सिरसी : गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय, बलिहारी गुरु अपने गोविन्द दियो बताय. संत कबीर दास जी का यह दोहा तो आपने सुना ही होगा, जिसमें गुरु को गोविंद यानी की भगवान से भी ऊपर बताया गया है. आज हम एक ऐसे ही गुरु की बात करने जा रहे है, जिनका शिष्य उनके योगदान से शिखर पर पहुंच गया. हम बात कर रहे हैं नीरज चोपड़ा की, जिन्होंने ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीत देश को गौरवान्वित किया है.
एथलीट नीरज चोपड़ा ने शनिवार को टोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) प्रतियोगिता में देश को स्वर्ण पदक दिलाया. कर्नाटक के काशीनाथ नायक, नीरज चोपड़ा के पहले गुरु थे, जो भारतीय सेना में सूबेदार रह चुके हैं. उन्होंने नीरज को शुरुआती समय में ट्रेन किया था.
बनाया था जूनियर विश्व रिकॉर्ड
नीरज चोपड़ा ने 2015 में काशीनाथ नायक से भाला फेंकने की ट्रेनिंग लेनी शुरू की थी और उन्होंने वहां 2017 तक ट्रेनिंग ली. बता दें, नीरज चोपड़ा ने 86.48 मीटर पर भाला फेंककर जूनियर विश्व रिकॉर्ड भी बनाया हुआ है. हाल ही में उन्होंने विदेशी कोचों के साथ ट्रेनिंग शुरू की थी.
'प्रतिभा ईश्वर का उपहार'
काशीनाथ नायक अपने शिष्य नीरज की इस उपलब्धि से बेहद खुश हैं. उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद कर रहा था कि नीरज चोपड़ा लंदन ओलंपिक 2016 में स्वर्ण पदक जीतेंगे, वह बहुत अच्छे एथलीट हैं. काशीनाथ नायक ने कहा, प्रतिभा उनके लिए ईश्वर का उपहार है.
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काशीनाथ नायक बताते हैं, मैं 2013 से 2019 तक भारतीय सेना का कोच था. अब मैं आर्मी स्पोर्ट्स में हूं. उन्होंने बताया कि 2015 में जब नीरज चोपड़ा हमारे साथ शामिल हुए तब वह भारतीय सेना के लिए कोच थे. तब वह 70 मीटर जैवलिन किया करते था.
काशीनाथ ने बताया कि नीरज ने एशियाई चैंपियनशिप भी खेली. उन्होंने 2016 में पोलैंड में 86.48 मीटर भाला फेंक कर जूनियर विश्व चैंपियनशिप जीती थी. पोलैंड खेलों में जाने से पहले, उन्होंने दक्षिण एशियाई खेलों में 82 मीटर भाला फेंका. उस दौरान भी वह उनके लिए कोच थे.
सूबेदार के रूप में हमारी सेना में शामिल होने के बाद, 2018 में वह कोचिंग के लिए फिनलैंड गए. और उसके बाद, वह फिनलैंड से वापस आ गए, और उन्होंने एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों दोनों में स्वर्ण पदक जीता.