ETV Bharat / bharat

कश्मीरी पंडित संगठन अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को समर्थन देने के लिए पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई आगामी 2 अगस्त से होने वाली है. लेकिन इससे पहले ही एक कश्मीरी पंडित संगठन यूथ 4 पनुन कश्मीर ने भी केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए एक हस्तक्षेप आवेदन दायर किया है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
author img

By

Published : Jul 27, 2023, 6:30 PM IST

नई दिल्ली: एक कश्मीरी पंडित संगठन, यूथ 4 पनुन कश्मीर ने गुरुवार को संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के 2019 के फैसले का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हस्तक्षेप आवेदन (आईए) दायर किया. याचिका में तर्क दिया गया कि कश्मीर घाटी के बहुसंख्यकों को कभी भी भारतीय संविधान में विश्वास नहीं था और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए ने उन्हें अलगाववादी आंदोलन में मदद की.

इसमें कहा गया कि इसके विपरीत, अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए कश्मीर घाटी के भीतर भारतीय पहचान की भावना को खत्म करने का एक प्रमुख कारण बन गया. याचिका में तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता दृढ़ता से महसूस करता है कि अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य के शेष भारत के साथ मनोवैज्ञानिक एकीकरण की कमी का सबसे बड़ा कारण थे.

याचिका में कहा गया कि राज्य अलगाववादी विचारों के लिए प्रजनन स्थल बन गए, जिससे निर्दोष कश्मीरी पंडितों का जातीय सफाया हुआ. आवेदन में शीर्ष अदालत से कश्मीरी पंडितों के खिलाफ हुए अत्याचार और इस मामले में केंद्र व राज्य सरकारों की निष्क्रियता को मान्यता देने का भी आग्रह किया गया. याचिकाकर्ता ने मांग की कि जब भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ 2 अगस्त से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करे तो उसकी बात भी सुनी जाए.

याचिका में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज करने और इस कदम को वैध और संवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है. आवेदन में सुप्रीम कोर्ट का ध्यान 1989-1991 की अवधि के बीच कश्मीरी पंडित समुदाय पर हुई हिंसा और अत्याचारों की ओर भी आकर्षित करने की मांग की गई है. यह संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर राज्य सरकार को प्रदान की गई अबाधित शक्तियों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष परिणाम के रूप में है.

याचिका में यह भी मांग की गई है कि शीर्ष अदालत जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडित समुदाय द्वारा सामना किए गए परीक्षणों और कठिनाइयों और उनके पलायन को इतिहास के मामले के रूप में रिकॉर्ड पर ले. याचिका में इस बात पर जोर दिया गया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए इतिहास, संविधान, राजनीति, समाज, अर्थव्यवस्था, मनोविज्ञान और मानवीय परिस्थितियों पर प्रभाव डालने वाली जटिल समस्याएं हैं.

नई दिल्ली: एक कश्मीरी पंडित संगठन, यूथ 4 पनुन कश्मीर ने गुरुवार को संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के 2019 के फैसले का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हस्तक्षेप आवेदन (आईए) दायर किया. याचिका में तर्क दिया गया कि कश्मीर घाटी के बहुसंख्यकों को कभी भी भारतीय संविधान में विश्वास नहीं था और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए ने उन्हें अलगाववादी आंदोलन में मदद की.

इसमें कहा गया कि इसके विपरीत, अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए कश्मीर घाटी के भीतर भारतीय पहचान की भावना को खत्म करने का एक प्रमुख कारण बन गया. याचिका में तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता दृढ़ता से महसूस करता है कि अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य के शेष भारत के साथ मनोवैज्ञानिक एकीकरण की कमी का सबसे बड़ा कारण थे.

याचिका में कहा गया कि राज्य अलगाववादी विचारों के लिए प्रजनन स्थल बन गए, जिससे निर्दोष कश्मीरी पंडितों का जातीय सफाया हुआ. आवेदन में शीर्ष अदालत से कश्मीरी पंडितों के खिलाफ हुए अत्याचार और इस मामले में केंद्र व राज्य सरकारों की निष्क्रियता को मान्यता देने का भी आग्रह किया गया. याचिकाकर्ता ने मांग की कि जब भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ 2 अगस्त से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करे तो उसकी बात भी सुनी जाए.

याचिका में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज करने और इस कदम को वैध और संवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है. आवेदन में सुप्रीम कोर्ट का ध्यान 1989-1991 की अवधि के बीच कश्मीरी पंडित समुदाय पर हुई हिंसा और अत्याचारों की ओर भी आकर्षित करने की मांग की गई है. यह संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर राज्य सरकार को प्रदान की गई अबाधित शक्तियों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष परिणाम के रूप में है.

याचिका में यह भी मांग की गई है कि शीर्ष अदालत जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडित समुदाय द्वारा सामना किए गए परीक्षणों और कठिनाइयों और उनके पलायन को इतिहास के मामले के रूप में रिकॉर्ड पर ले. याचिका में इस बात पर जोर दिया गया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए इतिहास, संविधान, राजनीति, समाज, अर्थव्यवस्था, मनोविज्ञान और मानवीय परिस्थितियों पर प्रभाव डालने वाली जटिल समस्याएं हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.