हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक कोविड टीकाकरण वाले लोगों में ब्रेकथ्रू संक्रमण अभी भी बहुत दुर्लभ है और आमतौर पर इन लोगों में हल्के या कोई लक्षण नहीं होते हैं.

गौरतलब है कि ब्रेकथ्रू संक्रमण मुख्य रूप से निकट संपर्क से होते हैं, जैसे कार्यालयों में सहकर्मियों के संपर्क में आना, पार्टी, रेस्तरां या स्टेडियम जैसी जगहों पर.

इस तरह के संक्रमण की संभावना स्वास्थ्य कर्मियों में भी अधिक होती है जो संक्रमित रोगियों के लगातार संपर्क में रहते हैं.

इस संबंध में वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. सुनीला गर्ग ने कहा, डेल्टा वेरिएंट के कारण ब्रेकथ्रू संक्रमण ज्यादा हो रहा है. हालांकि, अगर लोगों को टीके की दो खुराक दी जाती है, तो यह सुनिश्चित है कि ऐसे मामले गंभीर नहीं लगते. डॉ सुनीला गर्ग इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (IAPSM) की अध्यक्ष हैं.

डॉ गर्ग ने इस बात पर जोर दिया कि अधिक से अधिक लोगों को कोविड टीके की दोनों खुराक मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'जहां तक ​​​​भारतीय टीकों का सवाल है, दोनों टीके, वायरस के मौजूदा रूपों के खिलाफ लड़ने में सक्षम हैं.

एक अनुमान के अनुसार, अब तक कुल टीकाकृत लोगों में से लगभग 2.6 लाख लोगों ने कोविड -19 संक्रमण के लिए सकारात्मक परीक्षण किया है. उनमें से कई पहली खुराक मिलने के बाद संक्रमित हो गए.

हालांकि, जहां तक ​​संक्रमण का संबंध है, दोनों खुराक प्राप्त करने वाले लोगों के लिए टीकाकरण के बाद अनुबंधित संक्रमण में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है.

इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा जारी एक अध्ययन में इस बात पर जोर दिया गया है कि कोविड19 टीके संक्रमण के मामले में अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु दर की संभावना को कम करते हैं.

ICMR के अध्ययन में कहा गया है कि सार्स कोव 2 (SARS-COV-2) का डेल्टा संस्करण कोरोना के ब्रेकथ्रू संक्रमण के अधिकांश नैदानिक ​​​​मामलों में कम था, लेकिन केवल 9.8 प्रतिशत मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता थी और केवल 0.4 प्रतिशत मामलों में मृत्यु देखी गई.

ICMR अध्ययन के लिए महाराष्ट्र, केरल, गुजरात, उत्तराखंड, कर्नाटक, मणिपुर, असम, जम्मू और कश्मीर, चंडीगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, पुडुचेरी, नई दिल्ली, तमिलनाडु, झारखंड और पश्चिम बंगाल सहित 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से नमूने एकत्र किए गए थे.

पढ़ें - क्या फोर्टिफाइड चावल से कुपोषण मुक्त होगा भारत?

अध्ययन में पाया गया कि भारत के दक्षिणी, पश्चिमी, पूर्वी और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में मुख्य रूप से मुख्य रूप से डेल्टा और फिर SARS-CoV-2 के कप्पा संस्करण से सफलता के संक्रमण की सूचना मिली.

विश्लेषण किए गए 677 रोगियों में से 85 ने वैक्सीन की पहली खुराक लेने के बाद कोविड -19 संक्रमण हुआ, जबकि 592 वैक्सीन की दोनों खुराक प्राप्त करने के बाद संक्रमित हुए.

विडंबना यह है कि केरल, जो देश में नए कोविड -19 मामलों का 50 प्रतिशत से अधिक है, ने 40,000 सफलता के मामले दर्ज किए हैं.

संक्रमणों की बढ़ती संख्या के बारे में जागरूक, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (National Centre for Disease Control) ने केरल सरकार को भेजे एक पत्र में कहा कि टीके की सफलता के मामलों की अच्छी तरह से जांच की जानी चाहिए और ऐसे मामलों से पर्याप्त संख्या में नमूने NCDC दिल्ली या INSACOG जीनोम अनुक्रमण प्रयोगशालाओं में अनुक्रमण (INSACOG genome sequencing laboratories) के लिए भेजने चाहिए.

नई दिल्ली : कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण एक बार फिर चिंता की लकीरें गहराने लगी हैं. ताजा घटनाक्रम में कोरोना के ब्रेकथ्रू को लेकर चिंता ज्यादा है. जब कोरोना लोग टीकाकरण के बाद फिर कोविड-19 वायरस से संक्रमित होते हैं, तो विशेषज्ञ और वैज्ञानिक इन मामलों को 'ब्रेकथ्रू' (breakthrough) संक्रमण के रूप में परिभाषित करते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि वायरस कोविड वैक्सीन से मिलने वाली सुरक्षा के बावजूद इंसान के शरीर में प्रवेश करता है.

ब्रेकथ्रू (breakthrough) संक्रमण पहले की अपेक्षा अधिक घातक माना जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि संभवतः डेल्टा संस्करण के बढ़ते मामलों के कारण संक्रमण बार-बार हो रहे हैं और लगातार बढ़ रहे हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक कोविड टीकाकरण वाले लोगों में ब्रेकथ्रू संक्रमण अभी भी बहुत दुर्लभ है और आमतौर पर इन लोगों में हल्के या कोई लक्षण नहीं होते हैं.

गौरतलब है कि ब्रेकथ्रू संक्रमण मुख्य रूप से निकट संपर्क से होते हैं, जैसे कार्यालयों में सहकर्मियों के संपर्क में आना, पार्टी, रेस्तरां या स्टेडियम जैसी जगहों पर.

इस तरह के संक्रमण की संभावना स्वास्थ्य कर्मियों में भी अधिक होती है जो संक्रमित रोगियों के लगातार संपर्क में रहते हैं.

इस संबंध में वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. सुनीला गर्ग ने कहा, डेल्टा वेरिएंट के कारण ब्रेकथ्रू संक्रमण ज्यादा हो रहा है. हालांकि, अगर लोगों को टीके की दो खुराक दी जाती है, तो यह सुनिश्चित है कि ऐसे मामले गंभीर नहीं लगते. डॉ सुनीला गर्ग इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (IAPSM) की अध्यक्ष हैं.

डॉ गर्ग ने इस बात पर जोर दिया कि अधिक से अधिक लोगों को कोविड टीके की दोनों खुराक मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'जहां तक ​​​​भारतीय टीकों का सवाल है, दोनों टीके, वायरस के मौजूदा रूपों के खिलाफ लड़ने में सक्षम हैं.

एक अनुमान के अनुसार, अब तक कुल टीकाकृत लोगों में से लगभग 2.6 लाख लोगों ने कोविड -19 संक्रमण के लिए सकारात्मक परीक्षण किया है. उनमें से कई पहली खुराक मिलने के बाद संक्रमित हो गए.

हालांकि, जहां तक ​​संक्रमण का संबंध है, दोनों खुराक प्राप्त करने वाले लोगों के लिए टीकाकरण के बाद अनुबंधित संक्रमण में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है.

इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा जारी एक अध्ययन में इस बात पर जोर दिया गया है कि कोविड19 टीके संक्रमण के मामले में अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु दर की संभावना को कम करते हैं.

ICMR के अध्ययन में कहा गया है कि सार्स कोव 2 (SARS-COV-2) का डेल्टा संस्करण कोरोना के ब्रेकथ्रू संक्रमण के अधिकांश नैदानिक ​​​​मामलों में कम था, लेकिन केवल 9.8 प्रतिशत मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता थी और केवल 0.4 प्रतिशत मामलों में मृत्यु देखी गई.

ICMR अध्ययन के लिए महाराष्ट्र, केरल, गुजरात, उत्तराखंड, कर्नाटक, मणिपुर, असम, जम्मू और कश्मीर, चंडीगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, पुडुचेरी, नई दिल्ली, तमिलनाडु, झारखंड और पश्चिम बंगाल सहित 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से नमूने एकत्र किए गए थे.

पढ़ें - क्या फोर्टिफाइड चावल से कुपोषण मुक्त होगा भारत?

अध्ययन में पाया गया कि भारत के दक्षिणी, पश्चिमी, पूर्वी और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में मुख्य रूप से मुख्य रूप से डेल्टा और फिर SARS-CoV-2 के कप्पा संस्करण से सफलता के संक्रमण की सूचना मिली.

विश्लेषण किए गए 677 रोगियों में से 85 ने वैक्सीन की पहली खुराक लेने के बाद कोविड -19 संक्रमण हुआ, जबकि 592 वैक्सीन की दोनों खुराक प्राप्त करने के बाद संक्रमित हुए.

विडंबना यह है कि केरल, जो देश में नए कोविड -19 मामलों का 50 प्रतिशत से अधिक है, ने 40,000 सफलता के मामले दर्ज किए हैं.

संक्रमणों की बढ़ती संख्या के बारे में जागरूक, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (National Centre for Disease Control) ने केरल सरकार को भेजे एक पत्र में कहा कि टीके की सफलता के मामलों की अच्छी तरह से जांच की जानी चाहिए और ऐसे मामलों से पर्याप्त संख्या में नमूने NCDC दिल्ली या INSACOG जीनोम अनुक्रमण प्रयोगशालाओं में अनुक्रमण (INSACOG genome sequencing laboratories) के लिए भेजने चाहिए.

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