उत्तरकाशीः मैदानी और निचले इलाकों में जहां गर्मी पड़ रही तो वहीं हिमालयी क्षेत्रों में अभी भी ताल व झीलें जमी हुई हैं. गंगोत्री घाटी में समुद्रतल से करीब 4,750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित केदारताल अभी भी पूरी तरह जमी हुई है. इस ताल पर ट्रेकर्स आसानी से खड़े हो रहे हैं. अमूमन इन दिनों केदारताल में बर्फ पिघली हुई मिलती थी, लेकिन इस बार झील पर बर्फ की परत जमी हुई है.
दरअसल, द एक्सपीरेंस ऑफ हिमालय ट्रेकिंग एजेंसी के माध्यम से चार सदस्यीय दल 25 मई को 17 किमी लंबे केदारताल ट्रैक के लिए रवाना हुआ था. इसमें दिल्ली और गाजियाबाद के दो ट्रेकर्स के साथ दो गाइड भी शामिल थे. यह दल 27 मई की शाम को वापस गंगोत्री लौटा. ट्रेकिंग एजेंसी के चीफ गाइड अखिल राणा ने बताया कि केदारताल पहुंच कर एक अलग ही दृश्य देखने को मिला. जहां अमूमन बीते सालों में मई महीने में केदारताल में पूरी बर्फ पिघली रहती थी और नीला पानी दिखता था तो इस बार करीब 2 किमी में फैला केदारताल पूरी तरह बर्फ में तब्दील मिला.
गाजियाबाद के ट्रेकर दीपक कुमार और दिल्ली की ट्रेकर श्वेता वर्मा ने बताया कि यह उनके लिए जीवन का ऐसा अनुभव था, जिसे वो कभी नहीं भूल सकते. क्योंकि, करीब 15 हजार फीट पर स्थित किसी ताल के ऊपर खड़ा होना अद्भुत था. चारों ओर बफीर्ली चोटियों से घिरा ताल का पता ही नहीं चल रहा था. क्योंकि, ताल पूरी तरह से बर्फ से पटा हुआ था. वहां पर लगे त्रिशूल और गाइडों ने जब बताया कि यह केदारताल है तो उन्हें कुछ देर विश्वास ही नहीं हुआ. क्योंकि, हमेशा ताल को पानी की रूप में देखा था. पहली बार उन्होंने ताल को बर्फ से लकदक देखा है.