दुर्ग: गंजमंडी मैदान में कथावाचक देवी चित्रलेखा की कथा हो रही है. देवी चित्रलेखा ने बगैर नाम लिए चमत्कार दिखाने वालों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. देवी चित्रलेखा ने ने कहा कि भक्ति में कभी चमत्कार नहीं होता. वो विश्वास है. जैसे मीरा को प्रभु कृष्ण पर विश्वास था. वो जहर पी गई और उन्हें कुछ नहीं हुआ. इससे बड़ा चमत्कार क्या होगा. लेकिन ये चमत्कार नहीं मीरा का कृष्ण के प्रति एक विश्वास था. उसी विश्वास के बल पर जहर भी उन्हें नहीं मार पाया.
भगवान कृष्ण के प्रति पांडवों का विश्वास था: देवी चित्रलेखा ने यह भी कहा कि 5 पांडवों की सेना ने केवल एक कृष्ण को लेकर कौरवों की इतनी बड़ी सेना को हरा दिया. इसे भी चमत्कार का नाम दे सकते थे. लेकिन भगवान कृष्ण के प्रति पाण्डवों का विश्वास था कि उन्होंने युद्ध को जीता. चमत्कार से ज्यादा भरोसा अपने कर्म पर करना चाहिए.
रामचरित मानस जलाने वालों पर बरसी देवी चित्रलेखा: देवी चित्रलेखा ने उत्तरप्रदेश में रामचरित मानस का विरोध करने वाले लोगों को अधर्मी बताया. उन्होंने कहा कि ''मैं क्या कहूं ये अधर्म है, अन्याय है, अपराध है. इससे बड़ा अपराध कोई हो ही नहीं सकता. जिन ग्रंथों ने हमें जीना सिखाया है. जिन ग्रंथों ने हमें जीवन की एक पद्धति सिखाई, उन्हीं का आप अपमान कर रहे हैं. मुझे लगता है कि संत समाज को भी आगे आकर इसका विरोध करना चाहिए.''
देवी चित्रलेखा ने यह भी कहा कि ''सिर्फ विरोध से काम नहीं चलता है. कोई व्यक्ति भारत में रहकर अपने धर्म ग्रंथ को जलाने का सामर्थ्य रखता है, इससे बड़ी निकृष्टता नहीं हो सकती. ये सनातनियों का देश है. यहां रहना है तो आपको धर्म ग्रंथों का सम्मान करना बहुत जरूरी है. संत समाज जब इसकी मांग उठाएगा तो सरकार को कड़े से कड़े नियम बनाना चाहिए ताकि भविष्य में कोई ऐसी गलती न करे.''
चमत्कार और विश्वास में है अंतर : देवी चित्रलेखा ने ने कहा कि '' जैसे मीरा को प्रभु कृष्ण पर विश्वास था.वो जहर पी गई और उन्हें कुछ नहीं हुआ. इससे बड़ा चमत्कार क्या होगा लेकिन ये चमत्कार नहीं मीरा का कृष्ण के प्रति एक विश्वास था. उसी विश्वास के बल पर जहर भी उन्हें नहीं मार पाया. 5 पांडवों की सेना ने केवल एक कृष्ण को लेकर कौरवों की इतनी बड़ी सेना को हरा दिया. इसे भी चमत्कार का नाम दे सकते थे. लेकिन भगवान कृष्ण के प्रति पाण्डवों का विश्वास था कि उन्होंने इतनी युद्ध को जीता.देवी चित्रलेखा ने कहा कि चमत्कार से ज्यादा भरोसा अपने कर्म पर करना चाहिए.
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